एक शहीद का शव घर आया,
पुरे घर में जैसे मातम छाया,
जिसके सहारे थी पूरी घर की कश्ती
एक झटके में वो मझधार में छोड़ आया,
मगर पूरी फॅमिली ये देख कर परेशान् थी,
की उसकी पत्नी के चेहरे पर अभी भी मुस्कान थी,
उसकी मुस्कुराहट देख एक बुजुर्ग उसके पास आया,
और बातों बातों में उसको समझाया,
की बेटी ,पति की मौत पर इस तरह ना मुस्कुरा
परवाह कर दुनिया की ज़रा तो लोकलाज निभा,
पत्नी का जवाब मगर दिल को बिंध गया
बुजर्ग के आँखों से भी उदासी छीन गया,
जब ये सरहद पर जाने को तैयार था
तब से ही हम दोनों के बीच करार था,
अपने आप को गम की भट्टी में नहीं झुलासायेगे,
जब भी मिलेंगे हम दोने मुस्कुरायेंगे,
उससे किया वादा मैं कैसे भुला दू,
वो आज़् घर आया है तो मैं क्यों न् मुस्कुरा दू...
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