Tuesday, 18 April 2017

लाइफ मंत्रा:अपना रास्ता बदलिये- लक्ष्य नहीं

रास्ता बदलिए: लक्ष्य नहीं,

एक व्यक्ति रात को एक स्ट्रीट लाइट के नीचे कुछ ढूंढ रहा था, उसको कुछ ढूंढते देख लोगो ने उससे पूछा की क्या ढूंढ रहे हो,उस व्यक्ति ने बताया कि उसका पर्स गिर गया है,उसे खोज रहा हूं, लोगो ने उसकी पर्स ढूढने में मदद की मगर नहीं मिला तो लोगो ने उससे पूछा की कुछ अंदाजा है कि पर्स कहा गिरा, तब उस व्यक्ति ने बताया कि यहाँ से आधा किलो मीटर दूर एक अँधेरे रस्ते में उसका पर्स गिर गया है, लोगो ने उस पर गुस्सा किया और कहा- क्या पागलो के जैसे हरकते कर रहे हो, जब पर्स यहाँ से आधा किलोमीटर दूर अँधेरे रास्ते में गिरा है तो यहाँ क्यों ढुढ रहे हो, तो उस आदमी ने मासूमियत से जवाब दिया की क्योकि वहां अन्धेरा है, और किसी भले मानस ने मुझसे कहा कि उजाले में ढूंढना जल्दी मिल जाएगा,और यहाँ उजाला है इसलिए उजाले में ढूढने से जल्दी मिल जाएगा,शायद इसलिए यहाँ स्ट्रीट लाइट के उजाले में ढूंढ रहा हु,लोगो ने अपना सर पिट लिया,

हम भी बहुत कुछ उस व्यक्ति की तरह है जो  हमेशा अपना सुख,चैन, सफलता, ख़ुशी, ढूंढते है लेकिन वहां जहा वो नहीं होता है, हम पैसो की चकाचौन्ध,गाडियो की चमक, भौतिकतावाद की रौशनी में अपना सुख खोजते है,जो की वहां है ही नही, उस सुख को तो हम अपने परिवार की अँधेरी गालियो में छोड़ आए है, अपने सोते हुए बच्चो के पास छोड़ आए है,वो सुख हम भावनाओ को दरकिनार करके उत्पनन हुए अंधेरों में छोड़ आए है, और सुख को हम सुविधावादी जीवन शैली में तलाश करते है,हम् मानव जाति है जो समाज से जुड़े है, समाज के अंधेरों को दूर किये बिना हम अगर अपनी घर में रौशनी करने की कोशिश करते है और सोचते है कि खुश रह लेंगे तो ये हमारा भ्रम है, अपने परिवार की अवहेलना कर अगर हम पैसे कमा कर अपने आप को सुखी रख सकते है ये हमारा भ्रम है,

इसके अलावा एक बात और है,हम जब किसी कार्य में असफल होते है तो उसके लिए अपने प्रयासो को सुधारने और बंदलने की जगह हम अपना लक्ष्य बदल देते है,जिस जगह आप को पता है कि 20 फ़ीट खोदने के बाद पानी निकलेगा,वहा हम 5 - 5 फ़ीट के 4 गड्ढे खोद कर कहते है कि हमने तो पूरी कोशिश की थी मगर हमारी किस्मत ही ख़राब थी,की हमें सफलता नहीं मिले,हम हमेशा उन बातो में सुधार करते है जो आसान  तो होता है मगर हमारी असफलता के लिए मुख्य कारण नहीं होता, और जो असफलता के लिए मुख्य कारण होता है उसे सुधारना थोड़ा मुश्किल होता है ,इंसान की प्रकृति है कि वो मुश्किल काम से भागता है,और हम अक्सर अपने प्रयासो का दिखावा करते है, हमें असफल होना गवारा है मगर अपने आप को प्रयास करता दिखाकर हम सामाजिक उपेक्षा से बचना चाहते है,लेकिन अगर कुछ पाना है या कुछ ढूढना है तो पहले इन बहानो को भूलना होगा,और मुश्किल काम करना होगा, हर आसान काम पहले मुश्किल होता है और फिर हर मुश्किल आसान हो जाती है,नादिया रास्तो की लंबाई देखकर बहना नहीं छोड़ती,अपने प्रयास जारी रखिये, और बहाने छोड़िए,

अपने प्रयास सही जगह और सही क्षेत्र में  में लगाये, जहा आवश्यक्ता है वहां मेहनत कीजिये,रास्ते की मुश्किलें देखकर लक्ष्य मत बदलिए,बल्कि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपना रास्ता बनाइये,

कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नही,
हारा बस वो है जो मुश्किलों से लड़ा नहीं,

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