Sunday, 27 August 2017

लाइफ मंत्रा: अकेला चना भी पहाड़ फोड़ सकता है,

लाइफ मंत्रा : अकेला चना भी पहाड़ फोड़ सकता है,

काटाबांजी और आस पास के इलाके के लोग आजाद क्ल्ब से भली भांति परिचित है,आजाद क्लब आस पास के अचल में अपने भव्य गणेश पूजा पंडाल,इसके यूनिक आईडिया,और कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ताओ के विख्यात है,अपने भव्य गणेश पंडाल और नए आईडिया इस गणेशोत्सव की पहचान है,लगभग 25 वर्षो से आजाद क्लब गणेशोत्सव धूमधाम से पालित करती हैऔर इसके लिए इसका यूनिक नेस के लिए इसकी अलग पहचान है,आजाद क्लब का हर सद्स्य अपने स्तर पर इसमे लिए अपना सर्वश्रष्ठ देता है, मगर पिछले कुछ वर्षों से  जिस एक व्यक्ति के निर्देशन में ये का दायित्वपूर्ण मार्गदर्शन में हो रहा है वो है,  Yuva Ashish Agrawal (जिसे लोग बद्री के नाम से बेहतर जानते है) ,वर्तमान आजाद गणेश  पंडाल के निर्माण में पिछले कुछ सालों से उसके भूमिका सराहनीय है, उसके बिना आजाद गणेश पंडाल की भव्य कल्पना थोड़ा मुश्किल है,पंडाल के डिजाइन से लेकर,हर छोटी बड़ी चीज का काम वो जिम्मेदारी से करता है,और ये उस की यूनिक सोच,अथक और निरंतर मेहनत का प्रयास रहता है कि आजाद गणेश पंडाल में इतनी भव्यता आती है, आशीष आजाद क्लब के उन महत्वपूर्ण आधार स्तंबो में से एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिस पर आजाद क्लब के गणेश पंडाल की इमारत खड़ी होती है,

आशीष जैसे लोग इस बार का उदाहरण है कि अगर  मन मे ठान लिया जाए तो सिर्फ अपनेइच्छशक्ति से भी काफी कुछ किया जा सकता है, हम अगर मन मे कुछ ठान ले,और उसके लिए पूरे दिल से अपना 100% दे कर काम करे तो कुछ भी असम्भव नही,हर काम पहले बहुत मुश्किल होता है और फिर हर मुश्किल आसान हो जाती है,लेकिन इसके लिय खुद पर भरोशा,निरन्तर कार्यशक्ति एवम समर्पण चाहिए होता है जो हर किसी के बस की बात नही,

हम बचपन से सुनते आए है कि "अकेला चना पहाड़ नही फोड़ सकता" इस कहावत का मतलब ये है कि हमे समाज मे मिलजुल कर चलना चाहिए मगर अपने अधूरे ज्ञान और सीमित सोच के कारण इस का मतलब ये समझ लिया गया कि अकेला इंसान कुछ नही कर सकता,कुछ भी करने के लिए इंसान को साथ चाहिए, एक अकेला आदमी भी दुनिया बदल सकता है लेकिन इसके लिए पहले खुद की बदलना पड़ता है,रोज आपके आंखों के सामने सैकड़ो ऐसे उदाहरण आते है जिसमे किसी ने नगर बदला है किसी मे गाव, किसी ने राज्य ,किसी ने देश,
लेकिन इसके लिए हर घड़ी अपने लक्ष्य को आंखों के सामने रखकर, दिन रात भूलकर उसके लिए प्रयास करना पड़ता है,

एक अकेला दशरथ मांझी  छैनी और हथौड़ी से पहाड़ तोड़ कर रास्ता बना सकता है,एक अकेला मार्क जुकरबर्ग सारी दुनिया को फेसबुक से एक प्लेटफार्म पर ला सकता है,एक अकेला मोदी एक राजनीतिक पार्टी को फर्श से अर्श पर पहुचा सकता है,एक अकेला साधारण सा पेट्रोल पंप अटेंडर देश की सबसे बड़ी कंपनी खड़ी कर सकता है,उद्दाहरण ऐसे करोडो है मगर जो बात इन सब में कॉमन है और इन्हें भीड़ से अलग करती है वो है इनका अपने उपर विश्वास,इनके काम करने की शैली,इनका हार न मानने का जज़्बा, निरंतर लगे रहने का जुनून,ऐसी बात नही की इन जैसे व्यक्तियों को सफलता/नाम/शोहरत इसलिए मिलती है की क्योकि इनकी किस्मत अच्छी होती है बल्कि इसलिए मिलती है क्योंकि इनकी मेहनत अच्छी और निरंतर  होती है,ये असफल तो होते है मगर असफलता इन्हें निरुत्साहित नही करती बल्कि सिखाती है,ये रिस्क लेने से नही डरते,जिम्मेदार होते है, लोगो की आलोचनाओं से इनको कुछ फर्क नहीं पडता,हार के बावजूद ये अपना काम करना बंद नही करते,रुकते नही,अपने काम मे लगे रहते है,ये नतीजो की परवाह किये किये बिना अपना सर्बश्रेष्ठ देने की कोशिश करते है बस यही बात ऐसे लोगो को खास बनाती है,

ऐसे लोग इस कहावत को झूठ लाते है कि "अकेला चना पहाड़ नही फोड़ सकता"ऐसे लोग आपको सिखाते है कि अकेला चना भी पहाड़ फोड़ सकता है,बस उसमें निरतंरता होनी चाहिए,अकेला आदमी भी दुनिया बदल सकता है मगर इनके लिए पहले खुद को बदलना होता है,
कोई भी बड़ा काम और उसकों करने के लिए संघर्ष अकेले ही करना होता है भीड़ तो आपके पिछे तब आती है जब आप सफल हो जाते है,सफलता के लिए भीड़ नही खुद का भरोशा चाहिए, इस विषय में  शहीदे-आजम भगतसिंह की कही एक बात कहना चाहूंगा कि" जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है,औरो के कंधे पर तो जनाजे जाते है"

आप क्या है या क्या नहीं है ये आप खुद तय करतेे है,आप अकेले है या कोई आपके साथ है ये कोई बहुत जयादा मायने नही ंरखता है मायने ये रखता है कि आप अपने काम के प्रति कितने कमिटेड है,जैसे एक सूरज पूरी दुनिया को रोशनी देता है,जैसे एक चांद पूरी रात रोशन कर देता है,एक अकेला आदमी भी दुनिया बदल सकता है,अकेला चना भी पहाड़ फोड़ सकता है|जिसे खुद पर भरोसा है उसके लिए कोई काम मुश्किल नही

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