Saturday, 14 December 2019

गुफ्तगू

Just Beautiful .......
With thanks a ton to original writer...
Its relex me a lot....

🌹   *गुफ़्तगू*    🌹

उसने कहा- बेवजह ही खुश हो क्यों?
मैंने कहा- हर वक्त दुखी भी क्यों रहूँ !

उसने कहा- जीवन में  बहुत गम हैं,
मैंने कहा -गौर से देख,खुशियां भी कहाँ कम हैं।

उसने तंज़ किया - ज्यादा हँस मत, नज़र लग  जाएगी,
मेरा ठहाका बोला- चिकना हूँ,  फिसल जाएगी।

उसने कहा- नहीं होता,क्या तनाव कभी ?
जवाब दिया- मैंने ऐसा तो कहा नहीं!

उसकी हैरानी बोली- फिर भी यह हँसी?
मैंने कहा-डाल ली आदत,हर घड़ी मुसकुराने की!

फिर तंज़ किया-अच्छा!!बनावटी हँसी, इसीलिए
परेशानी दिखती नहीं।
मैंने कहा- अटूट विश्वास है, प्रभु मेरे साथ है,
फिर चिंता-परेशानी की,क्या औकात है।

कोई मुझसे "मैं दुखी हूँ" सुनने को बेताब था,
इसलिए प्रशनों का सिलसिला भी बेहिसाब था

पूछा - कभी तो छलकते होंगे आँसू ?

मैंने कहा-अपनी मुसकुराहटों से बाँध बना लेता हूँ,
अपनी हँसी कम पड़े तो कुछ और लोगों को
हँसा देता हूँ ,
कुछ बिखरी ज़िंदगियों में उम्मीदें जगा देताहूँ...

यह मेरी मुसकुराहटें दुआऐं हैं उन सबकी
जिन्हें मैंने तब बाँटा, जब मेरे पास भी कमी थी।
🌹

Thursday, 28 November 2019

लाइफ़ मंत्रा: कोई भी काम छोटा नही होता,बस एक बड़े काम की शुरुवात होती है

लाइफ मंत्रा: कोई काम छोटा नही होता ये सिर्फ एक बड़े काम की शुरुवात होती है

आज के भौतिक युग मे हम इतनी स्ट्रेस के साथ जी रहे है कि कुछ समय के लिए हम सभी मे डिप्रेसन आ जाता है,खासकर अपने व्यापार/नौकरी या प्रोफेसन के प्रति मन में एक नकारात्मक भाव उत्त्पन्न होता है कि जो हम कर रहे है,वो बहुत छोटा है,हम उसके लायक नही है,हम इससे कुछ बहुत ज्यादा अच्छा और बड़ा डिज़र्व करते थे,लेकिन पेट की भूख ने हमे एक छोटे काम करने के लिए मजबूर किया और हम ये काम कर रहे है,

जबकि सच बिल्कुल इसके उलट है, हम सबके साथ एक समस्या है कि हम अपने आप को मोटीवेट करने के लिए अक्सर किताबे पढ़ते है,इंटरनेट में सक्सेस लिटरेचर सर्च करते है,बड़े बड़े मोटिवेशनल सेमिनार अटेंड करते है, लेकिन इस मोटिटिवेसन के उन लाइव सोर्सेस को भूल जाते है जो हमारे आस पास ही है,जिन्हें हम रोज देखते है,मिलते है,उनके बारे में बाते करते है, लेकिन उनसे सींखते नही, ऐसे ही अपना काम को छोटा न समझ कर उसमें बड़ा नाम बनाने वाले दो लाइव उदारहण आपके सामने रख रहा हूं,इस बात को समझने के लिए आपको कंही दूर जाने की आवश्यक्ता नही है, मैं काटाबाजी में ही आपको ऐसे उदाहरण पेश कर रहा हु जिन्होंने की इस तथाकथित छोटे काम मे अपना बड़ा नाम,अपना बढ़िया कैरियर,और एक अच्छी इज्जत कमाई है,

पहला उदाहरण मेरे मित्र आनंद पंजवानी का है,एक छोटी सी पान दुकान से लेकर "गोवर्धन पान" के ब्रांड तक के उसके सफर को मैंने  बहुत करीब से एक एक स्टेप चढ़ते देखा है,आम मानसिकता है कि पान दुकान एक छोटा सा व्यवसाय है लेकिन जब आप एक काम को अपने दिल से करते हो,उसमे खुशी महसूस करते हो,तो आप को आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता, ऐसा ही एक और उदाहरण एस कुमार हेयर सलून है,अधिकतर लोगों की मानसिकता ये है कि सलून एक बहुत ही छोटा काम है,लेकिन इस मिथक को भी इनकी मेहनत और लगन ने तोड़ा है,आज एस कुमार सलून भी एक ब्रांड है और लोग दूर दूर से इसके लिए एडवांस में बुकिंग करते है,एक छोटी से सलून को एक बड़ा हेयर स्टाइलिस्ट ब्राड बनते हुए देखना वाकई सुखद अनुभव है,

इनकी सफलता की वजह है कि इन्होंने अपने काम को कभी छोटा नही समझा,अपने काम को एन्जॉय किया,अपने काम करने में कोई झिझक नही दिखाई, उस पर नए नय प्रयोग किये,हमेशा अपने आप को बेहतर बनाने की कोशिश की, हर सफलता को एक समय लगता है, इनकी सफलता को भी लगा लेकिन इन्होंने धैर्य बनाये रखा और तब तक बनाये रखा जब तक कि उनका काम एक ब्रांड नही बन गया,आज अपने इस तथाकथित छोटे काम की बदौलत इनके पास एक अच्छी आय का साधन,सोशल स्टेटस,और वो सब कुछ है जो कि एक आदमी अपने प्रोफेशन/व्यापार/नौकरी से चाहता है,

अधिकतर असफल लोगों को उनके काम को लेकर शिकायत होती है कि उन्हें एक छोटा काम मिला है और वे इसे एक हीनभावना से ग्रस्त होकर बुझे हुए दिल से सिर्फ रोजीरोटी कमाने के लिए करते है,वो मजबूरी में काम करते है,और मजबूरी में किये गए काम आप पर बोझ बनते है,जो अपने काम से प्यार नही करते उनका काम भी उनसे प्यार नही करता,आज जो लोग इनकी सफलता को सिर्फ इनकी किस्मत कहते है तो उनको अपना सही आकलन करने की आवश्यकता है,जब तक आप अपना काम शर्म और झिझक के बंधन में बंध के करेंगे तो आप उसमे कभी आगे नही बढेंगे,उत्साह से किया गया काम अच्छा रिजल्ट लाता है और इसका उल्टा भी इतना ही सही है,

आज भी लोग पोस्ट ग्रेजुएट कर के 10000 रूपये महीने की नौकरी कर रहे है क्योंकि ये उन्हें व्हाइट कालर जॉब या सोसिअल स्टेटस वाला काम लगता है,जबकि एक छोटा सा नास्ता ठेले वाला आराम से रोज 1000 रुपये कमा कर सोता है,मोदी जी जब कहते है कि पकोड़े तलना भी एक व्यवसाय है तो लोग इस बात का मजाक उड़ाते है कि क्या एक पढ़ा लिखा आदमी पकोड़ा कैसे तल सकता है?? हर काम को छोटा या बड़ा सोसल स्टेटस देने की ये मानसिकता असफल लोगो के अपनी असफलता झुपाने के बहाने है,सच तो ये है कि जो काम दिल से किया जाए कभी छोटा नही होता,

कोई आदमी सीधे बड़ा होंकर पैदा नही होता,आदमी पहले शिशु के रूप में पैदा होता है फिर धीरे धीरे बाद होता है,हजारो किलोमीटर की यात्रा भी एक छोटे से कदम से ही प्रारंभ होती है,और कंही भी पहुचने के लिए पहले घर से निकलना पड़ता है, एक कदम बढ़ाना पड़ता है, स्टार्ट अप लेना पड़ता है,आप जो भी काम करे दिल से करे,चाहे आप नौकरी करते हो, कोई प्रोफेसनल हो,या छोटे सी दुकान के मालिक,अपने काम को समर्पित ढंग से करे,छोटी चीजे ही आगे चल कर बड़ी होती है,बस अपने काम मे लगे रहिए,

कोई काम छोटा नही होता ये बस एक बड़े काम की शुरुवात होता है,

घने कोहरे ने एक बात बहुत अच्छी सिखाई है
चलते रहो, रास्ता खुद ब खुद दिखता जाएगा

Sunday, 24 November 2019

लाइफ मंत्रा: आपकी जिंदगी आपका फैसला

लाइफ मंत्रा: जिंदगी आपकी फैसला आपका

इस आर्टिकल के साथ एक लिंक पोस्ट कर रहा हु जिसमे एक वीडियो है कि कैसे एक कुत्ते को मिल्ट्री में सेवा देने एवं अहम भूमिका निभाते के लिये पूरे मिलिट्री के कायदे कानून और सम्मान के साथ रिटायरमेंट दिया गया,इस लिंक पर आप ये वीडियो देख सकते है

https://www.facebook.com/theindianfeed/videos/2553873151370897/

छोटा सा वीडियो है लेकिन संदेश बड़ा है,साथ मे कैप्शन भी है कि "born as a dog retire as आ militryman" काफी कुछ सिखाता है ये वीडियो,और सकारत्मक सोचेंगे तो बहुत प्रेरित करता है कि  कई चीजें आपके कंट्रोल में नही है जिसे भाग्य कहा जाता है जैसे कि ये बात बहुत आप क्या थे,कहा पैदा हुए थे,क्या करते थे लेकिन ये बात आप पर निर्भर है कि आप क्या बनना चाहते है ,आपकी आगे की लाइफ कैसे होगी, आप गरीब पैदा हुए ये आपका भाग्य है आप गरीब मरे तो आपकी नाकामयाबी,

हर किसी की जिंदगी में कुछ न कुछ कमी है और कमी है इस लिए तो जिंदगी है हकीकत है पूरे होते तो ख्वाब न होते, अधिकतर लोग इन कमियों के बहाने की आड़ में अपनी असफलता छुपाने की कोशिश करते है,हर कोई जितनी मेहनत अपनी असफलता की किताब पर बहाने का कवर लगाने में जितनी मेहनत करता है उतनी ही हिम्मत अगर उसको स्वीकार कर उसको बदलने में लगा दे तो यकीन मानिए इस किताब की स्क्रिप्ट बदल सकती है,लेकिन बहाने बना लेना बहुत आसान है और आज काल मुश्किल काम भला कौन करता है,

आप क्या थे,ये आपका अतीत है इसे आप नही बदल सकते, लेकिन आप क्या होंगे जो कि आपका भविष्य है ये जरूर  निर्णय कर सकते है,बस जो नही मिला उसकी शिकायत छोड़ कर जो है उसका सदुपयोग करना सीखिए,

अगर किस्मत ने आपको "राहुल " दिया है तो उसे गांधी बनाकर अपना मजाक मत उडाईये,बल्कि द्रविड़ बनाकर डटे रहिए,किसमत से पत्थर मीले तो उससे अपना सर मत फ़ोडिये बल्कि उससे  रास्ते की सीढी बनाइये,

एक कचरे का ढेर भी कुछ देर में अपनी जगह बदल लेता है आप तो इंसान है एक मौका आपकी औकात,हालात,पहचान सब कुछ बदल सकता है सिर्फ उसे पहचानिए उसे सार्थक किये उसे व्यवहार कीजिये,

जब एक जानवर कुत्ते के रूप में पैदा होकर एक सैनिक सम्मान पा सकता है तो आप तो उससे कंही बेहतर है,बस कोशिश करते रहिए,अब भी आप अपनी असफलता को  सिर्फ किस्मत का दोष कहते है तो याद रखिये भगवान को आपसे कोई पर्सनली दुश्मनी तो है नही जो आप के साथ हमेशा खेलता रहेगा बस आप अपनी कोशिश जारी रखिये धैर्य राखिये क्योकि कभी कभी गुच्छे की आखरी चाबी भी ताला खोल देते है और सफलता के लाकर में मेहनत और किस्मत नाम की दो चाबियां लगती है जिसमे से एक आपके हाथ है और एक भगवान के आप,अपनी चाबी तो लगाते रहिए,

मेरे दोस्त,every dog has a day, क्या पता आपका दिन कब आ जाये

Keep trying,
आप  कल क्या होंगे???ये आप का आज decide करता है !!

Wednesday, 20 November 2019

लोग है!!

तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए
                                    *लोग हैं|*

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
                                    *लोग हैं|*

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
                                    *लोग हैं|*

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
                                    *लोग हैं|*

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
                                   *लोग हैं|*

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
                                    *लोग है|*

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
                                    *लोग है|*

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
                                    *लोग हैं|*

तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
                                    *लोग हैं|*

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
                                    *लोग है|*

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
                                    *लोग है

Monday, 21 October 2019

कुछ सच

वही सीमेंट, वही रेत, उसी पानी से तैयार हो गई,
जिससे पुल बना करते थे उसी से आज खड़ी दिवार  हो गई,

बीमार माँ को घर पर छोड़ आया वो अकेला,
माताँ रानी के मंदिर के सामने कतार हो गयी,

भूख से तड़पता वो बच्चा कब का मर गया,
उसकी तस्वीर आज कल रौनक-ए-अख़बार हो गई,

उसके सिगरेट के धुएं ने न जाने कितनों को मारा होगा,
उसके मालिक ने केन्सर हॉस्पिटल बनाया तो जय जयकार हो गई,

बड़े शौक से उसने पंडित जिमाये श्राद्ध में बहुत
उसके माँ बाप की जिंदगी वृद्धाश्रम में खाकसार हो गई,

आज उनके बच्चो को कान्वेंट स्कूल में देखता हूं
जिनके जिहाद के कारण जन्नत आज उजड़ा बाजार हो गई,

खबर सुनी की एक कन्या भ्रूण को फिर से कुत्ता चबा गया,
दोष कुत्ते का नहीं ये तो इंसानियत शर्मशार हो गयी,

कभी जात पात कभी नोंट, कभी अपनी सुविधा को देख कर वोट दिया जिन्होंने,
आज वही कहते की राजनीति आजकल बेकार हो गई,

कोई बात नहीं एक और सुकून ए जिंदगी मांगेंगे खुदा से
ये जिंदगी तो आपसी झगड़ो में ही बलिहार हो गई,

Sunday, 20 October 2019

कैमरा कंही देखो तो मुस्करा दिया करो

सभी कुर्सीप्रेमी/बुकेप्रेमी/शालप्रेमी/पदप्रेमी/सम्मानप्रेमी  स्वजनों को खेद सहित समर्पित

कैमरा अगर देखो तो मुस्करा दिया करो,
बार बार अपने अहसान गिना दिया करो,

बहूत छोटी है याददाश्त लोगो की यहाँ,
खुद को लगातार अखबारों में छपा लिया करो,

आखिर तुमने खर्चे है पैसे इन कुर्सियों के लिए,
अपना हक भी इन पर जता दिया करो,

चर्चा में रहना बहुत जरूरी है आजकल,
चाहे इसके लिए खुद का घर जला लिया करो,

क्या करोगए इतने दोस्त और रहनुमा बनाकर,
बुराई हर किसी की उसके मुंह पर बता दिया करो,

कदर बढ़ती है इसलिए कुछ नाराजगी पालो करो,
हर छोटी मोटी बात पर चेहरे बना लिया करो,

ये परवाह मत करो की कबीले का क्या होगा,
कोई नाराज हो चाहे अपना कद कबिले में तुम बढा लिया करो,

खुद का अहम पूरा हो ये बहुत जरूरी है
चाहे इसके लिए संगठन को झुका लिया करो,

लोग तुम्हे नजर उठा कर देखे ये बरकरार रहे,
चाहे इसके लिए खुद को अपनी नजरो से गिरा लिया करो,

कैमरा  कभी देखो तो मुस्करा लिया करो
कैमरा कभी देखो तो मुस्कुरा लिया करो

धन्यवाद

Monday, 24 June 2019

लाइफ मंत्रा: धर्म सिर्फ आध्यत्म ही नही प्रेरणा की भी विषयवस्तु है,

लाइफ मंत्रा: धर्म सिर्फ आध्यत्म की ही नही प्रेरणा की भी विषयवस्तु है

आज कल सोशल मीडिया में मोटिवशनल स्पीकेरो की भीड़ है,हर दूसरी या चौथी पोस्ट एक मोटिवेसनल वीडियो,या कोई प्ररेणादायक कविता,या कोई फ़ोटो है,ये सब फ़ोटो वीडियो और कोटेसन बहुत पसंद भी किये जाते है क्योंकि आज कल हर कोई एक निराशा के दौर से गुजर रहा है,बढ़ते भौतिकतावाद के दबाव के कारण हमने अपने आप को और अपने जीवन शैली को बहुत जटिल कर लिया है,और इसलिए हर दूसरा आदमी डिप्रेसन से ग्रस्त है और ये सभी मोटिवेसन इस डिप्रेसन से बाहर आने के लिए वक्ती तौर पर काफी सहायता करते है,हम ये सब वीडियो देखकर खुद को हौसला देते है और काफी रिलेक्स फील करते है,लेकिन क्या कभी सोचा है कि दुनिया का सबसे पहला मोटिवेशनल लेक्चर कौन सा था??,दुनिया का सबसे पहला सक्सेस लिटरेचर कौन सा था,??इस सवाल का जवाब आपको गर्व महसूस कराणे के साथ साथ आप  का मोटिवेसन के प्रति नजरिया भी बदल देगा,

आपका सोचना सही है ,विश्व का सबसे पहला। सक्सेस लिटरेचर *श्रीमद भगवत गीता* है,लेकीन  कभी हमारा इस और ध्यान ही नही गया,असल मे आज कल हम पश्चिमी शिक्षा पद्धति"मैकाल सिस्टम" का अनुसरण कर रहे है जिसमें भारतीय संस्कृति एवं धार्मिंक मान्यताओं की जगह नगण्य  है,यहा सनातन धार्मिक ग्रंथो को सिर्फ आध्यत्म का विषय बनाया गया है,जबकि असल मे ये धार्मिक ग्रन्थ एक आदर्श जीवन शैली के लिए प्रेरित करते है,हमारा सनातन साहित्य ऐसा है कि हर समस्या का समाधान इसमे है,हर प्रकार की विधाओं के भविष्य के लिए कल्पना शक्ति है,हर तरह के विज्ञान के सूत्र है,लेकिन ये विडंबना है हमारी गलत शिक्षा प्रणाली के कारण हमारे ग्रन्थ एवं उपनिषद हमे सिर्फ कोरी कल्पना मात्र लगते है जबकि विश्व के लगभग सभी प्रसिद्ध आविष्कार किं कल्पना हमारे ग्रन्थों ने हजारो वर्ष पूर्व ही कर ली थी जब कि बाकी सभी संस्कृतियां अभी अपने शैशव काल मे ही थी,

इस बात को कुछ उदाहरण दे कर आप के समक्ष रखना चाहूंगा,भारतीय संस्कृति में भगवान के दशावतारों को हम काल्पनिक एवं कोरी गप्प बताते है जबकि अगर इस पर ध्यान दे तो आप पाएंगे कि यही थ्योर्री डार्विन के क्रमिक वंशवाद के विकास की थ्योरी की नींव है,की कैसे मानव सभ्यता का पानी से आविष्कार हुआ और क्रमशः विकाश होता हुआ कलयुग(कल मतलब मशीन युग) मे आया,

रामायण काल मे पुष्पक विमान की कल्पना आज के जम्बो बोइंग जेट की नींव है,इसे हमने कहानी बताया लेकिन विदेशियों ने इससे प्रेरणा ली,समुद्र पार पत्त्थर के सेतु आज हर बड़ी परियोजना की नींव है,

महाभारत काल मे जब कुरुक्षेत्र के  युद्ध का विवरण जब संजय हस्तिनापुर में बैठकर अन्धे धृतराष्ट्र को सूनाते है तो यही आज के लाइव टेलिकास्ट के लिए प्रेरणा है,मगर हम इसे सिर्फ काल्पनिकता के लिहाज से लेते है,

आगे चलकर महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूत लिखा जिसमे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को बादलो में अपना संदेश लिख कर भेजता है और हम इसे पढ़कर अपने पूर्वज कवियो की कल्पना का मजाक उड़ाते है जबकि इसी तकनीक को गंभीरता से ले कर अगर हम प्रेरित हुए होते तो आज व्हाट्सएप्प,फेसबुक,क्लाउड टेक्निक सब भारत की देन होता,लेकिन हम पर पश्चिमी करण इतना हावी है कि आज कल समस्याओ में हमे सुपर मैन और स्पाइडर मैन याद आते है हनु मैन(मान) नही,

ये बात सत्य है कि हमने अपने धर्मगनाथो को सिर्फ आध्यत्मिक दृष्टि से पढ़ा है कभी प्रेरणात्मक दृष्टि से नही पढ़ा है,कभी हनुमान चालिशा को पढ़ कर संमझ कर देखिये,हमें शास्त्रों में  संकट में हनुमान चालीसा पढ़ने को कहा गया है तो इसलिए नही की किसी भी संकट में हनुमान जी आकार हामारे संकट दूर करेगे,बल्कि इसलिए कहा गया है कि हनुमान चालिसा से प्रभावित होकर हम स्वयं ये याद करेंगे कि किनसे संकट के समय हनुमान जी ने अपनी बिसरी हुई शक्ति को एकत्रित किया और फिर अपनी स्वयं की शक्ति से सौ योजन का समुद्र लांध गए,ये है प्रेरणा,

रामचरित मानस में जो श्रींराम का चरित्र है आदर्श है,इससे सिर्फ रामभक्ति नाहींश्री राम के आदर्शो को सीखिये की कैसे जंगलो में 14 वर्ष तकलीफ पाने के बाद ही प्रभु श्री राम *मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम* हुए,श्री राम से धैर्य सीखिये की विपत्ति में कैसे धैर्य रखा जाता है,

महाभारत काल मे श्री कृष्ण का चरित्र तो भारतीय संस्कृति की अतुलनीय चरित्र है जो बांसुरी भी बजाता है और सुदर्शन चक्र भी चलाता है,श्री कृष्ण का चरित्र किशोरवस्था में पवित्र प्रेम सिखाता है तो महाभारत के युद्ध मे गीता का ज्ञान देता है,

भारतीय ग्रंथ एवं धर्म ग्रहणीय एवं पठनीय है इसलिए नही किए सभी  धार्मिक मान्यताओं से जुड़े है बल्कि इसलिए पठनीय है क्योंकि ये दैन्यदिनी जीवन के हर क्षेत्र में हमारे लिए प्रेरणात्मक है

आपके आम जीवन के हर समस्या का हल हमारे पुराणों मे धर्म मे है बस इसे एक बार ठीक से पढ़ने की और  समझने की आवश्यकता है,हमारा धर्म और संस्कृति सिर्फ आध्यात्मिक ही नही बल्कि वैज्ञानिक और तार्किक भी है,इस बात को जिस दिन हम समझकर अपने धर्म को सिर्फ कोरी कल्पना न समझ कर एक प्रेरणादायक ग्रंथ के रूप में लेंगे उस दिन हमारी शिक्षा का स्तर सही मायने में बढ़ जाएगा,अपनी सोच का दायरा बढाइये,अपने धर्मग्रन्थो की और वापस आईये,

क्योकि
कमजोर हो  नीव  तो किला ध्वस्त हो जाता है,
गलत हो दिशाएं तो हौसला पस्त हो जाता है,
जरा बच कर रहिये पश्चिमी सभ्यता से
सूरज पश्चित में जाकर अस्त हो जाता है,

धन्यवाद
विकाश खेमका

Wednesday, 22 May 2019

बाजार vs बाजारवाद

लाइफ मंत्रा: बाजार vs बाजारवाद

सफर आसान चाहते है तो समान काम रखिये,
जिंदगी आसान चाहते है तो अरमान कम रखिये,

किसी अनजान लेखक की लिखी ये पंक्तियां सर्वदा शास्वत सत्य है,लेकिन इन दो पंक्तियो को चरितार्थ करना इतना आसान भी नही है,हमारे आस पास फैलता हुआ बाजारवाद हमे ऐसा करने से  रोकता है, वर्तमान समय मे हम बाजारवाद को बाजार समझ बैठने की भूल समझ बैठे है,बाजार मतलब वो स्थान जहाँ हमे हमारे जरूरतों की चीज खरीदते है और बाजारबाद मतलब चीजे बना कर उनकी जरूरत महसूस कराई जाती है,साधारण सब्दो में इसे "मार्केटिज़्म"कहा जाता है,जहां बाजार का मतलब सिर्फ जरूरते पूरा करना है वहा बाजारवाद का मतलब जरूरते creat करना है,और ये बाजार जब से बाजारवाद बन गया है तब से जीवन मुश्किल हो गया है,बेवजह आपाधापी ,भागदौड़ बढ़ गयी है,

बहुराष्ट्रीय कम्पनियो में एक खासियत होती है उनके व्यापार का एक ही तरीका है किसी भी तरह से अपना प्रोड्कट बेचना,और इसके लिए वो हर विधा में पारंगत है,और आज कल  अपना सामान बेचने के लिए उन्होंने आम जनमानस पे भावनात्मक अत्याचार (इमोशनल ब्लैकमेलिंग) शुरू कर दी है,नए नए प्रोडक्ट को सोशल स्टेटस के प्रतीक से जोड़कर,अनचाहे फ़ूड सप्पलीमेंट को बच्चो के स्वास्थ्य एवं सफलता से जोड़कर,या अनचाहे समान को जिंदगी के आराम से जोड़कर अपने प्रोडक्ट को धड़ल्ले से बेच रहे है हमे लग रहा है कि हमे उस सभी प्रोडक्ट की आवष्यकता है लेकिन असल मे हमे उनकी आवश्यकताएं महसूस करा कर उन्हें खरीदने को विवश किया जा रहा है,

इसी बात को एक उदाहरण से समझते हैं,ओडोनिल का जो कि बाथरूम फ्रेशनर है,इस विज्ञापन में दिखाया जाता है कि जिस घर के बाथरूम में आडॉनील नही है उस घर का स्टेटस बेकार है,कॉम्प्लान और होर्लिक्स के विज्ञापन में दिखाया जाता है कि जो बच्चे ये नही पीते उनका विकाश सही ढंग से नही होता,बिना फेयर एन्ड लवली लगाए आप गोरा नही होंगे और इसके बिना लड़कियों को नौकरी नही मिलती,एक खास कंपनी का डीओ लगाने से लडकिया पटती है,रजनीगंधा खाने पर आप सफल बिज़नसमेन बनते है,बिना केंट प्यूरीफायर के पानी पिये हम बीमार हो जाते है,सॉफ्टड्रिंक्स पीने से हम कूल नजर आते है,उदाहरण हजारो है,उपरोक्त  बाते पढने में  बेतुकी लगती है लेकिन जब बड़े बड़े सितारे एक मोटी फीस लेकर उपरोक्त बाते हमारे मनपसनद टी वी चैनलो पर  बार बार दोहराते है तो ये बात हमे सच प्रतीत होने लगती है और फिर सुरु होती है बाजारवाद की दोहन प्रक्रिया,

हम भौतिकतावाद की दौड़ में धनमशीन बन जाते है और फिर धीरे धीरे मन मे ये बात घर करने लगती है कि बिना धन के जीवन बेकार है जबकि ऐसा नही है जीवन मे हमारी खुशिया वस्तुओ से नही है बल्कि लोगो से है,"दुनिया मे लोग प्यार करने के लिए है और वस्तुए उपयोग करने के लिए,लेकिन भौतिकतावाद और बाजार बाद के बहकावे में हम बस्तुओं से प्यार करते है और व्यक्तियों का उपयोग करते है,"

लगभग हर इंसान की मासिक आय विगत 10 वर्षों में लगभग दुगुनी हुई है और आप किसी भी वस्तु की कीमत देख लीजिए विगत 10 वर्षों में दुगुनी नही हुई है,लेकिन फिर भी हर आदमी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है तो सिर्फ इसलिए कि हमारे खर्चो का दायरा बढ़ गया है,बाजार बाद ने हमे सोशल स्टेटस के चक्रव्यूह में कुछ ऐसा घेर लिया है कि हम इसमे अभिमन्यु बनकर रह गए है,अभी भी संभाल जाइये,इस बाजारवाद से सावधान रहिये,

वरना आप की हालात क्या होगी इस पर मुझे विश्व के सबसे बड़े निवेशक वारेन बुफे की एक बात याद आती है कि
"अगर आप उन चीजों को खरीदना नही छोड़ेंगे जिनकी आप को आवश्यकता नही है तो जल्द ही आपको वो सभी चीजें बेचनी पड़ेगी जिनकी आपको बहुत ज्यादा आवश्यकता है

धन्यवाद

Tuesday, 21 May 2019

चुनाव 2019: एक विश्लेषण

विश्लेषण : आम चुनाव 2019

साधारणतः मेरी छवि एक "भक्त" की है मगर फिर भी राजनीतिक निरपेक्षता की कोशिश करते हुए एक निष्पक्ष विश्लेषण की कोशिश की है,

आम चुनाव 2019 खत्म हो गया,अब सिर्फ एग्जिट पोल के जरिये ये कयास लगाए जा रहे है कि 23 मई को कौन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा,ये चुनाव बहुत मायने में ऐतिहासिक रहा,नेताओ की बदजुबानी अपने चरम सीमा पर रही,राजनीति का स्तर रसातल से और नीचे गिर कर नित नए नए आयाम रच रहा है,इस चुनाव में बाकी चुनाव
के विपरीत मुख्य मुद्दा भ्रष्ट्राचार,रोजगार,महगाई,बिजली ,पानी,अपराध,या भूख नही थी,ये चुनाव सिर्फ एक ही मुद्दे पर लड़ा गया,सभी पार्टियों का एक कॉमन एजेंडा था,भाजपा का एजेंडा मोदी,कांग्रेस का भी मोदी,महागठबन्धन का भी मोदी,और देशकी मीडिया का मुद्दा भी मोदी, अब इसे लोकतंत्र की विडंबना ही कहा जाए कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी मुद्दा सिर्फ एक व्यक्ति है,पूरा चुनाव मोदी केंद्रित रहा,ऐसे लगा कि जैसे देश मे समस्या बेरोजगारी,भुखमरी और महगाई नही बल्कि मोदी है,

हर पार्टी ने अपने अपने ढंग से,अपने अपने स्तर पर अपनी और से अपने प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंक दी,कई समीकरण बदले,कई पुराने दुश्मनो ने अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए अपनी पुरानी रंजिश को राजनीतिक महत्वाकांक्षा की सूली पर चढ़ा दिया,एक बात हमेशा की तरह और ज्यादा स्पस्ट हो गयी कि राजनीति का सिर्फ एक ही उसूल है कि इसका कोई उसूल ही नही है,

इस बार के चुनाव को निष्पक्ष ढंग से निपटने के लिए चुनाव आयोग की तारीफ की जानी चाहिए,विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का चुनाव अगर शांतिपूर्ण ढंग से(बंगाल की छिटपुट हिंसक घटनाओं को छोड़ कर) निपट जाना एक ऐतिहासिक सफलता है,लेकिन इतने भीषण प्रचार और वोट की अपील के बाद भी वोट प्रतिशत का न बढ़ना इस बात का प्रतीक है कि इस वृहदतम गणतंत्र में लोग देश के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नही है,उनका देश के प्रति प्यार सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित है,

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ  मीडिया के लिए चुनाव ठीक उतना ही मतत्व पूर्ण है,जितना स्पोर्ट्स चेनल के लिए क्रिकेट और फुटबाल का वर्ल्डकप, ये सिर्फ इसलिए चुनाव को गंभीरता से लेते है क्योंकि ये उनकी trp बढाता है,पार्टियों के एजेंडे की तरह यहां भी मुख्य मद्दे गायब नजर आए,

इस बार के चुनाव के मुख्य बिंदु मोदी,नेताओ की भाषा का गिरता स्तर, और evm की निष्पक्षता रहे,जुबानी जंग देश के शीर्ष नेतृत्व को चोर कहने से शुरु हुई और धर्म,जाति, महिलाओं के अंतःवस्त्रों के रंग से होती हुई दिवंगत आत्माओ के अपमान तक चली,कई पुराने दंगो की कब्रे खोदी गयी,देश को जाति धर्म और क्षेत्र के आधार के नाम पर बाट कर अपने लिए वोट हासिल करने की भरपूर कोशिश की गई,देश के टैक्स पेयर्स के गाढ़ी मेहनत की कमाई को मुफ्त में बाटने के वादे किए गए,सभी पार्टिया लोकलुभावन वादे करते नजर आयी,इस बार चुनाव में हिंदुत्व का मुद्दा  हावी रहा,सभी पार्टियां रमजान का महीना होने के बावजूद जालीदार टोपी पहनने से बचती रही,जातीय समीकरणो से ज्यादा धार्मिक समिकरनों को तरजीह दी गयी,

सोशल मीडिया ने इस चुनाव में बहुत अहम रोल अदा किया अगर ये कहा जाए कि इस बार चुनाव सॉशल मीडिया पर लड़े गये तो कोई अतिशयोक्ति न होगी, राष्ट्रवाद और देशद्रोह के नारों के बीच आम जनता के बुनियादी मुद्दे गुमनामी की मौत मर गए,इस बार का चुनाव इन सिद्धान्तों पर लड़ा गया कि जीत ही सब कुछ है और अपने आप को जस्टीफ़ाइड कर देती है,

इस बार चुनाव कोई भी जीते लोकतंत्र का हारना तो तय है,इस चुनाव के नातीजो पर पद्मश्री सुरेद्र शर्मा की कुछ पंक्तिया या आती है,

" इससे कोई फर्क नही पड़ता कि राजा रावन बने या राम,
जनता तो सीता है राजा रावण हुआ तो  हर ली जाएगी,राजा राम हुआ तो फिर से अग्नि परिषा के लिए अग्नि में झोंक दी जाएगी,

इससे कोई फर्क नही पड़ता कि राजा कौरव बने या पांडव,
जनता तो द्रौपती है राजा कौरव हुए तो भरे दरबार मे चीरहरण कर लिया जाएगा,
राजा पाण्डव हुए तो जुए में हार दी जाएगी,

और इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि राजा हिन्दू बने या मुस्लिम
जनता तो लाश है हिन्दू बना तो जला दी जाएगी,
मुस्लिम बना तो दफना दी जाएगी,

चुनाव का नतीजा चाहे जो भी हो आपको कल भी कुछ  पिछड़े,मुफ्तखोर और कथित गरीबो के लिए कमाना था,अब भी कमाना है,सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकलते रहिये क्योकि यही वो एंटीडोट है जो आपकी मन कि भड़ास निकलता है,

जय हिंद
जय भारत,