आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्वशक्तिमान है,
विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है!!!
कौरवो की भीड़ हो या पांडवो का नीर हो जो लड़ सका है वही तो महान है!!!
जीत की हवस नहीं किसी पे कोई वस नहीं क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो ,
मौत अंत हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरे ये जाके आसमान में दहाड़ दो !
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
वो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव या की हार को वो घाव तुम ये सोच लो,
या की पुरे भाल पर जला रहे वे जय का लाल, लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,
रंग केशरी हो या मृदंग केशरी हो या की केशरी हो लाल तुम ये सोच लो!!
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो,
भीगती नसों में आज फूलती रगों में आज आग की लपट तुम बखर दो !!!
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्वशक्तिमान है,
विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है!!!
कौरवो की भीड़ हो या पांडवो का नीर हो जो लड़ सका है वही तो महान है!!!
जीत की हवस नहीं किसी पे कोई वस नहीं क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो ,
मौत अंत हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरे ये जाके आसमान में दहाड़ दो !
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
वो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव या की हार को वो घाव तुम ये सोच लो,
या की पुरे भाल पर जला रहे वे जय का लाल, लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,
रंग केशरी हो या मृदंग केशरी हो या की केशरी हो लाल तुम ये सोच लो!!
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो,
भीगती नसों में आज फूलती रगों में आज आग की लपट तुम बखर दो !!!
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
इस ब्लॉग में आपको व्यक्तित्व विकास से रिलेटेड लेख मिलेंगे, किसी भीछूती बड़ी बात का आपके जीवन में क्या प्रभाव पड़ेगा मैं उस पर लिखता हूँ, मैं अपनेआप में छुपे हुए काबिलियत और हुनर को कैसे पहचाना जाए उस पर लिखता हूं,आप सभी को उन चीजों को समझाने के लिए लिखता हूँ जो आप रोज देखते है, मगर महसूस नहीं करते, मैं आम आदमी की सोच लिखता हूं,बहुत कुछ आपकी सोच... मेरे ब्लॉग पर आप सभी की प्रतिक्रियायों की प्रतीक्षा में - विकाश खेमका,
Wednesday, 2 March 2016
आरम्भ है प्रचंड
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