लोकतंत्र की ये विडम्बना रही है की यहां सही या गलत नहीं भीड़ की विजय होती है,
यहाँ सत्य नही भीड़ की चलती है, और आधुनिक नेता बनाने के लिए आज सबसे पहले अपने साथ भीड़ खड़ी करना जरूरी है,वो भीड़ जिसे भले ही आप पसंद न करते हो,मगर वो आपके लिए एक वोटबैंक का काम करे, और यक लिए आप में कुछ गुणों का होना नितांत आवशयक है, समय के साथ साथ एक नेता के लिए आवश्यक योग्यता में भी परिवर्तन आया है,अब सिर्फ अच्छी भावना और देश के प्रति समर्पण को लेकर आप नेता नहीं बन सकते,अपने देशभक्ति विचार लोगो तक पहुचा कर आप उनसे तालिया बटोर सकते है वोट नहीं, आधुनिक नेता के लिए कुछ आवश्यक गुणों को देखते है कौन से है वो गुण....
1.नेता बनने के लिए आप सर्वदा उपयुक्त है अगर आप को नेतागीरी पैतृक विरासत में मिली है,फिर चाहे आपकी पार्टी समाजवादी है,गांधीवादी ही,मार्क्सवादी हो,या माओवादी हो,
अगर आपके बाप,दादा,मामा, नाना,कोई भी एक नेता रह चुका है तो आपको नेता बनने का लाइसेंस आसानी से मिल जाता है,
कहने का मतलब ये की इन सब "वादों" के ज्यादा जरुरी है "परिवार-वाद",
2.नेता बनने के लिए आप पर लक्षमी जी की भरपूर कृपा होनी चाहिए, हर चीज बिकाऊ नहीं होती ये बात पुरानी हो चुकी है,आज का सच ये है की हर चीज की एक कीमत होती है,चाहे वो इन-कैश हो या इन-काइंड, और अगर आप सही कीमत चुकाने को तैयार है तो आप जरूर नेता बन सकते है,क्योकि आज कल नेतागीरी समाजसेवा नहीं व्यापार है,
3.आप के पास बाहुबल होना आवश्यक है,"ढोल गवार शुद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी"ये आपने सूना होगा, नेतागीरी वो मंच है जहा भय बिना प्रीत नहीं होती, यहाँ जिससे पयार करेंगे वो धोका देगा,यहाँ लोगो के दिलो में खौफ बनाये रखना लंबे समय तक नेतागीरी केइये अत्यंत आवश्यक है,
4.बाए हाथ से काम करो तो दाए हाथ को खबर न हो, नेतागीरी वो काम है जिसमे खुद को छोड़ के किसी का भरोसा न करो, जो आपका है वो आपका हमेशा होगा वो जरुरी नहीं,
5.मदद नहीं मदद का दिखावा करो, इंसान की ये फितरत रही है की वो माँ को भी भूखा होने पर ही याद करता है,ये समाज बहुत व्यहारिक है जिसकी जितनी जरुरत उससे उतना प्यार, इसलिए ये राजनीति का उसूल है की किसी की समस्या पूरी तरह हल मत करो,बस ऐसा दिखावा करो की आप उस की समस्या के प्रति गंभीर है और जोरशोर से लगे हुए है, अपना काम खत्म होने पर लोग भूल जाते है,इसलिए उनका काम खत्म मत करो, अपनी पूछ बनाये रखनीहै तो काम अटका के रखो,
6.बहुत सौच समझ कर बोले ये कहावत भी राजनीति में कोई बहुत मायने नहीं रखती,ये बात मायने रखती है की आप अपने बोले हुए को कितना डिफेंड कर सकते है,और कितना जस्टिफाई कर सकते है, अगर आप लोगो को समझा सकते है तो कुछ भी बोल लीजिये आप स्वतंत्र है,
7.कड़वा सच नहीं मीठा झूठ बोलिये, "कभी कभी बीमारी से ठीक होने के लिए कड़वी दवाई खानी चाहिए " राजनीति इस बात में विश्वास नहीं रखती, लोग मीठा खाकर बीमार पड़ना पसंद करते है मगर दवाई खाकर ठीक होना नहीं चाहते, इसलिए झूठ की चासनी परोसते रहिये,
8.एक अच्छा वक्ता बनिए,भासन देना सीखिये,आज कल अच्छा नेता वही है जो सपने बेच सके,लोगो को सपने दिखा सके, और जब सपने टूट जाए तो उनके लिए विपक्ष को दोषी ठहरा सके,सौ बार बोलने से झूठ भी सच हो जता है इस थ्योरी पर भरोसा रखिये,
जोर से बोला गया झूठ धीरे बोले गए सच से ज्यादा प्रभावकारी है, जब आप का झूठ साबित होने लगे तो चिल्ला कर दबा दीजिये, मुद्दे से भटका दीजिये,
9. मुद्दे की तलाश में रहिये, हर बात में विरोध करना सीखिये, अगर आप को विरोधी की कोई बात पसंद भी आ जाये तो उसका बताने की कोई जरूरत नहीं,कोई भी काम बस ये सोच कर करे की उसका श्रेय आपको ही मिले, विरोधियो में कमी निकालना सीखिये,
10.लोकतंत्र की ताकत भीड़ है,ये मत सोचिये की सही है या गलत,बस कोशिश किजिए ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचने की,लोगो के दिल में दिमाग में पहुचए,चाहे अच्छा बनकर या बुरा बनकर,"बुरी पब्लिसिटी भी एक पब्लिसिटी ही होती है"ये बात राजनीती में बिलकुल सच है,
जिसका चर्चा नहीं,उसको परचा नहीं,
सुर्ख़ियो में बने रहिये किसी भी कारण से,
और भी बहुत सी बाते है मगर ये सब बाते बहुत जरुरी है,मेरे इसी प्रकार के और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए लोग इन करे vikashkhemka.blogspot.com
Exelent
ReplyDeleteExelent
ReplyDeletebhahut chachhaa
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