Sunday, 20 November 2016

शतरंज

मेरे साथ हुई हर एक जंग ने सिंखाया
जिंदगी क्या है मुझे शतरंज ने सिंखाया

बताया कि कैसे यहाँ जीना पड़ता है
मारने के लिए यहाँ कैसे मरना पड़ता है,

सिंखाया शतरंज ने की अपने अपने को नहीं मारा करते
जब तक उम्मीदों का राजा ज़िंदा है हिम्मत नहीं हारा करतेे,

जहा जीने के लिए तरकीबें   कई लड़ानी पड़ती है,
जितने के लिए कभी कभी देनी बड़ी कुर्बानी पड़ती है,

कोई छोटा नहीं वक्त पर सब काम आते है
कई बार प्यादे भी राजा को मार गिराते है,

वो प्यादा जो अक्सर अपनी हद में रहता है
बन जाए वजीर तो फिर वो टेढ़ा चलता है,

ऊंट ,हाथी ,घोड़े, वही का वंही धरा रह जाता है,
कुछ काम नहीं इनका जब राजा ही मर जाताे है,

जरा जरा सी भूल भी यहां बहुत ही भारी होती है,
एक दूसरे को मार कर जितने की तैयारी होती है,

खेल में भले सबके अलग अलग ओहदे होते  है
खेल ख़त्म हो तो सब एक ही बक्से में सोते है,

जो खेल प्रारम्भ हुआ है निश्चित उसका अंत है,
जिंदगी बहुत कुछ एक शतरंज है, शतरंज है, शतरंज है

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