Monday, 30 January 2017

बड़ा लंबा सफर है , फिर भी ज़रा आहिस्ता चल जिंदगी

बड़ा लंबा सफर है, फिर भी जरा आहिस्ता  चल जिंदगी,
मुझे तेरी फिकर है, फिर भी ज़रा आहिस्ता  चल जिंदगी,

कंही कोई अपना छूट न जाए,
कभी कोई अपना रुठ न जाए,
सब को साथ लेना है मुझको
कंही कोई रिश्ता टूट न जाए,
मुझसे इसकी फिकर है, फिर भी ज़रा आहिस्ता चल जिंदगी,

मुझे अपनों को जितना है,अपनों से नहीं,
मुझे उनकी ज्यादा कदर है सपनो की नहीं,
खुसी ख़ुशी की खातिर में अपनों को छोड़ दू
मैं उन झूठे बादरंगो ने से नहीं,
मुझे सबकी कदर है, फिर भी ज़रा आहिस्ता चल जिंदगी,

मेरा मकान की ऊंचाई कुछ कम हो मंजूर है,
मेरा नाम रईसों में शुमार न भी हो तो गम नहीं,
कुछ बेहतरीन पल जो मैंने अपनों के संग बियाये है
वो किसी खजाने से कम नहीं,
ये मुफलिसी हमारे सर है फिर भी ज़रा आहिस्ता चल जिंदगी,

बड़ा लम्बा सफर है फिर भी ज़रा आहिस्ता चल जिंदगी.....

No comments:

Post a Comment

आपके अमूल्य राय के लिए धन्यवाद,