मेरे नगर का ये क्या हाल हो गया है,
यहाँ शांति से रहना मुहाल।हो गया है,
हर किसी को शौक है अखबारो में रहने का
हर कोई आज कल केजरीवाल हो गया है,
मुदद्दा ये नहीं की आग कैसी बुझाये जाए,
आग कहां लगी इस बात बवाल हो गया है,
क्या खूब तोहफा दिया है तूने हमको ए सियासत,
घायलों से भरा आज कल हस्पताल हो गया है,
जिन्हें कभी लख्ते जिगर कहा करते थे हम
आज कल उनसे मिले कई साल हो गया है,
अपने मतलब की बाते, और अपने मतलब की दुनिया
साजिशें ऐसी की शर्मिन्दा मकड़जाल हो गया है
डरता ह् आज कल किसी का नाम पूछते हुए,
किसी से उसका नाम पूछना मजहबी सवाल हो गया है,
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