Saturday, 14 December 2019

गुफ्तगू

Just Beautiful .......
With thanks a ton to original writer...
Its relex me a lot....

🌹   *गुफ़्तगू*    🌹

उसने कहा- बेवजह ही खुश हो क्यों?
मैंने कहा- हर वक्त दुखी भी क्यों रहूँ !

उसने कहा- जीवन में  बहुत गम हैं,
मैंने कहा -गौर से देख,खुशियां भी कहाँ कम हैं।

उसने तंज़ किया - ज्यादा हँस मत, नज़र लग  जाएगी,
मेरा ठहाका बोला- चिकना हूँ,  फिसल जाएगी।

उसने कहा- नहीं होता,क्या तनाव कभी ?
जवाब दिया- मैंने ऐसा तो कहा नहीं!

उसकी हैरानी बोली- फिर भी यह हँसी?
मैंने कहा-डाल ली आदत,हर घड़ी मुसकुराने की!

फिर तंज़ किया-अच्छा!!बनावटी हँसी, इसीलिए
परेशानी दिखती नहीं।
मैंने कहा- अटूट विश्वास है, प्रभु मेरे साथ है,
फिर चिंता-परेशानी की,क्या औकात है।

कोई मुझसे "मैं दुखी हूँ" सुनने को बेताब था,
इसलिए प्रशनों का सिलसिला भी बेहिसाब था

पूछा - कभी तो छलकते होंगे आँसू ?

मैंने कहा-अपनी मुसकुराहटों से बाँध बना लेता हूँ,
अपनी हँसी कम पड़े तो कुछ और लोगों को
हँसा देता हूँ ,
कुछ बिखरी ज़िंदगियों में उम्मीदें जगा देताहूँ...

यह मेरी मुसकुराहटें दुआऐं हैं उन सबकी
जिन्हें मैंने तब बाँटा, जब मेरे पास भी कमी थी।
🌹

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