Sunday, 30 October 2016

सबक होशियारी का दुकानों में नहीं मिलता

सुकून घर में होता है "मकानो" में नहीं मिलता,
सबक होशियारी का दुकानों में नहीं मिलता,

शाम होते ही परिंदे वापस लौट आते है
जो सुकून जमी में है आसमानों में नहीं मिलता,

बरकत होती है माँ बाप की दुआओं में बहुत
वो मंदिर की घंटियों और मस्जिद की अजानो में नहीं मिलता,

हर किसी की किस्मत में राख  होना लिखा है एक दिन,
फर्क अमिरी - गरीबी का शमसानों में नहीं मिलता,

जो मिल गया उसका शुक्रिया अदा करना
जो हमको मिला कई इंसानों को नहीं मिलता..

एक दिया उनके लिये भी जो वापस घर ना आये,
मेरे देश में ये सम्मान क्यों जवानों को नहीं मिलता,

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