Tuesday, 25 October 2016

मेरा नगर-अव्यवस्था से जूझता..

मेरे काटाबाँजी के क्या बताऊँ हालत क्या है??
सरकारी नजरो में मेरे शहर की औकात क्या है??

750 एकड़ जगह है रेलवे की मगर इसकी कोई कदर नहीं,
कोई रेलवे की इंडस्ट्री नहीं, नयी ट्रेनो की फ़िकर नहीं,
कई मेट्रो शहरो के लिए कोई यहाँ ट्रैन प्रयाप्त नहीं,
स्टेशन में यात्रियों को सही सुरक्षा प्राप्त नहीं,

बिजली का मेरे नगर में कितना बुरा है हाल है,
गर्मी में तो जीना हो जाता मुहाल है,
वोल्टाज़् इतना की पंखे बड़े मुश्किल से हिलते है
ऑफिस में बस "ग्रिड बनेगा" के झूठे आश्वाशन मिलते है,

छात्रों के भविष्य का यहाँ कोई लेता संज्ञान नहीं
एक पुराने कालेज के अलावा कोई ढंग का शिक्षण संस्थान नहीं,
न् संगीत, न् खेल , कला का कोई स्कुल है
अब क्या ये भी जानता की भूल है

एक सरकारी अस्पताल है जिसमे स्टाफ की भारी कमी है,
अस्पताल की दिवारी यहाँ अवस्यस्था से सनी है,
कोई टैक्निनिकी सहायता नहीं,कोई सुरक्षा गॉर्ड नहीं,
ब्लड बैंक में ब्लड नहीं, मरीजो के किये वार्ड नहीं,
जरुरी मशीन नहीं निशुल्क दवाई नहीं,
इतनी अपील की मगर इसकी कोई सुनवाई नहीं,

मेरे कृषक प्रधान गाँव में खेती के संसाधन नही,
व्यपार को बढ़ाने के लिए कोई सरकारी साधन नहीं,
कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं, कोई सरकारी वेतन नहीं,
इतने बड़े इलाके में कोई जलसेचैन नहीं,
पलायन की समस्या का कोई स्थायी निदान नहीं,
इतनी लिखा पढ़ी हुई पर सरकार को इसका ज्ञान नहीं

कहने को एन ए सी है मगर कोई प्रयास नहीं,
70 सालकी आजादी में अब तक कोई विकास नहीं,
साउंड बजाने की छोटी सी अनुमति भी टिटलागढ़ से मिलती है,
इतने बड़े नगर में सुविधाओं की कमी बहुत खलती है,

मांगने से नहीं मिलेगा हक़ के लिए लड़ना होगा,
अपने नगर की खातिर हमको प्रसासन से भिड़ना होगा,
अपने नगर की खातिर आओ हम हड़ताल करे
हक़ हमारा सहुपा कहा है इसकी हम पड़ताल करे,

हम अमनपसंद नागरिक है हमारा किसी से बैर नहीं,
यु ही हमें सताया तो फिर  " बलांगीर" "भुवनेश्वर"की खैर नहीं
बहुत हुआ समझाना करना अब बंद ये करुण वंदन होगा,
इस सोए कुम्भकार्णो को जगाने अब तो आंदोलन होगा..
अब तो आंदोलन होगा...अब तो आंदोलन होगा.....

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