Wednesday, 19 April 2017

आरएसएस- एक आदर्श कार्यशैली

मेरा ये लेख उन लोगो के लिए है जो आरएसएस को सिर्फ न्यूज़,टीवी,अखबारों, और लोगो से सुनकर जानते है,मैंने इस लेख में सिर्फ शाखा की कार्यशैली के बारे में।जानकारी दी है, जो की आपको कभी बताई या दिखाई नहीं जाती,

*आरएसएस: एक पारम्पारिक भारतीय जीवन शैली,सादा जीवन: उच्च विचार,*

- *विकाश खेमका,काटाबांजी*

आरएसएस का नाम सुनते है एक चित्र जो मन में उभरता है वो है खाकी हॉफपेन्ट,और सफ़ेद शर्ट  पहने, सर में काली टोपी लागाये,हाथो में एक लठ्ठ लिए  एक इंसान और साथ में एक कट्टर हिन्दुत्वावादी सोच, अभी तक आम जनमानस में इसकी यही परिभाषा है,देश का ही नहीं विश्व का सबसे बड़े गैर सरकारी स्वयं सेवी और सामाजिक संगठन जिसके लगभग पुरे विश्व में 50 लाख से अधिक कार्यकर्ता है, इस संघटन का मूल उद्देश्य हिन्दू राष्टवाद है या राष्ट्रवादी हिन्दू होना है ये इसके आविर्भाव से विवाद का विषय रहा है मगर मेरा ये लेख इसके उद्देश्यों लेकर नहीं बल्कि इसकी कार्यशैली को लेकर है,इस लेख का उद्देश्य शाखा की कार्यशैली और  हमारी आम  जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालना है, जिस व्यक्ति ने सिर्फ आरएसएस का नाम टीवी में, मीडिया में, या लोगो से सुना है उसके लिए आरएसएस सिर्फ एक संस्था है जो  हिंदुत्व के हितों के लिए कार्य करती है,जिन्होंने इसकी निरन्तर प्रतिदिन लगाने वाली शाखा नहीं गए है वो इनकी कार्यशैली से परिचित नहीं है,

मैं शिशु मंदिर में पढ़ा हुआ हुआ छात्र हु, और शिशु मंदिर आरएसएस की ही एक इकाई शिक्षा विकास समिति द्वारा संचालित होता है, इसलिए इसकी शिक्षा पद्धत्ति पास संघ की विचारधारा का स्पष्ट प्रभाव है,इसके लावा पिछले एक साल से लगभग नियंमित शाखा से जुड़कर मैंने इसे महसूस किया है, उसी का कुछ अनुभव है कि शाखा की कार्यशैली कैसे एक आदर्श जीवन जीने को प्रेरित करती है,

जो लोग शाखा नहीं गए है उनको बता दू की लगभग एक घंटे की प्रतिदिन लगने वाली शाखा में क्या होता है,इस एक घंटे में सबसे पहले एक निश्चित समय में ध्वज लगाकर उसको गुरू मनाकर प्रणाम किया जाता है, फिर मिनटं का थोड़ा वर्क आउट , फिर दंड अभ्यास(लठ्ठ चलाना), फिर योगासन,योग, फिर समता( सैनिकों द्वारा किया जाना वाला साधारण अभ्यास) फिर खेल,फिर एक सामूहिक गीत, कुछ बौद्धिक चर्चा,फिर ध्वज प्रार्थना जिसका अर्थ राष्ट्रहित के लिए खुद को मजबूत बनाकर राष्ट्र का सर्वश्रेठ बनाना है के साथ शाखा समाप्त की जाती है,

इस एक घंटे में शाखा में प्रयास किया जाता है कि मानव के व्यक्तित्व विकाश के सभी पहलुओं को स्पर्श किया जाये,सबसे पहले तो शाखा में समय को बड़ा महत्व दिया जाता है ,और समय परायणता को विशेष ध्यान दिया जाता है,शाखा में किसी भी व्यक्ति को गुरु को दर्जा नहीं दिया गया ध्वज को दिया गया है,जिसके पीछे तर्क ये है कि व्यक्ति का ह्रदय परिवर्तन शील होता है जबकि भगवा ध्वज एक त्याग का प्रतिक है और हिन्दुधर्म में हमेशा स्मामन्नीय है,इसके बाद वर्क आउट और योगासन द्वारा शारीरिक विकाश, दंड अभ्यास द्वारा आत्मरक्षा के गुर सीखना, खेल द्वारा मनोरंजन, संमता एवम सामूहिक गीत में एक एकता का अभ्यास, बौद्धिक में शरीर का मानसिक विकास एवम निरन्तर प्राथना कर संघ के उद्देश्यों की पुंरावरित्ति कर उसे स्मरण रखने का प्राइस किया जाता है,

इसके अलावा शाखा की मूल सिद्धन्त है आडम्बर हिन् जीवन, छुआछूत रहित भावना, सेवा कार्य,परस्पर समानता का भाव, जो की मेरी इस चर्चा का मूल विषय है,शाखा के कोई भी कार्यक्रम जिस सादगी से होता है वो प्रशंसा के लायक है, इसमें चाहे जितना बड़ा से बड़ा अधिकारी आ जाये वो जमींन में ही बैठता है, अपनी खाने की प्लेट खुद धोता है, अपने सारे काम खुद करता है,अनुशाशीत होता है,बड़ा या छोटा नहीं होता,शाखा में धन या जाति से कोई बड़ा नहीं होता,इसमें सभी को एक समान माना जाता है,कुल मिला कर जीवन के चहुमुखी विकाश के लिए जो मैनेजमेंट के फंडे बड़े बड़े विद्यालयो की पुस्तकों में थ्योरी के रूप में पढ़ाया जाता है शाखा में वही सब व्यवहारिक रुप से बताया जाता है

आज के आडम्बर पूर्ण जीवन में जहा लोग भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे है,एक छोटे से आयोजन के लिए लाखी खर्च कर देते है है ऐसे में एक सिमित व्यवस्था में केवल अनुशाशन और अभयास के द्वारा कैसे आडम्बर हींन आयोजन किया जाये इसका उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है,शाखा में आपको ये याद दिलाया जाता है कि चाहे आप जितनी भी धनी या बड़े पहुच वाले व्यक्ति है आपकी मौलिक आवश्यकताएं बहुत सीमित है और बहुत कम में आराम से गुजारा किया जा सकता है, इसके अलावा शाखा का एक सिद्धन्त है कि शाखा किसी भी सेवा कार्य या अपने आयोजनों में बैनर का उप्योगमहि करता उसकी पहचान ही उसका बैनर है,जो की इस बात का प्रतिक है  सामाज सेवा केवल नाम और यश के लिए मन की शांति के लिए की जाती है,

अगर आज देश के प्राधानमंत्री समेंत कई राज्यो के मुख्य मंत्री आरएसएस के पृष्ठभूमि के है और स्वच्छ छवि के है तो इस के पीछे कंही म् कंही शाखा के बुनियाद है,ये सभी व्यक्तित्व विकाश की उस गंगा शाखा में नहाए हुए हीरे है,जहा राष्ट्रवाद का ज्ञान दिया जाता है,जहा स्वम से आगे राष्ट्र को रखा जाता है,

आप शाखा की विचार धारा से सहमत हो न हो,ये आपका मत हो सकता है मगर आप शाखा की कार्यशैली के विरोधी नहीं हो सकते,आज के आधुनिक शिक्षा प्रणाली में जहा स्कुल बच्ची को एडुकेटेड बनाते है वही शाखा आपको सिविलाइज्ड बनाता है,

मेरे इस लेख का मकसद कोई शाखा की पैरवी करना नही,सिर्फ आपके सामने शाखा की कार्यशैली बताना है, अक्सर हम बिना किसी चीज/व्यक्ति/संगठन के बारे में पूरा जाने उसके बारे में अपनी धारणा बना लेते है मेरा उद्देश्य बस उस अधूरी जानकारी के बारेमें कुछ जानकारी आप के समक्ष रखना है,शाखा का लक्ष्य में पहले राष्ट्र है या हिदुत्व ये बहस का मुद्दा हो सकता है मगर शाखा की कार्यशैली  एक आदर्श जीवन शैली सादा जीवन उच्च विचार जीने के लिए प्रेरित करती  है,

अगर कोई संस्था आपको आपके धर्म और आपकी गौरवशाली संस्कृति को स्मरण करवा कर आपको उस पर गर्ब करने का अवसर देती है, और इस के लिये उस पर स्माप्रदायिक होने का स्टाम्प लगता है तो मैं जरूर कहूंगा कि आरएसएस एक स्माप्रदायिक सगठन है,मैं आपके को ये भी नहीं कहता की शाखा से जुड़िये बस यही कहता हूं कि आपनी जीवन शैली को भौतिकता वादी और सुविधावादी सोच से दूर करके राष्ट्रवादी बनाइये,

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