Monday, 28 August 2017

लाइफ मंन्त्रा: एक ही बात के कई मतलब निकाले जा सकते है

एक दार्शनिक ने शराब की बुराइयों को बताने के लिए लोगो के सामने एक डेमो रखा,उसने दो जार लिए, एक मे पानी भरा और एक मे शराब डाल दी,पहले उसने पानी मे एक कीड़ा डाला,जो कि आराम से पानी मे तैरता और खेलता रहा,फिर उसने शराब के जार में एक कीड़ा डाला जो कि छटपटाता और मर गया,इस डेमो के बाद उसने लोगो से पूछा कि मेरे इस डेमो से आप लोगो ने क्या सीखा,जहां अधिकतर लोगों  ने कहा कि इसका मतलब ये है कि शराब मारने का काम करती है,सेहत के लिए हानिकारक है,वही एक इंसान का मत थोड़ा हास्यापद मगर बिल्कुल अलग और निराला था, उसने कहा आप के इस प्रयोग से हमे ये शिक्षा मिलती है कि शराब पीने से पेट के कीड़े मर जाते है,

ये बात दर्शाती है कि कई बार आप जो बात कहना चाहते है वो हमेशा उस रूप में लोगो तक नही पहुचती जिस रूप में आप कहना चाहते है,किसी भी बात का अर्थ एक से दूसरे दिल/दिमाग तक पहुचते पहुचते अलग रूप में भी पहुचती है,क्योकि एक बात से बहुत भावार्थ निकलते है,और ये हर किसी के बौद्धिक स्तर और मानसिकता पर निर्भर करता है कि कौन,कब,किस बात को किस परिपेक्ष में ले,आप जो बात कहना चाहते है ये बात उसी रूप में सामने वाले के पास पहुँचे इसके लिए शब्दो का सही चयन होने के बाद भी कई बार आपके कहने का तरीका आपके कहने का भावर्थ बदल देता है,

देश के 2009 के तत्कालीन ग्रामीण विकाश मंत्री जयराम रमेश में स्वछता को लेकर एक बयान दिया था की " घरों में देवालय से पहले सौचालय बनाने चाहिए" तो इस बात पर बहुत विवाद हुआ था,और इसे हिन्दू धर्म और आस्था से जोड़ कर देखा गया था जबकि जयराम रमेश कंही न कही एक अच्छी बात कहने की कोशिश कर रहे थे कि घरों में शौचालय जरूरी है,लगभग यही बात प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने भी कही और उनकी बातों को लोगो ने हाथों हाथ लिया, एक ही बात शब्दो के हेरफेर और कहने के तरीके के कारण किसी को जीरो तो किसी को हीरो बनाती है,

कमोबेश हमारी जिंदगी में हर रोज यही होता है कभी कभी कुछ सही शब्दो के अभाव में,कुछ गलत रिप्रजेंटेशन के अभाव में,कुछ गलत तुलना के अभाव में हम जो बात कहना चाहते है उससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है फिर हमारे सकारात्मक रुख को कोई नही देखता,कुदरत का अजीब खेल है एक ही चीज को एक ही समय मे एक ही जगह में कई व्यक्ति देखते है उसके बारे में अपनी अलग अलग राय रखते है और मजे की बात सब सही रहते है,हर किसी की मानसिकता अलग है,सोच अलग है,सोचने का ढंग अलग है,

अपनी बात सही ढंग से ,सही रूप में,सही जगह तक लोगो तक पहुचना एक बहुत ही दुर्लभ कला है,जो हर किसी के बस की बात नही,बस लेकिन अपने लिए ये नियम बना के चले कि कोशिश करे कि हर बात में छुपी सकारात्मकता को ग्रहण किया गया और नकारात्मकता को इग्नोर कियाया जाए, क्योकि एक ही बात आपको बहुत कुछ सिखाती है,गन्ने के कई उपयोग है इसका शर्बत भी बनता है और विशेष परिस्थितियों में इसे लठ्ठ के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है,हर बात/कार्य के कई रूप होते है,जब कोई सोने की खुदाई के लिए जाता है तो 1 किलो  सोना पाने के लिए आपको के ट्रक मिट्टी हटानी पड़ती है,लेकिन आप का मकसद मिट्टी नही सोना पाना होता होता है,इसके लिए आप मिट्टी को इग्नोर करते है,कीमती वो  चीज है जो हम खोजना चाहते है,किसी भी बात/कार्य से सकारात्मक अर्थ ग्रहण करे,

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