Monday, 17 October 2016

ऊँची दुकानों में अक्सर फीका पकवान मिलता है


ऊँची दुकानों में अक्सर फीका पकवान मिलता है,
हर कोई मुझे आज कल कुछ परेशान मिलता है,
हर रास्ते पर नजर आ गए मुझे हिन्दू और मुस्लिम
बड़ी मुश्किल से आज कल कोई इंसान मिलता है,

हर तरफ होड़ है कुछ और आगे बढ़ने की,
दुसरो के सर में पाँव रख् कर भी ऊपर चढ़ने की,
शरीफो का मोहल्ला बहुत गुलजार हुआ करता था पहले
आज कल मगर वहां भी बस कोई बेईमान मिलता है,

घर अब घर न् रहा अब तो वहां सिर्फ मकान  मिलता है,
जहा कभी थी जन्नत वहां मनहूसियत का निशान मिलता है,
जो ज़िंदा लौट आये मैदान जंग से उससे सबुत मांगते हूँ
जो शहीद हो गया क्या  बस उसी को सम्मान मिलता है,

कभी वो भी छोटे थे जो आज बड़े हों गये है,
कल वो भी रेंगे होंगे जो आज कल खड़े हो गए है,
हो अन्धेरा या उजाला बस अपनी उंम्मीद कायम रखना
जो अंधेरों में भी न रुका उसकी को एक दिन आसमान मिलता है,

ऊँची दुकानों में अक्सर फीका पकवान मिलता है,...

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