कोई ऐसे ही निरंतर नंबर वन नही होता: कोई न कोई कारण होता है,
पुरे उड़ीशा में उड़िया दैनिक संवाद उड़ीसा के पत्रकारिता में सबसे बड़ा नाम है,अनाधिकारिक रूप से ये खा जाता है कि जितना सर्कुलेशन उड़ीशा में सम्वाद का है बाकी सब अखबारों का मिला कर भी उतना नहीं है,सम्वाद उड़ीशा का नंबर एक अखबार है,यही स्थान पश्चिम उड़ीशा में हिंदी दैनिक नवभारत है, जो पश्चिम उड़ीशा का सबसे बड़ा और ज्यादा सिर्क्युलते होने वाला हिंदी दैनिक है, इस विषय में आज मेरे एक मित्र Banti Gupta पसे मेरी बात हुई तो उन्हीने कहा कि कोई ऐसे ही नंबर वन नहीं होता,इन लोगो का काम करने का तरीका ही अलग है,रेस्पॉन्सिव है, छोटी छोटी बातों का केअर करते है,
इस बात ने कुछ सोचने पर मजबूर किया,हम अक्सर हम देखते है कि कई क्षेत्रों में कई कंपनिया, या कई लोग हमेशा नंबर वन होते है, उनका कोई मुकाबला ही नहीं है,क्रिकेट में सचिन हो,ओलिंपिक में माइकल फिलिप हो,गायन में लता मंगेशकर हो, अभिनय में अमिताभ हो, या और स्मार्टफोन में सैमसग हो,कंप्यूटर चिप में इंटेल हो,सॉफ्टवेयर में माइक्रोसॉफ्ट हो या फिर सोशल मीडिया में फेसबुक और व्हात्सप्प,इनका कोई मुकाबला ही नही है,कोई निकटतम प्रतिद्वंदी ही नहीं,
क्यों कोई व्यक्ति,कंपनी या संस्ता इतना बड़ा हो जाता है कि बाकी सब उसके सामने कोई टिक ही नहीं पाता,बाहर सेदेखने पर लगता है कि उनकी किस्मत अच्छी थी वरना वो ऐसे ऊँचे मुकाम पर नहीं पहुचते,लेकिन मित्रो ये सिर्फ किस्मत नहीं है ये अपने काम के प्रति उनका समर्पण उनका विश्वास,उनका जुनून है जो अपने अपने क्षेत्र में उन्हें नंबर वन बनाता है, किस्मत से आप कभी एक बार के लिए नंबर वन बन तो सकते है लेकिन टिके नहीं रह सकते,अगर ये सब आज अपने क्षेत्र में निरंतर उंचाईयों पर है तो इसके पीछे कोई न कोई कारण है,
ये कारण है उनका काम करने का तरीका, परफेक्शन,जोश,उत्साह, से काम करना, वो कुछ अलग काम नहीं करते मगर हर काम अलग तरीके से करते है, दंगल भारत के इत्तिहास में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म है जिसका श्रेय बहुत कुछ आमिर खान को जाता है उन्हें mr परफेक्शनिस्ट भी कहा जाता है,उनका काम करने का तरीका अलग है इस बात को इस बात से समझा जा सकता है कि इस फिल्म में 15 सेकेंड के उनके फाइट सीन के लिए उन्होंने 6 मंहिने तक मेहनत की और अपना वजन 34 किलो काम किया और फिर उस सीन के बाद एक प्रौढ़ व्यक्ति दिखने के लिए अगले 6 महीने में अपना वजन 52 किलो बढ़ाया,ये है परफेक्शन, सचिन तेंदुलकर क्रिकेट मे सबसे बड़ा नाम होने के बाद भी जब तक टीम में रहे लगातार 6 घंटे क्रिकेट की प्रैक्टिस की, तैराक माइकल फेलप जिन्हीने तैराकी में 21 ओलम्पिक स्वर्ण जीते वो ओलिंपिक में अपने 2 मिनट के प्रदेर्शन के लिए प्रतिदिन 12 घंटे अभ्यास करते है,
कुल मिला कर जो नंबर वन है उनका मुकाबला खुद से होता है और जो खुद से निरंतर जीतता रहता है उसे कोई नहीं हरा सकता,अगर आज कोई व्यक्ति सफलता का सूरज बन कर चमक रहा है तो इसलिए क्योकि वो पहले सूरज की तरह जला होगा,हर सफलता की ऊंचाई में खडे लोगो के पाँव में छाले होते है,
कोई ऐसे ही निरंतर नंबर वन नहीं होता ये उसकी किस्मत नहीं उसकी निरंतर मेहनत का प्रमाण है जो उसे लगातार उंचाईयों पर बनाये रखती है,इन सभी के जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, सिर्फ अपनी किस्मत को कोसना छोड़िए,अपने आप पर भरोसा कीजिये,आपकी किस्मत हमेशा तो ख़राब नहीं होती,अपने प्रयास को निरंतर रखिये,अक्सर कड़ी मेहनत काबिल लोगों को हरा देती है अगर काबिल मेहनत न करे ,
जो मुस्करा रहा है उसने कभी दर्द पाला होगा
जो चल रहा है उसके पैर में कंही छाला होगा,
ऐसे ही कोई नहीं चमकता सूरज सा मेरे दोस्तो,
जो जला होगा पहले उसी के पीछे तो उजाला होगा,
कोशिश करते रहिए...
Nice....as usual....:)
ReplyDelete