कल तक जिसके लिए जीते मरते थे हरपल
आज कल उन्ही से बेजार हो गए,
कभी रिश्तों,परिवारों,और दोस्तों से ऊपर रखा था
अब वो 500-1000 के नोट बेकार हो गए,
कभी खुद को बहुत ऊंचा न् समझो मेरे दोस्त..
जिन 100 रूपये से नफरत थी तुम्हे तुम आज उन्ही के तलबगार हो गए,
बस वक्त का फितूर है कि सब कुछ बदल देता है,
इन 500 -1000 के साथ कई रिश्ते शर्मशार हो गए,
आज बहुत चैन से सोए है वो मजदुर चिल्हर लेकर
आज पैसो वाले पर रतजगे सवार हो गए,
हद से ज्यादा हो तो कोई कीमत नहीं
कल दुनिया के मालिक थे आज रद्दी अखबार हो गए,
बच्चो की गुल्लक हम पर हस् रही है आजकल्क
वो अब हमसे ज्यादा रुतबेदार जो गए,
अभी भी समय है ख़ुदा बदल लो तुम,
आज सरस्वाति के आगे लष्मीपुत्र बेकार हो।गए,
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