Thursday, 20 October 2016

खंडहर बता देते है कि इमारत कितनी शानदार रही होगी

मेरे जाने के बाद वो भी बहुत रोइ होगी,
उसकी जिंदगी भी कुछ ग़मगीन कुछ बेजार रही होगी,

ये वक्त का पहिया कितना कुछ बदल देता है,
खंडहर बता देते है कि इमारत शानदार रही होगी,

उन लोगो की कद्र कीजिये जो पतझड़ में साथ देते है,
उनकी वजह से  आपकी जिंदगी में बहार रही होगी,

कभी दूर से देखा,कभी गुरुर से देखा तुमने,
हमें बड़ा देखने के लिए तुम्हे चश्मे की दरकार रही होगी,

परछाईया कद से और बाते औकात से बड़ी हो जाए जब,
ये कुछ नही बस उसकी डूबने की शुरुवात हुई होगी,

कुछ छोटो के हाथ छोड़ के उसने बड़ो के पाँव पकड़ लिए
उसके लिए सफलता के आगे गैरत् बेकार रही होगी

मैं सूरज के  साथ के साथ रह भी मैंने की अदब से बाते,
जुगनू के साथ पा कर किसी की बाते धार-धार हुई होगी

मंजिल उनको ही मिली जो घर से निकले और भटके,
कुएं के मेढकों की जिंदगी बस शफलता तलबगार रही होगी,

कानून अंधा नहीं, बड़े और छोटे में फर्क बखूबी पहचानता है,
ये  झुठी बाते जरूर किसी ने भूल से बार बार कही होगी,

वो जोर जोर से कह कर झूठ को सच बना  सकता है,
वकील अच्छा हो तो सच की क्या दरकार रही होगी,

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