Wednesday, 4 January 2017

लाइफ मंत्रा : इमोशनल बैंक अकाउंट

इमोशनल बैंक बैलेंस...

कभी सोचा है कि क्यों हम किसी अजनबी से मजाक नहीं करते,किसी अनजान आदमी से कोई मदद माँगते समय कई हम बार सोचते है,क्यों किसी अपरिचित से बाते करने से पहले इतना सोचते है,जबकि किसी अपने दोस्त या परिचित से बात करते समय हमको सोचना नहीं पड़ता, उससे मदद माँगते समय बिना कुछ सोचे मदद मांग लेते है,

एक्चुअली दुनिया में साधारणतः सब चीजे अर्थविज्ञान(इकोनॉमिक्स) के सूत्रों की तरह काम करती है आपसी रिश्ते और व्यवहार भी इससे अछूते नहीं है,हम हर चीज की उतनी ही कीमत चुकाते है जितनी हम समझते है चाहे वो सामान हो, व्यक्ति हो, साथ हो, या तकलीफ है, अर्थविज्ञान में एक सूत्र है कि किसी भी वास्तु की कोई भी कीमत नहीं होती..उसकी कीमत समय, स्थान, जरुरत, और  उसकी मांग तय करती है, जैसे आलू जहा पैदा होता है वहां 2 रूपये, जहा उपयोग होता है 5 रूपये, कभी शॉर्टेज हो जाए तो 20 रूपये हो जाता है,

वैसे ही हम भी किसी की इंसान की जरूरत अपने वक्त और जरुरत के हिसाब से तय करते है, अगर हमें लगता है कि वो व्यक्ति हमारे लिए आगे भी फायदेमंद हो सकता है तो हम उसके लिए ज्यादा कमिटेड होते है, अगर हमें लगता है आगे चल कर शायद हमारे कोई काम नहीं आयेगा तो हम उसके लिए मन में कोई ख़ास भाव नहीं रखते,ये किसी की नजरो में ज्यादा या कम महत्वपूर्ण होना हमारा इमोशनल बैंक बैलेंस तय करता है,

जैसे एक बैंक अकाउंट में हम पैसे जमा करते है और जरुरत पड़ने पर निकाल लेते है वैसे ही हर किसी के मन में हम अपने स्वभाव,सहायता, और बातो द्वारा इमोशनल बैलेंस  बनाते है,और हमारे द्वारा उनके प्रति की जाने वाले गलतियां, हमारे द्वारा मांगी गई मदद उसका विथड्रॉल है, हम उतना ही निकाल सकते है जितना हमारा बैलेंस है, और जब उससे ज्यादा निकालने की कोशिश करते है तो बैंक मना कर देता है, हम लोगो को जितना माफ़ कर लोगो के मन में अपना emotinal बैंक बैलेंस बढ़ाते है उठाना ही गलतियों में  withdraw  कर के निकाल लेते है, लोगो के काम आना, उनके बारे में सोचना, उनकी मदद करना, उनके लिए कुछ करना, उनको खुसी देना  डिपाजिट है,

वंही किसी से कोई मदद मांगना, किसी का मजाक उड़ाना, उसका दिल दुखाना,  किसी को तकलीफ देना उसका विथड्रॉ है, हमारे आपसी रिश्ते  इस इमोशनल बैंक बॅलन्स के अमाउंट पर टिके हुए है, जितना बैलेंस ज्यादा होगा, उतना आपस में भरोसा बढ़ेगा,प्यार बढ़ेगा, सम्बन्ध मजबूत होंगे,और इसका विपरीत भी उतना ही सही है,

मगर एक आम बैंक अकाउंट में और इमोशनल बैंक अकाउंट में ये फर्क है कि अगर आप बैंक में 1000 रूपये जमा करते है तो बैंक में 1000 ही जमा होते है ,जबकि इमोशनल बैंक अकाउंट में ये अमाउंट हर आदमी की सोच के साथ बदल जाता है मतलब आप अपनी सोच में किसी के इमोशनल बैंक अकाउंट में 1000 भावनाएं जमा करते है और उसके हिसाब से उसके अकाउंट में 500 भावनाएं जमा होती है, और किसी के साथ 1000 भावनाएं के बदले 1500 भावनाएं जमा होती है,

हां दोनों जमा में एक बात बहुत common है की आम बैंक की तरह ये एमोशनल बैंक भी कभी कभी डिफ़ॉल्ट कर सकता है, इसलिए अपना अपना बैंक सोच संमझ कर चुने...

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