शौक से मंदिरों में गायत्री मन्त्र गूंजे,
शौक से मस्जिदों में अजान बजता रहे,
बस इतना ख्याल रखना की ऐसा न हो,
किसान आत्महत्या कर ले,और जवान मरता रहे,
धूम धाम से दीपावली के दिए जले,
शौक से ईद का त्यौहार मनता रहे,
बस इतना ख्याल रखना की ऐसा न हो,
की कोई गैर सरहदों पे अपने देश पर तनता रहे,
कंही कर लो आरती,कंही पर भी नमाज हो,
बस सबक इंसानियत का सबको याद हो,
मंदिरों में जल चढ़े या मंस्जिदों में चादरे
बस कोई भूखा न हो और ना कोई नँगा नाच हो,
मंदिरों में अल्लाह और मस्जिदों में भगवान् बस जाए,
मुसलमानो में हिन्दू और हिंदुओं में मुसलमान बस जाए,
कभी हथेली जोड़कर जो कभी हथेली खोलकर माँगा,
बस इतना ही की हर के दिल में हिंदुस्तान बस जाए,
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