Monday, 21 August 2017

लाइफ मंत्रा: आपकी मर्जी के बिना कोई आपको छोटा महसूस नही करा सकता

घर से नहा धोकर मंदिर गया,मंदिर से बाहर निकला तो पता चला की मैं भूल से मैं दो अलग अलग चप्प्पल पहन आया था,उस दो अलग अलग चप्पल को पहन में वापस घर जाने में मन को बहुत शर्मिंदगी का अहसास हुआ ,वापस आते समय ऐसे लग रहा था की जैसे सारी दुनिया मुझे ही देख रही है,और मुझे चिढ़ा रही है,राम राम करते मैं किसी तरह घर पहुचा,मुझे किसी ने नहीं टोका,मगर घर से मंदिर को वो छोटा सा रास्ता पहाड़ की तरह गुजरा,जाते वक्त जो रास्ता पांचमिनट का था आते समय वो रास्ता बहुत लंबा प्रतीत हुआ,हर वक्त यही डर की कंही कोई देख न ले और शर्मिंदा न कर दे,लेकिन मैं बिना किसी के टोके घर पहुच गया जबकि रास्ते मे कई परिचितो से मिला भी,

इस छोटी सी घटना ने इंसानी के मनोविज्ञान की एक बहुत बड़ी बात का अहसास हुआ की हम अगर आप को गलत मान लेते है तो खुद को बहुत शर्मिन्दा कर लेते है,ये सिर्फ हमारी सोच है की कुछ गलत कर हम दुनिया के लिए दोषी हो गए या हास्यापद हो गए है,

कहने का अर्थ ये है की हम अपने आप को उसी रूप में देखते है जो की हम अपने बारे में सोचते है...दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती है इसका निर्धारण हम खुद की करते है,किसी को भी अपने बारे में।सोचने का अधिकार हम खुदु देते है, उनको हमारा मजाक बनाने का अधिकार हैम खुद देते है,

इसलिए कभी कभी अपनी गलतियों के लिए
अंधे बन जाइए ,अपनी बुराइया सुनने के लिए बहरे हो जाइये,एक पुरानी कहावत है कि "गर्मी ,ठंडी और बेज्जती उतनी ही महसूस होती है जितनी कि महसूस किं जाये" कोई बात  आपको कितनी परेशान करती है ये बात आप खुद ही निर्धारित करते है, कोई आपको गुस्सा दिलाता है है तो गुस्सा व्व नही दिलाता आप होते है,कोई बात आपको चिड़चिडा करती है तो वो बात नही बल्कि आपका स्वभाव करता है,आपकी भावनाओं को कंट्रोल करने का आधिकार लोगो को मत दीजिये ,अपना रिमोट  अपने हाथ मे रखिये |

आपको  रास्तें में आने वाले कंकडों से परेशानी होती है तो पूरी दुनिया मे कार्पेट बिछाने से कंही ज्यादा आसान हौ की पांवो में जूते पहन लिया जाए, आपकी मर्जी के बिना आपको कोई छोटा महसुस नहीं करा सकता,मन के हारे हार है,मन के माने जीत...

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