लाइफ मंत्रा: जिंदगी भाग्य(chance) से ज्यादा चुनाव(choice) है
विकाश खेमका
कांटाबांजी(ओडिशा)
जीवन मे सफलता के ताले को खोलने के लिए कर्म और भाग्य की दो चाबियां लगतीहै, इसमें से एक चाबी हमारे पास रहती है,एक ईश्वर के पास,ईश्वर अपनी चाबी कभी न कभी अवश्य लगता है,और शायद वो समय हम अपनी चाबी को खोजने में लगा देते है,हमारी जिंदगी कैसी होगी ये अक्सर भाग्य नही हमारी चॉइस निर्धारित करती है,
हम रोज ये तय करते है कि आज का दिन कैसा होगा,हमारा भविष्य कैसा होगा,ये बात सही है कि जिंदगी अनिश्चित है,कभी भी कुछ भी हो सकता है,लेकिन हम उन अनिश्चितताओं की तैयारी तो कर ही सकते है,सिर्फ बारिश के पानी के भरोसे खेती करना,और आवश्यकता के समय पानी न मिलने के कारण फसल का सही न होना,इसे सिर्फ भाग्य का दोष तो नही कहा जा सकता,अगर हम समय पर उस पानी को संचय कर वैकल्पिक साधन जैसे बोरवेल या अन्य किसी माध्यम से पानी की आपातकालीन व्यवस्था रखे तो हम अच्छी फसल पा सकते थे, एक अच्छी प्लानिंग से हम किसी अनहोनी को टाल तो नही सकते लेकिन इसके दुष्प्रभाव को कम तो कर ही सकते है,ये प्लानिंग ही हमारी वो चॉइस होती है जो अकसर हमारा परिणाम तय करती है,
अगर हम सुबह लेट उठते है,तो अपने लिए एक व्यस्त शेड्यूल खुद तय करते है,
अगर हम थोड़ा योग या व्य्यायम नही करते है तो अपने लिये मोटापा खुद तय करते है,
अगर हम अपने खानपान को सही नही रखते है तो अपने लिए एसिडिटी,शुगर,बीपी जैसे बीमारियां खुद तय करते है,
अगर हम रफ़ गाड़ी चलाते है अपने लिए एक्सीडेंट खुद तय करते है,
अगर हम कमाई से अधिक खर्च करते है तो अपने लिए कर्ज खुद तय करते है,
अगर हम आवश्यकता से अधिक बात करते है तो अपने लिए असम्मान स्वयं तय करते है,
अगर हम किसी का साथ नही देते तो अपने लिए अकेलापन स्वयं तय करते है,
अगर हम अपने बच्चों को समय नही देते तो अपना खराब बुढापा स्वयंतय करते है,
अगर आप अपने जरूरी कार्यो को टालते है तो अपने लिए मुसीबते स्वयं तय करते है,
अगर हम कोई व्यसन पालते है तो अपने लिए अपना खराब स्वास्थ्य खुद तय करते है,
अगर हम अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास नही करते तो अपने जीवन को कमतर बनाना खुद तय करते है,
भाग्य एक बहुत बड़ी चीज है लेकिन सब कुछ नही है,भगवान की आपसे कोई पर्सनल दुश्मनी नही है कि आपको हमेशा दुर्भाग्य से पीड़ित रखेगा, ईश्वर सबको अपने कर्मो के हिसाब से ही भाग्य बाटता है,माझी - the माउंटेन मेंन फिल्म का एक संवाद याद आता है की हमेशा भगवान के भरोसे न बैठिए क्या पता भगवान खुद हमारे भरोसे बैठा हो, कर्मवादी नजरिया बनाइये, भाग्य आपके साथ होगा,
"हाथों की लकीरों को तकदीर न संमझ मेरे दोस्त,
तकदीर तो उनकी भी होती है,जिनके हाथ नही होते
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