Monday, 14 March 2016

Every action has equal reaction

विज्ञान का एक नियम है, की हर क्रिया की सामान विपरीत प्रतिक्रया होती है, मतलब किसी वस्तु पर हम जितनी ताकत लगाते है वो वस्तु भी हम पर उतनी ही ताकत लगाती है, अगर हम किसी टेबल पे हाथ अपना हाथ पीटते है, तो वो टेबल भी हमें पिटती है जिससे हमें दर्द होता है, कहने का मतलब ये है की ये विज्ञानं की साश्वत सत्य है की "every action has equal recaction"

यही बात हमारी जिंदगी पर भी पूरी तरह लागू होती है, जिंदगी में कोई हमें उतना ही पसंद या नापसन्द करता है जितना हम इसे करते है, कोई हमें उतना ही प्यार करता है जितना हम उसे करते है,कोई हमारी उतनी ही परवाह करते है जितना हम उसकी करते है,

अगर किसी देश किसी समाज किसी संस्था किसी परिवार में किसी को प्राथमिकता दी जाती है तो इअलिये की उस व्यक्ति ने भी अपने जीवन में  उस देश,परिवार, संस्था को प्राथमिकता दी होगी,
कंही भी महत्वपूर्ण बनने के लिए पहल कीजिए, प्रतिक्रिया क्रिया के बाद ही होती है,
जिंदगी एक eco सिस्टम है यह वही हमें वापस सुनाई देता है जो हम कहते है,
हमारा अच्छा और बुरा हमारे सांमने आ ही जाता है,

इसमें एक चीज और भी ध्यान देने लायक है  क्योकि हम निर्जीव नहीं है,जीते जागते इंसान है इसलिए  हर इंसान में साथ साथ ये प्रतिक्रया कम या ज्यादा होती रहती है,जिंदगी में ये क्रिया की प्रतिक्रिया अक्सर बहुत तीखी होती है, अगर हम थोड़ा का गलत काम करते है तो इस के लिए बहुत कुछ सुनना पड सकता है,अगर हम कुछ अच्छा करते हो तो बहुत ज्यादा तारीफ मिल सकती है, साथ ही जिंदगी में प्रतिक्रया आने में वक्त भी लगता है यहाँ प्रतिक्रिया तुरंत नहीं आती,

आप की क्रिया आप के हाथ में है,मगर उस पर क्या प्रतिक्रया होगी ये आप निर्धारण नहीं करते,
अच्छा काम करते रहे,

याद रखिये,आपका हर क्रिया को नोट किया जाता है,बस ये इन्तेजार करिये उस पर प्रतिक्रया क्या आती है,कब आती है, कैसे आती है,??

आप का सही किया हुआ आपके पास हमेशा लौट आता है और इसका बिपरीत भी उतना ही सही है,

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Thursday, 10 March 2016

बेटी बचाओ

मेरी बाकी उंगलियां उस उंगली से जलती है
जिस उंगली को पकड़कर मेरी बेटी चलती ह,

जमाने की क्या बात करते हो साहेब,
बेतिया तो आजकल गर्भ में भी सुरक्षित नहीं,

पराया धन होकर भी कभी पराई नही होती। शायद इसीलिए किसी बाप से हंसकर बेटी की, विदाई नही होती।।

जिसने कई बेटियो को मारा गर्भ में,एक बेटे के शौक में,
आज वो कन्या खोज रहा है ,नवरात्रि के भोज में,

घर से बेटी गई तो याद आया,,
फल कभी पेड़ का नहीं होता!!

Tuesday, 8 March 2016

Only gud marks doesn't matters??

प्रिय अभिवावक,

आपके बच्चों की परीक्षाये प्रारम्भ हो चुकी है,मैं जानता हु आप सभी अपने बच्चों को लेकर चिंतित है,लेकिन याद रखे की इन सब बच्चों के बीच कंही  एक "कलाकार" भी छुपा है जो शायद गणित नहीं समझ पाता,कंही एक entraprenure भी छुपा है जो इतिहास या साहित्य की इतनी  कोई परवाह नहीं करता,कंही एक एक संगीतकार भी छुपा है जिसके लिए केमेस्ट्री के मार्क कोई मायने नहीं रखते ,कोई स्पोर्ट्समैन भी छुपा है जिसके लिए शारीरिक फिटनेस फीजिक्स से ज्यादा मायने रखती है,

अगर आपका बच्चा अच्छे मार्क्स लाता है तो बहुत खुशी की बात है,अगर नहीं भी लाता तो उनसे उनका आत्मविश्वास मत छिनिये उनको कहिये "कोई बात नहीं,ये सिर्फ एक परीक्षा ही तो थी" उनसे कहिये की वो और भी बड़ी चीजो को पाने के  लिए बने है, उनके कहिये की आप उनके लाये हुए मार्क को भी प्यार करते है और सिर्फ इस मार्क के आधार पर ही आप उन्हें नहीं आंकते,

कृपया ये कीजिये और देखिये आप के बच्चे एक दिन दुनिया जित लेंगे,

सिर्फ एक परीक्षा या 90 % से कम मार्क उनसे इनके सपने और योग्यता नहीं छीन सकते,

- मेरे मित्र "Brajesh Mittal की फेसबुक वाल पे किये गए पोस्ट का हिंदी रूपांतरण"

मुझे लगा की सभी से शेयर करना चाहिए,

"बहुत बढ़िया ब्रजेश, तुम्हारे ये शब्द  वाकई बहुत हौसला देगे"

मजाकिया शायरी

वो जितना सज ले संवर ले मुमकिन नहीं है फिर से उसका मिसाल-ए-हर हो जाना,
अब कौन समझाए संमझाये कहा मुमकिन है किश्मिश का फिर से अंगूर हो जाता,

घायल निगाहो से करती थी ये क्या कम।सितम था,
जो अपने बाप भाई भी बुला लायी,

लिखी थी एक शायरी कागज पे,उसे बकरी खा गई,
पुरे शहर में ये चर्चा है की बकरी "शेर"खा गई

बुढ़ापे में भी कंही प्यार होता है
पके आम का भी कभी आचार होता है,

इजहारे इश्क पर वो खिदमत हुई मेरी
पहले दिल में था अब पुरे बदन में दर्द है...

Monday, 7 March 2016

लाइफ मंत्रा : अपने शरीर से सीखिये की जिंदगी कैसे जी जाए,

जिंदगी कैसे बेहतर ढंग से जी जाए,खुद को कैसे खुश रखा जाए इसको सिखने के लिए बहुत उदाहरण मिल जाएंगे,लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो हम अपने शारीर  से ही बहुत कुछ सिख सकते है,

1.दिमाग का स्थान हमेशा दिल से ऊपर है,भगवान् ने हमारे शारीर की संरचना इस तरह से की है की दिमाग को ऊपर रखा है, दिल से किये जाने वाले काम अकसर भावना और क्षणिक आवेग से प्रेरित होते है,जिनका आगे चल कर परिणाम घातक हो सकता है,इसलिए दिल की जगह दिमाग से लिए गए निर्णय को प्राथमिकता दे,हां मगर एक बात का सदैव ध्यान रखे की जो आपसे दिल से जुड़े है उन्हें दिमाग से उत्तर न दे,

2  हमें दो कान दिए गए है और एक मुह,कम बोलिये ज्यादा सुनिए,जयादा बोलकर नहीं ज्यादा सुनकर हम ज्यादा लोगों को जोड़ सकते है,

3.हाथो की पांचो उंगलिया बराबर नहीं होती,हर समय हर परिश्थिति सामान नहीं होती,समयानुसार उनमे परिवर्तन होते रहता है, सबको एक डंडे से न हाके,

4.नरम बनिए जीभ की तरह, अकड़ना मुर्दे के पहचान है,झुकना जीवन की शान है,नरम बनिए कठोरता की उम्र ज्यादा नहीं होती,दांत उमरभर साथ नहीं देते मगर जीभ देती है,

5.पाँव में काँटा चुभता है तो मुह से आह निकलती है,आँखों में आंसू आते है,हाथ से निकाला जता है,आपस में सहयोग बनाये रखे,आपस में सहानभूति और समानुभूति का भै
व् रखे,एक दूसरे की पीड़ा समझे ,

6. हमको सवस्थ रखने के लिए हमारा ह्रदय निरतर कार्य करता है दिन में 24 घण्टे,तो जिंदगी को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर सक्रीय रहे,

7. नाख़ून और बाल हम जितना भी कांटे बढ़ते ही रहते है, आप भी हमेशा आगे बढ़ते रहे, अपने विरोधियो के बिना परवाह किये हमेशा बढ़ते रहे,

8.जितना हजम हो सके उतना ही अच्छा है,ज्यादा खाना अपच और उलटी का कारण बनता है हमें बीमार करता है,इसलिए जीवन में लोभ का त्याग करे ,अधिक लालच हजम नहीं होता वो किसी भी रस्ते से बहार निकल जाता है,

9.एक बार खाने से जिंदगी भर की भूख नहीं मिटती, एक बार सिर्फ कोई कार्य कर देने से आप जिंदगी भर  वाहवाही नहीं होती,निरंतर अच्छे कार्य करते रहिये,

10.प्रतिरोधकव्क्षमता बढ़ाये, हम बीमार न पड़े इसके लिये दवाई खाना जरुरी नहीं है शारीर की प्ररिरोधक क्षमता होने ज्यादा जरुरी है,जिंदगी सही ढंग से चले इसके लिए बाहरी चीजे नहीं अंदरुनी शक्ति जायदा मायने रखती है,

11.जितना सुख उतना कष्ट,शारीर को जितना सुखवासी बनाओगे उतना कष्ट होगा,सदा जीवां उच्च विचार सबसे बढ़िया तरिका है जीवन जीने का, शरीर को कष्ट देने से सरीर स्वास्थ्य रहता है,

12.दिमाग अपने जन्म से लेकर अंतिम समय तक बढता ही रहता है, सिखने की कोई उमर नहीं होती, हमेशा सीखना जारी रखिये, 

13.शारीर स्वास्थ्य रहे इसके लिए शारीर का हर अंग अपने जरुरतके हिसाब से सक्रीय रहता है और एक संतुलन से चलता है, यही संतुलन जीवन है, ये संतुलन बनाये रखे, सिर्फ पैसा,परिवार या खुद की न सोच कर देश,समाज,इत्यादि के लिए भी समय निकाले,एक अच्छा शरीर खराव परिवेश में बीमार पड जाता है, इसलिए स्वस्थ रहने के लिए अपने परिवेश को भी स्वस्थ रहना जरुरी है,

जिंदगी और शरीर को दुरुस्त रखने के लिए
व्यस्त रहे,मस्त रहे,स्वस्थ रहे,

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एक अच्छा "आधुनिक नेता"कैसे बने

लोकतंत्र की ये विडम्बना रही है की यहां सही या गलत नहीं भीड़ की विजय होती है,
यहाँ सत्य नही भीड़ की चलती है, और आधुनिक नेता बनाने के लिए आज  सबसे पहले अपने साथ भीड़ खड़ी करना जरूरी है,वो भीड़ जिसे भले ही आप पसंद न करते हो,मगर वो आपके लिए एक वोटबैंक का काम करे, और यक लिए आप में कुछ गुणों का होना नितांत आवशयक है, समय के साथ साथ एक नेता के लिए आवश्यक योग्यता में भी परिवर्तन आया है,अब सिर्फ अच्छी भावना और देश के प्रति समर्पण को लेकर आप नेता नहीं बन सकते,अपने देशभक्ति विचार लोगो तक पहुचा कर आप  उनसे तालिया बटोर सकते है वोट नहीं, आधुनिक नेता के लिए कुछ आवश्यक गुणों  को देखते है कौन से है वो गुण....

1.नेता बनने के लिए आप सर्वदा उपयुक्त है अगर आप को नेतागीरी पैतृक विरासत में मिली है,फिर चाहे आपकी पार्टी समाजवादी है,गांधीवादी ही,मार्क्सवादी हो,या माओवादी हो,
अगर आपके बाप,दादा,मामा, नाना,कोई भी एक नेता रह चुका है तो आपको नेता बनने का लाइसेंस आसानी से मिल जाता है,
कहने का मतलब ये की इन सब "वादों" के ज्यादा जरुरी है "परिवार-वाद",

2.नेता बनने के लिए आप पर लक्षमी जी की भरपूर कृपा होनी चाहिए, हर चीज बिकाऊ नहीं होती ये बात पुरानी हो चुकी है,आज का सच ये है की हर चीज की एक कीमत होती है,चाहे वो इन-कैश हो या इन-काइंड, और अगर आप सही कीमत चुकाने को तैयार है तो आप जरूर नेता बन सकते है,क्योकि आज कल नेतागीरी समाजसेवा नहीं व्यापार है,

3.आप के पास बाहुबल होना आवश्यक है,"ढोल गवार शुद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी"ये आपने सूना होगा, नेतागीरी वो मंच है जहा भय बिना प्रीत नहीं होती, यहाँ जिससे पयार करेंगे वो धोका देगा,यहाँ लोगो के दिलो में खौफ बनाये रखना लंबे समय तक नेतागीरी केइये अत्यंत आवश्यक है,

4.बाए हाथ से काम करो तो दाए हाथ को खबर न हो, नेतागीरी वो काम है जिसमे खुद को छोड़ के किसी का भरोसा न करो, जो आपका है वो आपका हमेशा होगा वो जरुरी नहीं,

5.मदद नहीं मदद का दिखावा करो, इंसान की ये फितरत रही है की वो माँ को भी भूखा होने पर ही याद करता है,ये समाज बहुत व्यहारिक है जिसकी जितनी जरुरत उससे उतना प्यार, इसलिए ये राजनीति का उसूल है की किसी की समस्या पूरी तरह हल मत करो,बस ऐसा दिखावा करो की आप उस की समस्या के प्रति गंभीर है और जोरशोर से लगे हुए है, अपना काम खत्म होने पर लोग भूल जाते है,इसलिए उनका काम खत्म मत करो, अपनी पूछ बनाये रखनीहै तो काम अटका के रखो,

6.बहुत सौच समझ कर बोले ये कहावत भी राजनीति में कोई बहुत मायने नहीं रखती,ये बात मायने  रखती है की आप अपने बोले हुए को कितना डिफेंड कर सकते है,और कितना जस्टिफाई कर सकते है, अगर आप लोगो को समझा सकते है तो कुछ भी बोल लीजिये आप स्वतंत्र है,

7.कड़वा सच नहीं मीठा झूठ बोलिये, "कभी कभी बीमारी से ठीक होने के लिए कड़वी दवाई खानी चाहिए " राजनीति इस बात में विश्वास नहीं रखती, लोग मीठा खाकर बीमार पड़ना पसंद करते है मगर दवाई खाकर ठीक होना नहीं चाहते, इसलिए झूठ की चासनी परोसते रहिये,

8.एक अच्छा वक्ता बनिए,भासन देना सीखिये,आज कल अच्छा नेता वही है जो सपने बेच सके,लोगो को सपने दिखा सके, और जब सपने टूट जाए तो उनके लिए विपक्ष को दोषी ठहरा सके,सौ बार बोलने से झूठ भी सच हो जता है इस थ्योरी पर भरोसा रखिये,
जोर से बोला गया झूठ धीरे बोले गए सच से ज्यादा प्रभावकारी है, जब आप का झूठ साबित होने लगे तो चिल्ला कर दबा दीजिये, मुद्दे से भटका दीजिये,

9. मुद्दे की तलाश में रहिये, हर बात में विरोध करना सीखिये, अगर आप को विरोधी की कोई बात पसंद भी आ जाये तो उसका बताने की कोई जरूरत नहीं,कोई भी काम बस ये सोच कर करे की उसका श्रेय आपको ही मिले, विरोधियो में कमी निकालना सीखिये,

10.लोकतंत्र की ताकत भीड़ है,ये मत सोचिये की सही है या गलत,बस कोशिश किजिए ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचने की,लोगो के दिल में दिमाग में पहुचए,चाहे अच्छा बनकर या बुरा बनकर,"बुरी पब्लिसिटी भी एक पब्लिसिटी ही होती है"ये बात राजनीती में बिलकुल सच है,
जिसका चर्चा नहीं,उसको परचा नहीं,
सुर्ख़ियो में बने रहिये किसी भी कारण से,

और भी बहुत सी बाते है मगर  ये सब बाते बहुत जरुरी है,मेरे इसी प्रकार के और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए लोग इन करे vikashkhemka.blogspot.com

Sunday, 6 March 2016

कुछ शायरिया

hhjमेरे कांटाबांजी की हालात...

जहा भी जाओ बस "जमीन" के किस्से,
कोई  खरीद के तो कोई बेच के रो रहा है

" खोटे सिक्के, जो चले नहीँ
कभी बाजार में,
वो भी कमियाँ खोज रहे हैं,
आज मेरे किरदार में "......!!

किसी अपने के हाथ में ही आइना लगा होता है,
वरना धोखा तो वो भी देता है जो सगा होता है,

तुम लोग मेरी जिंदगी में बहुत मायने रखते हो,
जो हर वक्त मेरे सामने आईने रखते हो,

जमाना आज कल मुझसे कुछ जलने सा लगा है,
लगता है अपना भी सिक्का कुछ चलने सा लगा है,

बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में, जब से हुआ है, कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता..

चलने के  लिए  पैर ही  काफी  नहीं  हुज़ूर
छालों से मोहब्बत हो, ये हुनर भी सीखिये

एक मैं हूँ कि समझा नहीँ खुद को आज तक..!!
और दुनियाँ हैं कि न जाने मुझे क्या-क्या समझ लेती हैं..!!

अक्सर सूखे हुए होंठों से ही होती हैं मीठी बातें...
प्यास बुझ जाये तो अल्फ़ाज़ और इंसान दोनों बदल जाया करते हैं..

करेगा ज़माना भी हमारी कदर एक दिन , बस ये वफादारी की आदत छूट जाने दो

दरख़्त ऐ नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी,
छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी...

बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं.. अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती. !!!!

यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर, तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये !!

ढूंढोगे अगर तो ही मिलते है रास्ते ,
मंजिल की फितरत है,खुद चलकर नहीं आती,

इतना मुश्किल भी नहीं सबको साथ ले के चलना,
बस थोडा सा खुद का अहम् छोड़ना पड़ता है,

कुछ ऊँची बहुत हो गई है मेरे आस पास की इमारते,
कोई मुझको नजर नहीं आता,किसी को मैं नजर् नही आता..

आओ दरमियाँ जो फासले है कुछ ऐसे मिटा ले,
एक कदम मैं बढ़ा लू,एक कदम तू बढ़ा ले,

कुछ कदर जमाने में इसलिए भी मेरी कम है,
क्योकि आज कल "हुनर" अमीरी से तोले जाते है,

बेवजह है, तभी तो मोहब्बत है
वजह होती, तो साज़िश होती..

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे.,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे.!

जरा सा बीमार क्या पड़ा बूढ़ा बाप,
बेटे वकील को बुला लाये,डॉक्टर से पहले,

मैं सूरज का साथ पाकर भी अदब न भुला,
वो जुगनू का साथ पाकर भी मगरूर हो गए,

बड़े लोगो से मिलो तो जरा सा फासला रखना,
दरिया समंदर में मिल जाए तो फिर दरिया नहीं रहता,

नए अमीरो के घर जरा संभल कर जाना,कमबख्त हर चीज की कीमत बताने लगते है,

वो शक्श जो तुम से झुक कर मिला होगा,
कद में यककीनं वो तुमसे बड़ा होगा,

कभी देखा तो नहीं मगर यक़ीनन बहुत हसीं होगी,
जो भीं उससे मिला उसी का हो गया,

मेरी औकात से बढ़कर मुझे कुछ न देना मालिक,
जरूरत से ज्यादा रोशनी इंसान को अंधा कर देती है,

अगर देखना चाहते हो मेरी उड़ान को,
तो थोड़ा और ऊंचा करो आसमान को,

ये धरा साथ दे तो क्या बात है,
तू जरा साथ दे तो क्या बात है,
चलने को तो एक पाँव से भी चलते है लोग,
अगर दुसरा साथ दे तो क्या बात है,

जिंदगी की कुछ जख्मो ने ये बात मुझे सिखाई है,
की हर नया जख्म एक पुराने जखम की दवाई है,

तरक्की की फासले कुछ हम भी काट लेते,
अगर हम भी किसी के तलवे चाट लेते,

मेरा झुकना ,और तेरा खुदा हो जाना

दोस्त अच्छा नहीं ,इतना बड़ा हो जाना

खुल गया राज तो कोई कदर न होगी ,
बेशक अमीर न हो बस "भरम" बनाये रखना !!!

परिंदों को मिलेगी उनकी मंजिल ये वो नहीं उनके पर बोलते है,
जमाने में वो लोग अक्सर खामोश रहते है जिनके हुनर बोलते है,

लहजे पे बदजुबानी और चहरेे में नकाब लिए फिरटे है,
जिनके खुद के बही खाते है बिगड़े वो हमारा हिसाब लिए फिरते है

रुकावटे तो ज़िंदा इंसानो के लिए है,
अर्थी के लिए तो हर कोई रास्ता छोड़ देताहै,

Friday, 4 March 2016

सिर्फ कागजो में लिख देने से इंकलाब नहीं आता....

कभी हाथ में झंडे लेकर सड़को पे भी उतारिये जनाब,
सिर्फ कागजो में लिख देने से इंकलाब नहीं आता,

कौन कहते है की कभी पुरे नहीं होते,
किसी को ऐसे ही कोई ख्वाब नहीं आता,

मै अक्सर ढूंढता रहता हु खुद में कुछ सवालो को,
मैं जानता हु की जिसका मुझे जवाब नहीं आता,

बस लिख पाता हु पर कभी अमल में नहीं ला पाता,
मुझे न जाने क्यों ये हिसाब नहीं आता,

बहुत कुछ गलत है इस जहा में जो बदलना चाहिए
इन अंधेरो को बदलने क्यों कोई आफताब नहीं आता,

हु मैं पारखी और हर शै की खबर  रखता हु,
मगर कोई हुनर मुझे बेहिसाब नहीं आता,

कभी कभी मैं खुद को मायूस कर लेता हु,
खुद की हौसला-अफजाई का मुझे विश्वास नहीं आता,

कांधो में बोझ है जिम्मेदारियो का इसलिए कुछ धीरे चलता हु
मुझे अपनों को रुसवा करने का अंदाज नहीं आता,

-विकाश खेमका 'निरकुंश'

Wednesday, 2 March 2016

आरम्भ है प्रचंड

आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्वशक्तिमान है,
विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है!!!
कौरवो की भीड़ हो या पांडवो का नीर हो जो लड़ सका है वही तो महान है!!!
जीत की हवस नहीं किसी पे कोई वस नहीं क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो ,
मौत अंत हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरे ये जाके आसमान में दहाड़ दो !
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
वो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव या की हार को वो घाव तुम ये सोच लो,
या की पुरे भाल पर जला रहे वे जय का लाल, लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,
रंग केशरी हो या मृदंग केशरी हो या की केशरी हो लाल तुम ये सोच लो!!
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो,
भीगती नसों में आज फूलती रगों में आज आग की लपट तुम बखर दो !!!
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्वशक्तिमान है,
विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है!!!
कौरवो की भीड़ हो या पांडवो का नीर हो जो लड़ सका है वही तो महान है!!!
जीत की हवस नहीं किसी पे कोई वस नहीं क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो ,
मौत अंत हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरे ये जाके आसमान में दहाड़ दो !
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!
वो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव या की हार को वो घाव तुम ये सोच लो,
या की पुरे भाल पर जला रहे वे जय का लाल, लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,
रंग केशरी हो या मृदंग केशरी हो या की केशरी हो लाल तुम ये सोच लो!!
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो,
भीगती नसों में आज फूलती रगों में आज आग की लपट तुम बखर दो !!!
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तको के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो

Tuesday, 1 March 2016

Whatsapp टिप्स (व्हाट्सएप्प का उपयोग नोट बुक किंतरह करे)

Whatsapp यूज़र्स के लिए एक बेहद उपयोगी टिप्स,

हम सभी व्हाट्सएप्प का उपयोग करते है,और समय समय पर कुछ् लिख कर पोस्ट करते रहते है,

लिखने में छोटा सा कीबोर्ड होने की वजह से काफी सारी गलतियां होती है,साधारणतः किसी को कोई रिप्लाई,या कोई पत्र लिखते समय,या किसी विचार को रखते समय जहा ज्यादा लिखना पड़ता है वहा भूल की गुंजाइश ज्यादा हॉती है,

इस के निराकरण का एक उपाय है,

आप एक नया ग्रुप  बनाये,
उसमे अपने किसी परिचत को ऐड कर ले,

और फिर ग्रुप बनाने के बात उस को ग्रुप से रिमूव कर दे,
इसके बाद उस ग्रुप में सिर्फ आप रह जायेंगे,

अभी आप को जो भी लिखना करना है वो इस ग्रुप में करे और फिर यहाँ से जिस ग्रुप में कॉपी पेस्ट करना है करे,जिससे भूल की गुंजाइस कम होगी,

साथ ही इस ग्रुप को आप एक नोट बुक की तरह कुछ बाते याद रखने के लिए या कोई msg रखने के लिए भी use कर सकते है,

अधिक सुविधा के लिए इस ग्रुप का शॉर्टकट अपने होम स्क्रीन पर बना ले, जिससे आप को इस ग्रुप को बार बार अपने व्हाट्सएप्प लिस्ट में ढूंढना न पड़े,

अपने सुविधा के  हिसाब से आप अपने व्यायाम, परिवार,सामीजिक कार्य इत्यादि के लिए अलग अलग ग्रुप बनाकर उसको एक फोल्डर के रूप में भी होमस्क्रीन में रख सकते है,

अगर ये जानकारी आपको अच्छी और उपयोगी लगे तो खुद भी व्यवहार करे और दसरो के साथ भी शेयर करे,

धन्यवाद,