Sunday, 30 October 2016

चलो दिवाली मनाते है..

त्यौहारों की खुशियां खो गई है कंही
चलो आज उन्हें थोड़ा ढूंढ लाते है

इस समझदार दिवाली में कोई आनंद नहीं
चलो फिर से बचपन की वो दिवाली मनाते है...

अन्धेरा बाकी न् रहे कंही,न् घर में, न् नगर में
चलो कोने कोने म आज ें दिए जलाते है,

साल भर जमा किया है दिल में शिकायतों का जो जाला
चलो आज दिवाली में उन जालो को हटाते है..

एक अरसा हो गया उनसे मिले जो जिंदगी हुआ करते थे,
चलो आज एक बार फिर उनसे मिल आते है,

वजह तो उदासियों  के लिए चाहिए
चलो आज बेवजह मुस्कुराते है,

बहुत दिल जलाया है हमने अपने अपनों का
चलो उनके साथ आज फिर दिए जलाते है

इन पटाखों के शोर में कंही खो न जाये
चलो खुशियो की एक फुलझड़ी जलाते है

बहुत हो गया ये msg ये व्हात्सप्प
चलो हम खुद से रूबरू हो जाते है

घर के साथ दिलो को रोशन करे.
आओ मिलजुल कर ये दिवाली मनाते है..

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