लाइफ मंत्रा: जिंदगी आज कल
सूरज कभी नही डूबता ये सिर्फ हमारा भ्रम होता है असल मे ये पृथ्वी ही होती है जो सूरज की और से मुह मोड़ लेती है जिसे हम रात कहते है,ऐसे ही जिंदगी कभी नही बदलती बस ये हम ही है जो जिंदगी के लिए बदल गए है क्योंकि हमारी सोच,हमारा नजरिया जिंदगी केप्रति बदल गया है,
अब त्यौहार में उल्लास इसलिए नही है की हमारे मन मे त्यौहारों के लिए उत्साह ही नही है,रीमझिम की बरसाती बूंदे जो कभी मन मे रूमानी तरंगे उत्पन्न करती थी वो आज कल काम मे असुविधा उत्पन्न करने वाली चिड़चिड़ाहट का कारण बनती है,रिश्तेदारों से शादियों एवं पार्टियों में मुलाकात बस औपचारिकता में लिए है,दोस्त यार से बेवजह मिले जमाना सा गुजर गया, जिनसे मिले बिना दिन अधुरा सा लगता था आज कल उनसे महीनों मुलाकात नही होती,शौक ने जिम्मेदारियों के आगे हार ली है, शौक पूरे करना बोझ लगने लगा है,शरीर चार कदम चलने पर वक्त बेवक्त अहसास दिला देता है कि अब चालीस पूरे हो गए है,खाना क्या और कितना खाना है ये जायका नही एसिडिटी तय करती है,ख्वाहिशें और पेट पर कंट्रोल ही नही रहा,मुस्कुराने और हसने के लिए वजह ढूंढनी पड़ती है,अपना जन्मदिन आज कल कोई खास दिन नही रहा, आज कल ये नही गिनते की कितने सालके हो गए अब तो ये हिसाब लगाते है कि कितने बचे है? जो मेरे साथ हो रहा है ये सिर्फ मेरे साथ ही नही हो रहा है,ये लगभग मेरी उम्र के हर व्यक्ति केसाथ हो रहा है,बस खुद पर बितती है तो पता चलता है,अब खुशी खुश रहने में नही खुश रखने में है,सारी तकलीफे बच्चों की तुतलाती बाते सुनकर दूर हो जाती है,
कुल मिलाकर जीवन इसलिए बदल गया है क्योंकि अब हम अपने लिए नही अपने परिवारके लिए जीते है,कुल मिलाकर ये परिपक्व होने का अहसास एक संतुष्टि तो देता है लेकिन कही न कही बचपन का बिछड़ जाना का अहसास कुछ तकलीफ देह तो है ही...
खैर जीवन जैसा भी है..बेहतरीन है
अभी इसी नियम पर जीना है की
यू न अपने आप को कभी शर्मिंदा रखिये
उम्र को हराना है तो कोई शौक जिंदा रखिये!!!
एंजोयिंग 40+ लाइफ
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