Sunday, 30 October 2016

गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं

कोई छुट्टी नहीं कोई छुट्टी का इंतजार नहीं,
कभी चैन नहीं कभी करार नहीं,
हर त्यौहारों में देखा है,
किस्सा कोई एक बार नहीं,
छुट्टियां हमारी उनका काम बढ़ा देती है,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं

होली में बड़कुलिये बनाना,
और घर को रंगों से बचाना,
विधिवत पूजा कर के
सबके लिए भोजन बनाना,
रंगो का त्योव्हार है होली,
उसमे भी बेरंग रह जाना,
क्या हम इसके जिम्मेदार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नही,

दीपवाली में साफ सफाई,
घर में चमक उसी से आयी,
पुरे घर को इतना सजाया,
घर का कोना कोना चमकाया,
कभी है पूजा कभी मिठाई
सारा दिन बस भागम भगाई
मैं तो इतने चैन से सोया
क्या ये उसका त्योव्हार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,

वो उत्सवों में तैयारियो में व्यस्त है,
और हम अपने आप में मस्त है
हम उस पर अपना हुकुम चलाते है
उसकी ज़रा सी गलती पर चीखते चिल्लाते है,
जिससे है हमारे जीवन में खुशियां
क्या उसका ही खुशियो पर अधिकार नहीं,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,

सक्रांति के दिन हो या पावन नवरात्र हो,
या तीज ,सावन, राखी की कोई  बात हो
किसी का जन्म दिन हो कोई खुसी की बात हो,
कोई शादी सगाई कोई भेट सौगात हो,
भूखे रहकर भी निभाती वो अपनी जिम्मेदारियां
होई का दिन हो वो करवा चौथ की रात हो,
हमारी खुशियो के अलावा किसी से और सरोकार नहीं
गृहणी तुझे शतशत प्रणाम ,
गृहणी के जीवन में कोई इतवार नहीं,कोई इतवार नही

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