Friday, 18 August 2017

लाइफ मंत्रा: आप अपनी ब्रांडिंग खुद करते है

आज का लेख थोड़ा लंबा लग सकता हैंगर बेहद महत्वपूर्ण है अगर आप एक सक्रिय सोशल मीडिया यूजर है तो,थोड़ा समय निकालकर अवश्य पढ़ें,

कल मेरे एक कजिन Vineet Agrawal के साथ बहुत दिन बाद मुलाकात हुई,विनीत एक कंप्यूटर इन्जिनियर  है,और उसकी एक रेपुटेड आई टी कंपनी में प्लेसमेंट हो चुकी है, मगर अभी कॉल नही आया है,अभी अपने खाली वक्त में वो वेबसाइट डेवलोपमेन्ट और डिजिटल मार्केटिंग का काम कर रहा है,उसकी बातें,उसके साथ गुजारे हुए 3 घण्टे और उसके वर्किंग स्टाइल को देखकर ये बात मैं शर्तिया कह सकता हु की वो एक भविष्य का बिलेनियर और एक सक्सेस युथ आइकॉन है,उसका ज्यादा फोकस डिजिटल मार्केटिंग में है,और उसके साथ डिजिटल मार्केटिंग को लेकर कई बातें हुईं,जिसमे उसने बताया कि वो उसे पिछले कुछ महीनों से एक ब्रांड मैनेजर के साथ काम करने का अवसर मिला जो कि किसी भी चीज के ब्रांडिंग में स्पेशलिस्ट है,उससे काफी कुछ सीखने को मिला कि कैसे कोई चीज ब्रांड बनती है या बनाई जाती है,किसी चीज को एक ब्रांड बनाने के लिए उसके छोटे छोटे पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है,ब्रांड के लोगो से लेकर टैगलाइन तक सभी चीजों के लिए डीप रिसर्च की जाती है, उस ब्रांड के प्रोस्पेक्टिव यूजर के बारे में डेटा कलेक्ट किया जाता है, उनके मनोविज्ञान और मानसिकता को समझा जाता है उस पर स्टडी की जाती है,और ये सभी चीजें निर्धारित करने के बाद लगातार उस का विज्ञापन किया जाता है,उस ब्रांड से रेलेटेड हर चीज एक ही लोगो, कलर कॉम्बिनाशन,डिज़ाइन टैगलाइन,बारम्बार अपने प्रोस्पेक्टिव ग्राहक के सामने रिपीट किये जाते है,जिससे धीरे धीरे ग्राहक के दिमाग मे उस की छवि अंकित होने लगती है, और धीरे धीरे ग्राहक को उस ब्रांड को इग्नोर करना मुश्किल हो जाता है,और वो उसका निरन्तर ग्राहक बन जाता है, साथ ही ये निरंतरता इतना इफ़ेक्ट करती है कि उससे मिलती जुलती लोगो या कलर कॉम्बिनाशन में भी उसे वो ही ब्रांड नजर आने लगता है,उदाहरण के तौर पर लाल रंग की हिंदी में लिखा हुआ कोई भी लोगो देखने पर हमें" आज तक" याद आता है,कही लाल सफेद पट्टी दिख जाए और उस पर कुछ लिखा हो तो एयरटेल याद आ जाता है,ये मेमोरी धीरे धीरे इतनी स्ट्रांग होती जाती है कि हम धीरे धीरे बिना नाम के भी सिर्फ लोगो से उस ब्रांड को पहचानने लगते है,इसे बिज़नेस की भाषा मे ब्रांडिंग कहा जाता है,

जैसे ब्रांड मैनेजर किसी चीज का ब्रांड बनाते है वैसे ही हम खुद भी अपना ब्रांड बनाते है,आजकल सोशल मीडिया में हम इतने एक्टिव है कि वो हमारे जिंदगी का हिस्सा बन गया है,और जाने अनजाने हम इसको उपयोग कर के अपनी सही या गलत ब्रांड बनाते है, यहां ब्राण्ड मतलब आपकी इमेज अपनी छवि,वो पूर्वाग्रह जो लोग आपके बारे में आपसे मिलने से पहले सोचते है,आपके प्रति लोगों की सोच है,हमारे बारे में लोगो की राय क्या है वो क्या सोचते है इसका निर्धारण हम खुद ही करते है,और आज कल इसबात के निर्धारण में हम जिस तरह से  सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप्प को उपयोग करते है,वो बहुत महत्वपूर्ण हो गया है,हम अपनी दिन प्रतिदिन दिन की एक्टिविटी सोच,प्रोग्राम सोशल मीडिया में पोस्ट करते है जो कि लोगो के मन मे हमारी वैसे ही छवि बनाता है,

कुछ लोग बिना किसी बात/खबर को कन्फर्म किये उसको पोस्ट करते है जिनमे से ज्यादा अफवाहै होती है,लगातार ऐसी पोस्ट उनकी विश्वसनीयता कम करती है,कुछ लोग दिन रात सोशल मीडिया पर गुड़ मॉर्निंग से लेकर गुड़ नाईट तक अपनी हर एक्टिविटी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते है उनके लिए लोगो के मन मे ये नकारात्मकता आती है कि वो बहुत खाली/और आम जीवन में निष्क्रिय है,जो लोग लगातार अंधविश्वास और "7 लोगो को भेजो मंगल होगा" जैसे पोस्ट लगातार करते है उनके बारे में ये सोच आम हो जाती है कि वो एक डरे हुए,वहमी,और अंधविश्वासी इंसान है,कुछ लोग लगातार " इसे शेयर करे और फ्री टॉकटाइम पाए" जैसे पोस्ट शेयर करते है ऐसे लोग अपने आप को एक लोभी और मनी माइंडेड  के रूप में अपनी इमेज बनाते है,लगातार दुखी शायरी /रोमांटिक पोस्ट छोड़ने वाले अपने आप को आशिक/दुखी आशिक के रूप में प्रोजेक्ट कर लेते है,लगातार अश्लील पोस्ट/चुटकुले/गालिया पोस्ट करने वाले कि मन मे अपने आप एक ठरकी/रसिक छवि बन जाती है,अपने बहूत ज्यादा सेल्फी और स्टॉउस अपडेट करने वाले के बारे में अहंकारी होने की धारना बनती है,जो लोग हर बात पर बहस करते आए और रिप्लाई देते है उनकेे बातो को लोग गंभीरता से लेना बंद कर देते है,वो अपनी कीमत ख़ुद। करते है,किसी भी बात का रिप्लाई न देने से आपकी व्यस्त नही एक अहंकारी इमेज बनती है,

जाने अनजाने हम अपनी सोशल मीडिया एक्टीविटी से अपनी छवि काफी डेमेज कर लेते है

वही कई लोग इसका अच्छी और व्यवस्थित ढंग से उपयोग कर अपनी सकारात्मक छवि भी बनाते है,जैसे कुछ लोग सोशल मीडिया में किसी भी गलत खबर/अफवाह का खंडन कर अपनी एक बुद्धिजीवी छवि बनाते है, किसी गलत बात का सही तरीके से विरोध कर वो अपनी बोल्ड और साहसिक इमेज बनाते है,अपने निरंतर सामाजिक संदेशो से वो एक सामाजिक छवि बनाते है,कई लोग अपनी आर्ट/टेलेंट को इसमे पेश कर अपने अपनी कलाकार की इमेज बनाते है,मेने खुद ये महसूस किया है कि जब से मै निरन्तर जीवनुपयोगी ब्लॉग/सक्सेस लिटरेचर/जानकारी / सोच लिख रहा हु तो मैरे बारे में भी लोगो की सोच काफी बदली है,

कुल मिलाकर मेरे कहने का मतलब ये है कि हम अपनी ब्रांडिंग खुद करते है,हम जो ये सोच कर सोशल मीडिया में कुछ भी पोस्ट कर देते है कि ये तो मुफ्त है इसके कोई पैसे नही लगते,हमे इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, सोशल मीडिया वो आईना है जहां न चाहकर भी आपका असली चेहरा/व्यक्तित्व झलक जाता है,इसलिए अपनी सकारात्मक छवि बनाने के लिए इसका सम्भाल कर उपयोग करे,अपनी ब्रांडिंग खुद कीजिये,अपनी ब्रांड वैल्यू खुद बढाइये,

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