Friday, 25 November 2016

हर कोई तुमसा खुद्दार नहीं है

हर कोई तुम सा खुद्दार नहीं है...
हर कोई तुमसा दमदार नहीं है
जब तक खुद का मतलब हो तुम से जुड़े है
हर वक्त कोई तुम्हारा वफादार नहीं है

किसी से वफ़ा का इतना इरादा न् करो
उम्मीदे करो तो इतना ज्यादा न् करो
किसी की फितरत,तो किसी की मजबूरियां
हर कोई आपके साथ का तलबगार नहीं है,

हर बात में आपके पक्ष में रहे,
गलती आप की भी तो निष्पक्ष में रहे
हर किसी में थोड़ी सी गैरात होती है
हर किसी को  आप्सद इतना प्यार नहीं है

आप बड़े है मगर मैं भी तुच्छ नहीं हूं
मत अहसास दिलाओ की मैं कुछ नहीं हूं
वक्त की फितरंत है कि वो बदल जाता है,
मैंरा भी वक्त आयेगा मैं इतना बेकार नहीं हूं

हर आदमी खुद में महान होता है,
हर किसी को अपने लिए गुमान होता है
हकीकत के चश्मे से देखा तो महसूस हुआ
की कुछ विषयो में ही सहीे,हर कोई अंजान होता है,

कल कदर नहीं थी आज ढूंढते हो मुझे
मैं 100 का नोट ह् 500- हजार नहीं ह्

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