Monday, 7 March 2016

लाइफ मंत्रा : अपने शरीर से सीखिये की जिंदगी कैसे जी जाए,

जिंदगी कैसे बेहतर ढंग से जी जाए,खुद को कैसे खुश रखा जाए इसको सिखने के लिए बहुत उदाहरण मिल जाएंगे,लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो हम अपने शारीर  से ही बहुत कुछ सिख सकते है,

1.दिमाग का स्थान हमेशा दिल से ऊपर है,भगवान् ने हमारे शारीर की संरचना इस तरह से की है की दिमाग को ऊपर रखा है, दिल से किये जाने वाले काम अकसर भावना और क्षणिक आवेग से प्रेरित होते है,जिनका आगे चल कर परिणाम घातक हो सकता है,इसलिए दिल की जगह दिमाग से लिए गए निर्णय को प्राथमिकता दे,हां मगर एक बात का सदैव ध्यान रखे की जो आपसे दिल से जुड़े है उन्हें दिमाग से उत्तर न दे,

2  हमें दो कान दिए गए है और एक मुह,कम बोलिये ज्यादा सुनिए,जयादा बोलकर नहीं ज्यादा सुनकर हम ज्यादा लोगों को जोड़ सकते है,

3.हाथो की पांचो उंगलिया बराबर नहीं होती,हर समय हर परिश्थिति सामान नहीं होती,समयानुसार उनमे परिवर्तन होते रहता है, सबको एक डंडे से न हाके,

4.नरम बनिए जीभ की तरह, अकड़ना मुर्दे के पहचान है,झुकना जीवन की शान है,नरम बनिए कठोरता की उम्र ज्यादा नहीं होती,दांत उमरभर साथ नहीं देते मगर जीभ देती है,

5.पाँव में काँटा चुभता है तो मुह से आह निकलती है,आँखों में आंसू आते है,हाथ से निकाला जता है,आपस में सहयोग बनाये रखे,आपस में सहानभूति और समानुभूति का भै
व् रखे,एक दूसरे की पीड़ा समझे ,

6. हमको सवस्थ रखने के लिए हमारा ह्रदय निरतर कार्य करता है दिन में 24 घण्टे,तो जिंदगी को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर सक्रीय रहे,

7. नाख़ून और बाल हम जितना भी कांटे बढ़ते ही रहते है, आप भी हमेशा आगे बढ़ते रहे, अपने विरोधियो के बिना परवाह किये हमेशा बढ़ते रहे,

8.जितना हजम हो सके उतना ही अच्छा है,ज्यादा खाना अपच और उलटी का कारण बनता है हमें बीमार करता है,इसलिए जीवन में लोभ का त्याग करे ,अधिक लालच हजम नहीं होता वो किसी भी रस्ते से बहार निकल जाता है,

9.एक बार खाने से जिंदगी भर की भूख नहीं मिटती, एक बार सिर्फ कोई कार्य कर देने से आप जिंदगी भर  वाहवाही नहीं होती,निरंतर अच्छे कार्य करते रहिये,

10.प्रतिरोधकव्क्षमता बढ़ाये, हम बीमार न पड़े इसके लिये दवाई खाना जरुरी नहीं है शारीर की प्ररिरोधक क्षमता होने ज्यादा जरुरी है,जिंदगी सही ढंग से चले इसके लिए बाहरी चीजे नहीं अंदरुनी शक्ति जायदा मायने रखती है,

11.जितना सुख उतना कष्ट,शारीर को जितना सुखवासी बनाओगे उतना कष्ट होगा,सदा जीवां उच्च विचार सबसे बढ़िया तरिका है जीवन जीने का, शरीर को कष्ट देने से सरीर स्वास्थ्य रहता है,

12.दिमाग अपने जन्म से लेकर अंतिम समय तक बढता ही रहता है, सिखने की कोई उमर नहीं होती, हमेशा सीखना जारी रखिये, 

13.शारीर स्वास्थ्य रहे इसके लिए शारीर का हर अंग अपने जरुरतके हिसाब से सक्रीय रहता है और एक संतुलन से चलता है, यही संतुलन जीवन है, ये संतुलन बनाये रखे, सिर्फ पैसा,परिवार या खुद की न सोच कर देश,समाज,इत्यादि के लिए भी समय निकाले,एक अच्छा शरीर खराव परिवेश में बीमार पड जाता है, इसलिए स्वस्थ रहने के लिए अपने परिवेश को भी स्वस्थ रहना जरुरी है,

जिंदगी और शरीर को दुरुस्त रखने के लिए
व्यस्त रहे,मस्त रहे,स्वस्थ रहे,

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Vikashkhemka.blogspot.com

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