करवा चौथ पर मेरे और से मेरी धर्मपत्नी को तोहफा,
मेरी नयी कविता,
थोड़ी सा चंचल है उसका स्वभाव वो इतनी शांत नहीं,
उसकी गुस्सा बस क्षणिक है, उसका स्वभाव अशांत नहीं,
उसके समर्पण से है मेरी दुंनिया खूबसूरत ये कोई luck by chance नहीं,
सब कुछ करदे मिनटो में, पत्नी कोई रजनीकांत नहीं,
उसने ही संभाला ही घर को उसी के कारण सभी पर्व है,
उसी ने बनाया है मेरे मकान को घर मुझे उसपे गर्व है,
मैं उससे झगडता रहता ह् मगर मैं उससे आक्रान्त नहीं
कुछ ही मिनटों में सब कुछ कर दे वो पत्नी है रजनीकांत नहीं
मेरे घर में खिले फूल उसकी मेहरबानी है,
मेरे चेहरे पर हंसी उसकी मेहनत की निशानी है,
उसका ऋण चुका सकू मैं इतना संभ्रांत नहीं,
कुछ ही मिनटों में सब कर दे वो पत्नी है रजनीकांत नहीं
हर हाल में मेरे साथ गुजारा कर लेती है,
अपनी हंसी से मेरे हर गम हर लेती है,
मुझ को परेशानी मे डालना उसका सिद्धान्त नहीं
कुछ ही मिनटो में सब कुछ कर दे पत्नी है वो रजनीकांत नहीं
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