कोई उंम्मीद आखरी नहीं...
कैंडी क्रश मेरा बहुत ही पसंदीदा मोबाइल गेम है, मगर बहुत दिन पहले मैंने ये गेम इसलिए खेलना बंद कर दिया था क्योकि मेरे बहुत खेलने के बाद भी उसका 455 नंबर गेम पार नहीं हों रहा था, लगभग 50 बार खेलने के बाद मैंने कैंडी क्रश खेलना ही छोड़ दिया,
दुसरी और मेरी धर्मपत्नी इस गेम में 800 से ज्यादा लेवल में थी जबकि उसने मुझ से बहुत बाद में खेलना चालू किया था, मैं हमेशा स्मार्टनेस में, दिमाग में, समझ में उसको मुझ से कम समझता था,मेरे लिए ये आश्चर्य की बात थी की कैसे वो इतना आगे बढ़ गई, मैंने देखा की वो इसलिए आगे बढ़ी की वो लगातार खेलती है, उसके पास भी कई लेवल थे जो 3-4 दिन तक लगातार खेलने के बावजुद पार नहीं हुए मागर उसने हिम्मत नहीं हारी,और कई लेवल तो पर करने के लिए 100 बार भी खेलना पड़ा मगर उसने खेला और जिसके परिणाम स्वरूप वो आज 800 से अधिक लेवल पर है और मुझे पता है कि वो जल्द ही ये गेम पूरा कर के उसके उपड़ते के लिए इंतेजार करेगी,
उसको 800 के पार देखकर मुझको फिर से कैंडी क्रिश खेलने का जोश आया मैंने फिर से 455 से खेलना चालू किया और 10-15 बार की असफलता के बाद 455 नंबर लेवल पूरा हो गया, और आगे की लेवल भी इसी तरह 2-3 प्रय्यास में कुछ 10 प्रय्यास में पार हो गए, और मैं अब 488 में पहुच गया हूँ,800 के पार पहुचने के लिये अभी काफी समय है मगर अभी ये भरोसा है कि मैं 800 के पार पहुच जाऊंगा बस इसके लिए लगातार खेलने की जरुरत है,
कुछ इसी तरह का हाल मेरा स्कुल के समय था जब मैं और मेरे साथ पढ़ने वाली बहन दोनों ये मानते थे की मैं पढाई में तेज हूं और मेरा पढाई में दिमाग ज्यादा है मगर एग्जाम में हमेशा मेरे उससे कम मार्क आते थे,क्योकि वो लगातार पढ़ती थी, मैं बहुत कमसमय देता था पढाई को,मुझसे काम काबिलियत के बावज्जुड उसका रिजल्ट मुझ से बेहतर होता था,
इस बात से जिंदगी की एक बहुत ही बड़ी और गहरी बात का पता चला की कोई भी प्रयास आखरी नहीं होता, हमारी काबिलियत, ज्ञान, सामर्थ्य,साधन सब मिलकर भी हमें तब तक सफलता नहीं दिला सकते जब तक की हमारे प्रयास में निरंतरता नहीं होती, आज अगर हम देखते है कि हमसे कम काबिल, और ज्ञान वाले लोग हमसे आगे की पंक्ति में खड़े है तो वो सिर्फ इसलिए नहीं की उनकी किस्मत बहुत अच्छी है इसलिए क्योंकि उनका प्रय्यास निरंतर है, वो हिम्मत नहीं हारते,अपने काम में लगे होते है,...
जो सिर्फ किस्मत के भरोसे रहते है वो बहुत आगे या बहुत समय तक आगे नहीं रहते, ज्ञान होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उसका उपयोग करना,हम में से ज्यादातर लोग कुछ प्रायसो के वाद असफलता की अपना भविष्य मान लेते है ऐसा कुच भी नहीं है बिना चाबी के कोई ताला नहीं बनता,कभी कभी गुच्छे की आखरी चाबी ताला खोल देती है,समाधान हर समस्या का होता है बस हमें नजर नहीं आता, एक गलत चाबी से जितना भी प्रयास किया जाये ताला नहीं खुल सकता, उसकी सही चाबी ढूढने की जरुरत है, अपनी गलतियों में सुधार की जरुरत है, मेहनत कितनी करनी है ये तो जानना चाहिए साथ ही ये भी जानना चाहिए की मेहनत कहा करनी है,
हार जाना उतने शर्म की बात नहीं है जितने शर्म की बात है फिर से प्रयास न् करना,एक बार फिर कोशिश कीजिये,ये मत सोचिये की आप के पास क्या नहीं है,ये सोचिये की आप के पास जो है उसे कैसे बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर सकते है,उसे हासिल करने के लिए जो आपके पास नहीं है,
हमेशा हरिवंश राय बच्चन जी की ये पंक्तियां याद रखे,
"कुछ किये बिना जयजयकार नहीं होती,
मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती"
100 ग्राम निरंतरता 1 क्विंटल काबिलियत पर भारी होती है...
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आपके अमूल्य राय के लिए धन्यवाद,