समर्पित सभी निवर्तमान अध्यक्षो को,
सत्र 2016-17 का अनुभव,
*उसका काम करना इतना आसान है,*
*वो अध्यक्ष है कोई रजनीकांत नहीं*
सभी के नखरे उठाना,
सभी की बाते सुनना ,
कभी को मिला कर चलना
सभी को मना कर चलना,
*सभी को खुश रख सके वो कोई भगवान् नहीं,*
*वो अध्यक्क्ष है कोई रजनीकांत नहीं,*
अपना शतप्रतिशत देकर भी ताने सुनना,
दिन रात एक कर के भी लोगो के बहाने सुनना,
हर किसी के साथ पर उसका आभार देना,
किसी का साथ न भी मिले तो स्वीकार लेना,
*सबको साथ ले कर चलना आसान नहीं*
*वो अध्यक्क्ष है कोई रजनीकांत नहीं,*
वो जिसने आपकी कमी को ढका हो,
वो जो अपने कार्य से न थका हो,
वो जिसने आपके हिस्से का कार्य भी किया हो,
वो जो आपकी बातों से कभी न पका हो,
*उस की क्या कोई अलग पहचान नहीं*
*वो अध्यक्क्ष है कोई रजनीकांत नहीं,*
वो आपके बीच का ही एक सदस्य है
आप के प्रेम और विश्वास से बना है,
उसको आप सब की जरूरत है,
आप सभी के लिए वो हर दंम तना है,
*ऐसे व्यवहार न करो उससे वो कोई अंजान नहीं,*
*वो अध्यक्क्ष है कोई रजनीकांत नहीं,*
जिसका साथ मिले उसको शुक्रिया कहता हूं,
जिसका न भी मिला उसे भी कभी क्या कहता हूं,
इस वर्ष की सफलता में आप सभी का सह्ययोग रहा
माफ़ी चाहता हु अगर किसी के मन में मेरे प्रति वियोग रहा
*भूल मुझसे भी ही सकती है,क्या मैं इंसान नहीं*
*वो अध्यक्क्ष है कोई रजनिकान्त नहीं*
इस अध्ययक्षीय कार्यकाल में कई लोग जिनसे उम्मीदे थे उनका साथ नहीं भी मिला तो कोई ख़ास बात नहीं, कुछ ऐसे भी सदस्य है जिनसे कोई उम्मीद नहीं थी मगर उनका भरपूर साथ मिला,
जैसा भी साल गुजरा ये साल अच्छा था,
इस बात की ख़ुशी है कि मेरा प्रयास सच्चा था,
विकाश खेमका
निवर्तमान अध्यक्क्ष
काटाबांजी शाखा,
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आपके अमूल्य राय के लिए धन्यवाद,