मेरा देश बदल रहा है,डिजिटल हो रहा है,भारत के डिजिटल बनाने का प्रयास अपने चरम पर है,विमुद्रिकारण को भी आप देश के डिजिटलाइजेसन् का एक भाग ही मान सकते है,
भारत एक ऐसा देश है जहां लोगो को समझा कर नहीं डरा का मनाया जाता है,यहाँ के लोग काफी कुछ बनिया प्रवृत्ति के है जो या " आंट(मुश्किल)"में देते है या "खाट"में देते है, यहाँ लोग पास के फायदे को दूर के नुकसान से अधिक पसंद करते है, 8 नवम्बर से पहले मोदी जी ने अपने हर भाषण में,हर मन की बात में कहा कि देशवासियो डिजिटल हो जाओ,अपने बैंक अकाउंट खुलवाओ,कैशलेस हो जाओ, मगर किसने ध्यान दिया,सब को लगा की की हर बार की तरह ये भी डरायेगा,धमकाएगा और फिर कुछ दिनों में सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा, मगर इस बार कुछ और हुआ, जब प्यार से कहा तो कोई नहीं माना अब सभी भागे भागे फिर रहे है कैशलेस होने के लिए,अगर यही परिवर्तन के लिए हम 8 नवम्बर के पहले अपने आप को आस्वस्त कर लेते तो ये बैंको और एटीएम में लाइन लगाने से बच जाते, मगर नहीं भारत एक जुगाड़ वाला देश है यहाँ लोग बिमारी से बचने के लिए टीकाकरण पसंद नहीं करते यहां बीमार होने के बाद एंटीबायोटिक खाना पसंद करते है,
यहाँ हम सरकार के हर निर्णय को अपने आथिर्क लाभ और हानि के परिदृश्य से सराहते है,जिस निर्णय से हमें त्वरित आर्थिक फर्क नहीं पड़ता उसे हम ध्यान ही नहीं देते,ट्रैन में जब तक 50 रूपये फाइन था तब तक हम ट्रैन में कभी टिकट लेकर नहीं बैठे,अचानक 1 दिन वो फाइन 250 हो गया हम टिकट खरीदने लगे, हम में ज्यादातर भारतीयो की ये आदत होती है कि वो अंतिम तरीखो तक फ़ोन बिल,बिजली बिल,इनकम टैक्स,सेल्स टैक्स बाकी रखते है,जिस दिन हमें लगता है कि आज यदि बिल नहीं भरा तो फ़ोन बंद हो जाएगा उस दिन बिल भरते है, जिसदिन लगे की आज बिल नहीं भरा तो लाइन कट जायेगी उस दिन बिजली का बिल भरते है,जबकि अंतिम दिनों में हमें पता है कि हमारे ही जैसे लोगो की हमें कतार मिलेगी,अपने आप को कतारों में लगाने की प्रस्तावना हम खुद तैयार करते है,
भारत एक देश है जहाँ आज भी बैटमैन,सुपरमैन,और ही मेन से ज्यादा लोगो को हनु"मेन" पर भरोसा है,यहाँ लोग वैज्ञानिक मान्यताओं से ज्यादा धार्मिक मान्यताओं पर भरोसा करते है,वो अपनी जिंदगी नयी तकनीको को अपना कर आसान नहीं करना चाहते वो चाहते है कि वो भगवान् की पूजा करे और भगवान की पूजा करे और भगवान् प्रसन्न होकर " तथास्तु," कहे और उनकी जिंदगी आसान हो जाए,
हम भारतीयों में एक और ख़ास बात है की हम सिर्फ उसी बात को समझ्ते है या समझना चाहते है जिससे हमें लाभ मिलता है, श्री भगवत गीता को हम् धर्मग्रथ मानते है उसकी पूजा करते है,मगर उसका पालन नहीं करते,श्री भगवत गीता का सार यही है कि भाग्यवादी नहीं कर्मवादी बनो मगर हम भाग्यवादी ही बनते है,और उससे ज्यादा अवसरवादी, हम बदलाव चाहते है मगर बदलना नहीं, हम वक्त के साथ नहीं बदलते इस बात का इंतजार करते है कि वक्त हमें बदल दे,और वक्त जब हमें बदलता है तो हमें बदलना ही पड़ता है चाहे हम इसके लिए तैयार हो न् हो, कैशलेस इकॉनमी भी वही बदलाव है, जो भविष्य है,और जिसमें हम सभी का भविष्य है,
ये तर्क काफी दिया जा रहा है कि भारत की 70% जनता डिजिटल इलीट्रेट या तकनिकी अनपढ़ है तो भारत कैशलेस कैसे बनेगा, एक बात मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि जब भारत में 25 करोड़ लोग तकनिकी अनपढ़ होकर व्हात्सप्प और फेसबुक चला सकते है तो डिजिटल बैंकिंग और कैशलेस लेनदेन भी सिख सकते है, सब कुछ अपनी सुविधा और शौक के हिसाब से नहीं कुछ चीजे जरूरतों के लिहाज से भी आवश्यक है उन्हें अपनाने की आवश्यकता है, आवश्यकता आविष्कार की जननी है लोगो को तकनिकी ज्ञान की आम जिंदगी में आवश्यकता होगी तो वो अपने भीतर तकनीकी ज्ञान का अविष्कार खुद करेंगे,
भारत की जनता की प्रकृति रामचरित मानस की उस चौपाई से संचालित होती है जहाँ लिखा है कि " भय बिन प्रीत न् होई गोसाई" भारत के लोग व्यवस्था से प्रेम करके नहीं व्यवस्था से डर कर काम करना चाहते है, आज भी देहातो में बिमारी के इलाज के लिए टैबलेट और कैप्सूल्स से ज्यादा एक इंजेक्शन को पसंद किया जाता है वहां ये सोच है कि इंजेसेक्शन लगाने से बिमारी जल्द ठीक हो जाती है क्योंकि इंजेक्शन जल्दी इफ़ेक्ट करता है भले ही ये क्षणिक तौर पर दर्द देता है,अपनी बातों और विभिन्न योजनाओं के टेबलेट्स और कैप्सूल्स से सरकार ने बहुत कोशिश की हम ये कैश ट्रंसक्शन की बीमारी से ठीक हो जाए,मगर इस बिमारी का इलाज विमुद्रिकरण का इंजेक्शन ही था, जो एक बार दर्द दे रहा है मगर इसका असर बहुत जल्द दिखने लगेगा, एक पेन्सिलिन के इंजेक्शन की तरह ये कैश ट्रंसक्शन की बीमारी की तरह और कई अन्य बिमारी जैसे जाली नोट,कालाधन,भृष्टाचारइत्यादि के विरूद्ध भी अतिरिक्त कार्य करेगा, खैर जैसे की आप को पता है कि पेनिसिलिन हर एक के शरीर के शरीर को सूट नहीं करता, कुछ लोगों को तो तकलीफ होगी, मगर कल को देश कैश से लैस न् हो इसलिए आज से ही हमें कैशलेस होना होगा,
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