पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में बिहार के बक्सर के डीएम मुकेश पांडेय की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में है,उन्होंने आत्महत्या से पहले एक वीडियो बना कर इसके बताया कि अपनी पत्नी और माता पिता के बीच निरंतर हो रही पारिवारिक कलह से परेशान होकर उन्होने आत्महत्या ट्रेन के आगे कूदकर आत्महयता कर ली,2012 बैच के आई ए एस मुकेश ने न जाने कितनी मिश्किलो से लड़कर प्रतिष्ठित परीक्षा पास की मगर अपना अपने आप से हार गए,आत्महत्या से पहले मुकेश ने एक वीडियो बनाया और उस आत्महत्या का कारण अपनी पत्नी और मातापिता के निरंतर कलह को बताया,और इस निरंतर कलह के चलते उनका पारिवारिक जीवन नरक बन गया था,और इस कारण वो भारी चिंता के कारण अवसाद में थे,और ये अवसाद को खत्म करने का सबसेेआसान तरीका उन्हें आत्महत्या लगा और उन्होंने अपना जीवन खत्म कर लिया,जब 2012 में मुकेश आईए एस बने होंगे तो वो भारत के युवाओ के लिए प्रेरणा के स्रोत बने होंगे,उनका आत्मविश्वास जगा होगा मगर उनकी आत्महत्या ने करोडों लोगो के लिए एक गलत उदाहरण का मार्ग प्रसस्त किया कि आत्महत्या सभी समस्याओं का अंत है,
इस बात ने मुझे बहुत दुखी किया कि आम इंसान ही नही बल्कि अपने आप को सफल साबित कर चुके इंसान भी इस तरह का कदम उठाते है,ये बात शास्वत सत्य है कि हर व्यक्ति के मन मे कभी न कभी एक बार ये खयाल या ऐसा समय अवश्य आता है जब उसे लगता है कि उसके साथ जो मुश्किल है उससे उसकी जिंदगी खराब हो गयी है,वो अपनी मुश्किलो से बाहर नही निकल सकता और इस लिए वो मुश्किलो को खत्म करने का एक आसान रास्ता सोचता है और वो सोचता है कि खुद को खत्म कर के समस्या को खत्म कर लिया जाए,
कितनी गलत सोच है ये, सच ये है कि हम जिंदगी से नही अपनी संमस्याओ से परेशान है,तो इसलिए हमें अपनी जिंदगी नही समस्याएं खत्म करनी चहिये,"आत्महत्या एक क्षणिक समस्या का स्थायी हल है" ये बात हमेशा याद रखने की जरूररत है कि जिंदगी में कभी भी कुछ स्थायी नही,जैसे सुख स्थायी नही वैसे दुख भी नही,जैसे हमारे खुशनुमा दिन बीत जाते है वैसे ही मुसीबत वाले दिन भी बीत जाएंगे,जो मुसीबत से घबरा जाए वो इंसान कैसा??
एक बिल्ली जब दूध पीती है तो वो अपनी आंखे बंद कर लेती है और ये सोचती है कि उसे कोई नही देख रहा,वैसे ही आत्महत्या करने वाला सोचता हैकि उसकी आंखे बंद होने के बाद सारी समस्या का हल खुद ब खुद हो जाएगा,ऐसा नही है,अपनी संयस्या से भागकर उसका हल नही हो सकता,
मुकेश एक युथ आइकॉन थे,उन्है पारिवारिक समस्या थी तो इसके और भी हल हो सकते थे,मगर उन्होंने अपनी आशा छोड़ दी,जो उनके जीवन के अंत का कारण बनी,आज कल के युवा हर परेशानी का हल अपने जीवन ख़त्म करना सोचते है,चाहे वो प्रेम संबधो में मिली नाकामी हो, पढ़ाई में मील असफलता हो,या कोई और बात,वो सोचते है समस्या का खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है जीवन को खत्म कर लेना, लेकिन हर काम एक बेहतर ढंग से किया जा सकता है और आपकी समस्या भी बेहतर तरीके से हल की जा सकती है,कोई भी समस्या आपके जीवन से बड़ी नही,हमेशा उसके हल होने की उम्मीद है,
एक उम्मीद का दिया ही है जिसके टिमटिमाती रोशनी के साये में बड़े से बडी अंधेरी रात गुजर जाती है,उसे कभी मत छोड़िये,ये निराशा इस लिए भी होती है क्योंकि हम ये सोच लेते है कि हमारी समस्या दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है जबकि सच ये है कि आज हम जिस परिस्थिति में जी रहे है और अपने आप को कोस रहे है वैसी जिंदगी जीने के लिए लाखों लोग भगवान से दिन रात प्रार्थना करते है,समस्याएं सबके साथ है,परेशान सब है,मुश्किल सबके साथ है,अगर आप के साथ कुछ गलत हो रहा है,कोई समस्या है तो उस समस्या को खत्म कीजिये,अपने आप को नही,
जब भी आपके मन मे आत्महत्या या ऐसा कोई गलत विचार आये एक बार अपने माँ बाप के बारे में जरूर सोचिये जिन्होंने आपको बड़ा और लायक बनाने के लिए क्या कुछ नही किया,एक बार अपने बच्चों के बारे में जरूर सोचिये की आपके बाद उनका क्या होगा,उन लोगो के बारे में सोचिये जो आप पर निर्भर है,आप का जीवन सिर्फ आपका नही आप के आस पास आपसे जुड़े लोगो का भी उस पर अधिकार है, आपको कोई हक नही उनका ये अधिकार छीनने का,
एक गिलास पानी भरने के लिए टेंकर लाना कोई समझदारी नही,वैसे ही अपनी अस्थायी समस्याएं को हल करने के लिए आत्महत्या की सोचना भी मूर्खता है,अगर आप परेशान है तो परेशनी खत्म करे जीवन नही,कभी ऐसा विचार आये तो किशोर कुमार के गाने के ये बोल याद कीजिये
"सारे जहां की अमानत है ये ,ये जीवन तुम्हारा तुम्हारा नही,
जीवन मिटाना है दीवानगी,कोई प्यार जीवन से प्यार नही,
जीने के लाखों सहारे यहां,बस एक ही तो सहारा नही,
जीवन मिटाना है दीवानगी कोइ प्यार जीवन से प्यारा नही,
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