Tuesday, 23 October 2018

लाइफ मंत्रा- एक पल में हालात बदल जाते है,निराश मत होइए

लाइफ मंत्रा- एक पल में हालात बदल जाते है,निराश मत होइए,

आप सभी व्हात्सप्प के कई ग्रुप में होंगे ,कई बार आपने ग्रुप की डिटेल देखि होगी और नोट किया होगा की हर व्हासप्प ग्रुप में आपका आपका नाम सबसे निचे होता था, मगर व्हात्सप्प के  नए अपडेट में अब आपका नाम सबसे ऊपर आता है,एक छोटे से तकनिकी परिवर्तन ने आपको सबसे निचे से उठाकर सबसे ऊपर बैठा दिया,

हमारी जिंदगी में भी काफी कुछ ऐसा ही है,कई लोग जिन्हे हम महत्व नहीं देते जिन्हे हम ओछा या छोटा समझते है कब समय का एक छोटा सा चक्र उन्हें सफलता की बुलंदियों पर पहुचा देगा पता नहीं चलता,हमें अक्सर अपने आप पर,अपनी प्रतिभा पर,अपने ओहदे पर,अपने सामाजिक प्रतिस्ठा पर, बड़ा गुमान होता है,और इसके भरम में हम अक्सर अपनो से छोटे लोगो के साथ गलत व्यवहार करते है,उन्हें हिन् भावना से देखते है,

अक्सर "दूर" से या "गुरुर" से देखने पर चीजे छोटी नजर आती है, हम ये भूल जाते है कि हर हीरा पहले कोयला ही होता है,जिंदगी एक फ्लैग मार्च की तरह ही है जहां एक बार "पीछे मुड़" बोलते है सबसे आगे वाला इंसान सबसे पीछे और सबसे पीछे वाला इंसान सबसे आगे हो  जाता है,

यहाँ एक और बात भी गौर करने की है कि कभी भी किसी परिस्थिति में अपने आप को छोटा या कम मत समझिये क्या पता समय कब आपकी जिंदगी में पीछे मुड़ कह दे,अपनी उम्मीद कायम रखीये,

जब समय खराब हो हो धैर्य रखिये,जब समय अच्छा हो तो लोगों से समानुभूति रखिये,कोई भी कभी हमेशा के लिए बड़ा या छोटा नहीं होता, वैसे भी शतरंज का खेल खत्म होने के बाद राजा और प्यादे को एक डब्बे में रख दिया जाता है,

एक बात और मुझे पता है इसको पढ़ने के बाद आप अपना व्हात्सप्प ग्रुप अवश्य चेक करेंगे,या ऐसा करने की सोच रहे है,अब आप मुस्कुरा रहे है कि अरे यार इसको कैसे पता चला, बस ऐसे ही मुस्कुराते रहिये..

लाइफ मंत्रा- गलति कहा हुई,बच्चो को सफल बनने के साथ साथ असफलता झेलने की भी ट्रेनिंग दीजिये

गड़बड़ कहाँ हुई

एक बहुत ब्रिलियंट लड़का था. सारी जिंदगी फर्स्ट आया. साइंस में हमेशा 100% स्कोर किया. अब ऐसे लड़के आम तौर पर इंजिनियर बनने चले जाते हैं, सो उसका भी सिलेक्शन IIT चेन्नई में हो गया. वहां से B Tech किया और वहां से आगे पढने अमेरिका चला गया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफ़ोर्निया से MBA किया.

अब इतना पढने के बाद तो वहां अच्छी नौकरी मिल ही जाती है. उसने वहां भी हमेशा टॉप ही किया. वहीं नौकरी करने लगा. 5 बेडरूम का घर  उसके पास. शादी यहाँ चेन्नई की ही एक बेहद खूबसूरत लड़की से हुई .

एक आदमी और क्या मांग सकता है अपने जीवन में ? पढ़ लिख के इंजिनियर बन गए, अमेरिका में सेटल हो गए, मोटी तनख्वाह की नौकरी, बीवी बच्चे, सुख ही सुख।

लेकिन दुर्भाग्य वश आज से चार साल पहले उसने वहीं अमेरिका में, सपरिवार आत्महत्या कर ली. अपनी पत्नी और बच्चों को गोली मार कर खुद को भी गोली मार ली. What went wrong? आखिर ऐसा क्या हुआ, गड़बड़ कहाँ हुई.

ये कदम उठाने से पहले उसने बाकायदा अपनी wife से discuss किया, फिर एक लम्बा suicide नोट लिखा और उसमें बाकायदा अपने इस कदम को justify किया और यहाँ तक लिखा कि यही सबसे श्रेष्ठ रास्ता था इन परिस्थितयों में. उनके इस केस को और उस suicide नोट को California Institute of Clinical Psychology ने ‘What went wrong?‘ जानने के लिए study किया .

पहले कारण क्या था , suicide नोट से और मित्रों से पता किया। अमेरिका की आर्थिक मंदी में उसकी नौकरी चली गयी. बहुत दिन खाली बैठे रहे. नौकरियां ढूंढते रहे. फिर अपनी तनख्वाह कम करते गए और फिर भी जब नौकरी न मिली, मकान की किश्त जब टूट गयी, तो सड़क पर आने की नौबत आ गयी. कुछ दिन किसी पेट्रोल पम्प पर तेल भरा बताते हैं. साल भर ये सब बर्दाश्त किया और फिर पति पत्नी ने अंत में ख़ुदकुशी कर ली...

इस case study को ऐसे conclude किया है experts ने : This man was programmed for success but he was not trained,how to handle failure. यह व्यक्ति सफलता के लिए तो तैयार था, पर इसे जीवन में ये नहीं सिखाया गया कि असफलता का सामना कैसे किया जाए.

अब उसके जीवन पर शुरू से नज़र डालते हैं. पढने में बहुत तेज़ था, हमेशा फर्स्ट ही आया. ऐसे बहुत से Parents को मैं जानता हूँ जो यही चाहते हैं कि बस उनका बच्चा हमेशा फर्स्ट ही आये, कोई गलती न हो उस से. गलती करना तो यूँ मानो कोई बहुत बड़ा पाप कर दिया और इसके लिए वो सब कुछ करते हैं, हमेशा फर्स्ट आने के लिए. फिर ऐसे बच्चे चूंकि पढ़ाकू कुछ ज्यादा होते हैं सो खेल कूद, घूमना फिरना, लड़ाई झगडा, मार पीट, ऐसे पंगों का मौका कम मिलता है बेचारों को,12 th कर के निकले तो इंजीनियरिंग कॉलेज का बोझ लद गया बेचारे पर, वहां से निकले तो MBA और अभी पढ़ ही रहे थे की मोटी तनख्वाह की नौकरी. अब मोटी तनख्वाह तो बड़ी जिम्मेवारी, यानी बड़े बड़े targets.
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कमबख्त ये दुनिया , बड़ी कठोर है और ये ज़िदगी, अलग से इम्तहान लेती है. आपकी कॉलेज की डिग्री और मार्कशीट से कोई मतलब नहीं उसे. वहां कितने नंबर लिए कोई फर्क नहीं पड़ता. ये ज़िदगी अपना अलग question paper सेट करती है. और सवाल ,सब out ऑफ़ syllabus होते हैं, टेढ़े मेढ़े, ऊट पटाँग और रोज़ इम्तहान लेती है. कोई डेट sheet नहीं.
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एक अंग्रेजी उपन्यास में एक किस्सा पढ़ा था. एक मेमना अपनी माँ से दूर निकल गया. आगे जा कर पहले तो भैंसों के झुण्ड से घिर गया. उनके पैरों तले कुचले जाने से बचा किसी तरह. अभी थोडा ही आगे बढ़ा था कि एक सियार उसकी तरफ झपटा. किसी तरह झाड़ियों में घुस के जान बचाई तो सामने से भेड़िये आते दिखे. बहुत देर वहीं झाड़ियों में दुबका रहा, किसी तरह माँ के पास वापस पहुंचा तो बोला, माँ, वहां तो बहुत खतरनाक जंगल है. Mom, there is a jungle out there.
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*इस खतरनाक जंगल में जिंदा बचे रहने की ट्रेनिंग बच्चों को अवश्य दीजिये*.।
बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार भी देना जरूरी है  ,हर परिस्थिति को ख़ुशी ख़ुशी धैर्य के साथ झेलने की क्षमता, और उससे उबरने का ज्ञान और विवेक बच्चों में होना ज़रूरी है।माता पिता सफल जीवन के लिए तितिक्षा की शिक्षा अवश्य दें ।

Monday, 1 October 2018

गांधी जयंती

सभी अंध और मजबूर गांधीवादियों से खेद सहित
गांधी जयंती पर विशेष कविता

महात्मा गांधी जब तक जीवित थे तब तक स्वयं सियासत थे और मरने के बाद एक सियासत का मुद्दा है, ये हर भारतीय राजनितज्ञ की राजनितिक मज़बूरी है कि वो उनके विरोध में नहीं बोल सकता,लेकिन मैं क्योकि राजनितिक निरपेक्ष हु इसलिए आप सभी को सच से सामना अवश्य करवाना चाहूंगा...

कितने झूले थे फ़ासी पर कितनो ने गोली खायी थी,
क्यों झूठ बोलते होसाहेब,की आजादी बस चरखे से आयी थी,

चढ़ गये न जाने कितने फ़ासी पर फिर भी उनके होठ मौन थे,
अगर आजादी बस गांधी लाये थे तो बताओ भगत सिंग कौन थे,

किस अंहिंसा की बात करते हो तुम,तुम्हारे एक निर्णय से सारा देश बरसो तक सिसका था,
ट्रेन भर कर आई थी लाशें,विभाजन पे जो लाखो का खून बहा  था बताओ वो खून  किसका था,

अगर अहिंसा के पुजारी को देश अगर इतना ही प्यारा था,
तो फिर उसने क्यों विभाजन स्वीकारा था,

2 अक्टूबर पर गर्व है मुझको इसलिए नहीं की इस दिन गांधी का जन्म हुआ,
ये महापर्व है क्योकि जय जवान जय किसान कहने वाले शास्त्री जी का अवतरण हुआ

कभी सोचिये, टटोलिये अपने आप को क्या इसी को इन्साफ कहते है,
भारतमाता को विभाजित करने वाले को आज हम देश का बाप कहते है,

विकाश खेमका
कांटाबांजी

Saturday, 29 September 2018

The concept of veda

I loved the concept:
There are four yugas widely accepted in Hinduism. They are :
1. Satya yug
2. Treta yug (Ramayana)
3. Dwapara yug(Mahabharata)
4. Kal yug(Present)

In Satya yug, the fight was between two worlds (Devalok & Asuralok). Asuralok being the evil, was a different WORLD.

In Treta yug, the fight was between Rama and Ravana. Both rulers from two different COUNTRIES.

In Dwapara yug, the fight was between Pandavas and Kauravas. Both good and evil from the SAME FAMILY.

Kindly note how the evil is getting closer. For example, from a DIFFERENT WORLD to a DIFFERENT COUNTRY to the SAME FAMILY.

Now, know where is the evil in Kaliyug???

It is inside us. Both GOOD AND EVIL LIVE WITHIN. The battle is within us. Who will we give victory to, our inner goodness or the evil within??

Think, identify and fight. 👍Happy Navaratri 🙏

औरत और समाज

औरत को आईने में यूं उलझा दिया गया,
*बखान करके हुस्न का बहला दिया गया*

ना हक दिया ज़मीन का न घर कहीं दिया,
*गृहस्वामिनी के नाम का रुतबा दिया गया*

छूती रही जब पांव परमेश्वर पति को कह,
*फिर कैसे इनको घर की गृहलक्ष्मी बना दिया*

चलती रहे चक्की और जलता रहे चूल्हा,
*बस इसलिए औरत को अन्नपूर्णा बना दिया*

न बराबर का हक मिले न चूँ ही कर सकें,
*इसलिए इनको पूज्य देवी दुर्गा बना दिया*

यह डॉक्टर इंजीनियर सैनिक भी हो गईं,
*पर घर के चूल्हों ने उसे औरत बना दिया*

चाँदी सोने की हथकड़ी, नकेल, बेड़ियां,
*कंगन, पांजेब, नथनियां जेवर बना दिया*

व्यभिचार लार आदमी जब रोक ना सका,
*शृंगार, साज, वस्त्र पर तोहमत लगा दिया*

खुद नंग धड़ंग आदमी घूमता है रात दिन,
*औरत की टांग क्या दिखी नंगा बता दिया*

नारी ने जो ललकारा इस दानव प्रवृत्ति को,
*जिह्वा निकाल रक्त प्रिय काली बना दिया*

नौ माह खून सींच के बचपन जवां किया,
*बेटों को नाम बाप का चिपका दिया गया*
💐👸💃   📚🙏

Sunday, 19 August 2018

लाइफ मंत्रा: असली बाबा नकली बाबा

फेसबुक पर वायरल हो रही  ये पोस्ट हकीकत के काफी करीब लगी , इसलिए शेयर कर रहा हु,इसका मूल।लेखक जो भी है उसको बहुत बहुत आभार

बाबाओ को कोस रहे है
हम पर क्या
हमें"असली बाबा" चाहिए ?                                          

घर मे कुछ तालमेल की दिकत चल रही थी । सो मेरी मां गलती से असली बाबा के पास चली गई, मेरी बीवी की शिकायत करने लगी। कहा कि बहू ने बेटे को बस में कर रखा है, कुछ खिला-पिला दिया है, इल्म जानती है, उसकी काट चाहिए। असली बाबा ने कहा कि माताजी आप बूढ़ी हो गई हैं। भगवान के भजन कीजिए। बेटा जिंदगी भर आपके पल्लू से बंधा रहा। अब उसे जो चाहिए, वो कुदरतन उसकी बीवी के पास है। आपकी बहू कोई इल्म नहीं जानती। अगर आपको बेटे से वाकई मुहब्बत है, तो जो औरत उसे खुश रख रही है, उससे आप भी खुश रहिए। मेरी मां आकर उस असली बाबा को कोस रही है क्योंकि उसने हकीकत बयान कर दी। मेरी मां चाहती थी कि बाबा कहे हां तुम्हारी बहू टोना टोटका जानती है। फिर बाबा उसे टोना तोड़ने का उपाय बताते और पैसा लेते। मेरी मां पैसा लेकर गई थी, मगर बाबा ने पैसा नहीं लिया। कहा कि तुम्हारी बहू को कुछ बनवा दो इससे। मेरी मां और जल-भुन गई। मेरी मां को नकली बाबा चाहिए, असली नहीं।

मेरी बीवी भी असली बाबा के पास चली गई। कहने लगी कि सास ने ऐसा कुछ कर रखा है कि मेरा पति मुझसे ज्यादा अपनी मां की सुनता है। असली बाबा ने कहा कि बेटी तुम तो कल की आई हुई हो,अगर तुम्हारा पति मां की इज्जत करता है, मां की बात मानता है, तो फख्र करो कि तुम श्रेष्ठ पुरुष की बीवी हो। तुम पतिदेव से ज्यादा सेवा अपनी सास की किया करो, तुमसे भी भगवान खुश होगा। मेरी बीवी भी उस असली बाबा को कोस रही है। वो चाहती थी कि बाबा उसे कोई ताबीज दें, या कोई मन्त्र लिख कर दे दें, जिसे वो मुझे घोलकर पिला दे। मगर असली बाबा ने उसे ही नसीहत दे डाली। उसे भी असली नहीं, नकली बाबा चाहिए।

मेरे एक रिश्तेदार कंजूस हैं। उन्हें केंसर हुआ और वे भी असली बाबा के पास पहुंच गए। असली बाबा से केंसर का इलाज पूछने लगे। बाबा ने उसे डांट कर कहा कि भाई इलाज कराओ, भभूत से भी कहीं कोई बीमारी अच्छी होती है? हम रूहानी बीमारियों का इलाज करते हैं, कंजूसी भी एक रूहानी बीमारी है। जाओ अस्पताल जाओ, यहां मत आना। उन्हें भी उस असली सन्त से चिढ़ हुई। कहने लगे नकली है साला, कुछ जानता-वानता

एक और रिश्तेदार चले गए असल सन्त के पास,पूछने लगे कि धंधे में घाटा जा रहा है, कुछ दुआ कर दो। सन्त ने कहा दुआ से क्या होगा धंधे पर ध्यान दो। बाबा फकीरों के पास बैठने की बजाय दुकान पर बैठो, बाजार का जायजा लो कि क्या चल रहा है। वे भी आकर खूब चिढ़े। वे चाह रहे थे कि बाबा कोई दुआ पढ़ दें। मगर असली सन्त इस तरह लोगों को झूठे दिलासे नहीं देते। इसीलिए लोगों को असली बाबा,असली संत, ईश्वर के असल बंदे नहीं चाहिये,कबीर को, नानक को, रैदास को इसीलिए तकलीफें उठानी पड़ीं कि ये लोग सच बात कहते थे। किसी का लिहाज नहीं करते थे। नकली फकीरों, और साधु संतों की चल-हल इसीलिए संसार में ज्यादा है, क्योंकि लोग झूठ सुनना चाहते हैं, झूठ पर यकीन करना चाहते हैं, झूठे दिलासों में जीना चाहते हैं। सो लाख कह दिया जाए फलाँ फर्जी है, मगर लोगों को फर्जी संत चाहिए। इस कठोर दुनिया में झूठ और झूठे दिलासे ही उनका सहारा हैं !
सो जैसी डिमांड वैसी सप्लाई !!    
अगले बार कल फिर जब कोई बाबा कुछ गलत वजहों से चर्चा में होगा तो हम फिर से उसे गाली देगे, कोसेंगे,मगर सुधरने नही,हमारी संयस्या को हम दो मिनट नुडल संमझते है जिसका कोई भी बाबा पल भर में इलाज कर सकता है,ये कथित सिद्ध पुरुष हमने ही बनाये है,अगली बार  ऐसा कोई कांड होता है तो इसके दोषी काफी हद तक हम ही है,

Tuesday, 26 June 2018

लाइफ मंत्रा: जो अपने खुद के मालिक नही बन सकते वो किसी के नौकर बन जाते है

लाइफ मंत्रा: जो अपनें मालिक नहीं बन सकते किसी के नौकर बन जाते है

एक बन्दर को आप अगर 2 केले दिखाये और 100 रुपया का नोट दिखाये तो वो  झट से 2 केले ले लेगा,और उस पर टूट पडेगा,क्योकि उसे नहीं मालूम की अगर वो 100 रूपये ले ले तो उससे ऐसे 200 केले ले सकता है,उसे इस बात का ज्ञान नहीं है कि पैसा क्या है,इसका उपयोग क्या है, बस वो ये जानता है कि केले खाने में अच्छे लगते है,उसमे सोचने और समझने की क्षमता ही नहीं है कि कैसे बेहतर चीजो का चुनाव किया जाए,हर बेहतर फैसला लेना मुश्किल होता है और हर कोई सिर्फ आसान रास्ते का चुनाव करना चाहता है

हम में से अधिकतर लोग ऐसे ही पढ़े लिखे काबिल बन्दर है, जो 2 केले (नौकरी) के लिए अपने100 रूपये (व्यापर/ प्रोफेशन) छोड़ देते है, ये बिना सोचे समझे की की इस 2 केले की कितनी बड़ी कीमत आने वाले दिनों में हमे चुकानी पड़ेगी,लेकिन आसान रास्ते की खासियत है कि वो हमें अपनी और खींचता है आकर्षित करता है,खूबसूरत झूठ बदसूरत सच से ज्यादा अच्छा लगता है,

खुद के दम पर काबिलियत को साबित करना बहुत कठिन है,क्योकि इसमें रिस्क बहुत है,कई अनिश्चित्तताये है,हार जाने का खतरा है, और हम लोगों की आदत है कि हम लोग हार जाना नहीं चाहते और हारने से बचने के लिए हम ये आसान  रास्ता चुनते है कि लड़ते ही नहीं,ये भूल जाते है कि लड़े तो शायद हार भी जाए लेकिन न लड़े तो हमने मान ही ली है,

हमें नौकरी करना बहुत सेफ लगता है क्योंकि यहाँ हमें एक निश्चिंतता नजर आती है, 8 घंटे काम के बदले कई हजार या की बार कई लाख रूपये हमें बहुत ज्यादा लगते है, हम इस बात का कभी आकलन ही नहीं करते की इन कुछ हजार रुपए के बदले हमें क्या क्या देना पड़ता है,
इन कुछ हजार रुपये के लिए हम सिर्फ अपने 8 घंटे ही नहीं बल्कि अपनी स्वतंत्रता गिरवी रख देते है, हम कब खुश/या उदास होंगे इसका निर्णय हम नहीं हमारा बॉस करने लगता है, जैसे माँ को ठण्ड लगे तो बच्चे को भी स्वेटर पहनना पड़ता है वैसे ही हम हँसे,खुश हो या उदास रहे इसका निर्णय बॉस का मूड करता है,एक सेफ इनकम के एवंज् में हम अपने सपनो को गिरवी रख देते है,अपने बढ़ने की इच्छा को विराम दे देते है,

ऐसा नहीं है कि लोग प्रयास नहीं करते सेल्फ डिपेंडेंट बनने का मगर ज्यादातर लोग इतने कमजोर होते है कि क्षणिक असफलता को अपनी किस्मत मानतेे हुए इस निर्णय पर पहुच जाते है की शायद नौकरी ही उनकी नियति है,
गलती हमारी भी नहीं है हमें  बचपन से सिखाया गया है,की अच्छे से पढोगे औरअच्छे मार्क लाओगे तो अच्छी कंपनियां में तुम्हे नौकरी मिलेगी,खुश रहोगे,यहाँ तो खुद माँ बाप हमारे मन में इस बात को घर कराते है कि हमें बड़ा हो कर नौकर ही बनना है, हम खुद अपने बच्चों को नौकर बनाने के लिए पढ़ा रहे है,क्या पता ये विकृत मानसिकता कब जायेगी की 90 % प्लस मार्क्स ही काबिलियत है,जबकि हम दिन रात यही देखते है कि हर टॉपर सिर्फ कंपनी का सी इ ओ है मालिक नहीं,आज भी 8 वी पास लोग देश को कई पढ़े लिखे लोगो से ज्यादा बेहतर ढंग से चला रहा है,

लेकिन हम है कि नौकर ही बनना चाहते है, एक आदमी जो 10 लोगो को नौकरी देने की ताकत रखता है खुद किसी बड़े शहर में जाकर कुछ हजार की नौकरी कर रहा है क्योंकि इसमें उसे आसानी होती है,उसे आजादी महसूस होती है,हम अपनी क्षणिक और भौतिक इच्छाओ को अपने मन मुताबिक़ पूरा करने की आजादी समझते है
असल में हमें संघर्ष करना बड़ा मेहनत वाला काम लगता है,हम को अंधेरो को इतनी आदत पड़ गयी है कि उजाला आँखों को चुभता है,हम बदलना नहीं चाहते,अपने आप को तकलीफ देकर बदलाव करना नहीं चाहते,चाहे वो हमारी भलाई के किये भी क्यों न हो?

हम भूल जाते है कि कुछ हजार की सेफ इनकम के लिए हमें अपना जमीर से समझौता करना पड़ता है, उन बातों पर चुप रहना पड़ता है जो हम जानते है कि गलत है क्योकि  नौकरी का पहला उसूल है कि बॉस इस ऑलवेज राईट,नौकरी में सर सिर्फ ऊपर से नीचे हिलाने की आजादी होती है दाए से बाएं नहीं,नौकरी में "यस मेन" बनना पड़ता है,यहाँ सही नही बल्कि मालिक का पसंदीदा काम करना पड़ता है,

मालिक बनना इसलिए भी हमें मुश्किल लगता है क्योकि मालिक बनने से पहले इसके लायक बनना पड़ता है, अपनी कई इच्छाओ को मारना पड़ता है,रोज छोटी छोटी ख्वाहिशो को मारना पड़ता है जो की छोटी बात नहीं इसलिए हम अपने खुद के मालिक बनने की बजाय दूसरे का गुलाम बनना पसंद करते है,

नौकरी करना कोई बुरी बात नहीं,जीविका का कोई भी साधन जो इज्जत से कमाया जाए गलत नही, यहां बात है खुद के काबिलियत के उपयोग की,हम अपनी काबिलियत को खुद के लिए उपयोग करके उससे कंही हासिल कर सकते है जितना हम अपनी काबिलियात को दूसरों के लिए उपयोग करके हासिल करते है, लेकिन इसमें वक्त लगता है और वक्त किसी के पास नहीं है, हर कोई 2 मिनट मैग्गी की तरह हों गया है जिसे इंस्टेंट रिजल्ट चाहिए,

धैर्य रखिये,अपने रास्तो का चुनाव करने से पहले अपने विवेक का उपयोग कीजिये,संघर्ष की राह आरम्भ में मुश्किल जरूर होती है लेकिन बाद में जिंदगी आसान कर देती है और इसका उलटा भी इतना ही सही है,

जो हंस रहा है उसी ने दर्द पाला होगा,
जो चलता रहा है उसी के पाँव में छाला होगा,
एक बार जल के देख जीवन में सूरज की तरह
तेरी भी शोहरत होगी तेरे पीछे भी उजाला होगा

Friday, 18 May 2018

लाइफ मंत्रा:करत करत अभ्यास के मूढमति होए सुजान

लाइफ मंत्रा:करत करत अभ्यास के मूढमति होए सुजान

भारत को गाँव का देश कहा जाता है और इसकी लगभग 70% आबादी गाँव में रहती है,भले ही लोग आज शहरी चकाचौन्ध के मृग मरीचिका के पीछे भाग रहे हो मगर हर कोई कंही न कंही ये मानता है कि रहने का मजा तो गाँव या छोटे कस्बो में ही है क्योंकि यहाँ आपको यहाँ  पहचान के लिए सबसे बड़ा प्रमाणपत्र आअपका चेहरा है आपके दस्तावेज नहीं, आप यहाँ बिना जेब में पैसे लिए भी कुछ खरीद सकते है,

गाँव/छोटे कस्बो के बारे में एक बात अक्सर सुनने को मिलती है कि छोटे कस्बो में बहुत पैसा है यहाँ लोगों के पास ठोस पैसा है,सिर्फ शहरो की तरह पोल या दिखावा है मैंने भी खुद महसूस किया है आस पास के कई छोटे और दुर्गम गाँव जहां पहुचंने के लिए आपको मशक्कत करनी पड़ती है वहां के लोगो के पास इतना पैसा है कि वो कई बड़े बड़े कथित बिज़नस के धाकड़ो को 10 बार खरीद लेंगे और बेचेंगे भी नहीं,आखिर इतना पैसा उनके पास आया कहा से??क्या कोई कुबेर का खजाना मिला??एक छोटे से गाँव के मुश्किल से मेट्रिक तक शिक्षा प्राप्त आदमी आज धन मशीन है तो उसमें कुछ न कुछ *एक्स फैक्टर* अवश्य होगा,

मैं यहाँ उसी एक्स फैक्टर की चर्चा करना चाहता हु,ये *एक्स फैक्टर है उनकी निरन्तरता*,बहुत पढेलिखे और बहुत जानकार लोगो के साथ ये समस्या होती है कि वो हर चीज में तर्क ढूंढते है उन समस्याओं के समाधान भी ढूंढते है जो समस्याए उनके साथ है ही नहीं,जबकि जीवन में सफलता के लिए जो सबसे जरुरी और आवश्यक बात है वो है *निरंतरता*, एक पुरानी कहावत है कि *100 ग्राम निरंतरता कई टन काबिलियत पर भारी है*

एक छोटी सी किराना दुकान से एक साधारण पढ़ा लिखा व्यक्ति सिमित संसाधनों से करोड़पति बन जाता है और एक बहु आयामी डिग्री धारी जानकार व्यक्ति पढ़लिख कर जिंदगी भर में अपना खुद का एक मकान के लिए भी तरसता है,शास्त्रों में कहा गया है कि ज्ञान कंही से भी मिले ग्रहण कीजिये बहुत सही है बात है लेकिन कई बार मैंने महसूस किया है कि जो ज्ञान आप उपयोग नहीं करते वो ज्ञान आपके लिए एसेट्स नहीं बल्कि लाइबिलिटी बन जाता है, बहुत ज्यादा जानकारी कन्फ्यूज़ करती है, जबकि सिमित ज्ञान वाले लोग अपने सिमित दायरे में निरंतर कार्य करते हुए कई गुना आगे बढ़ जाते है,

कई बार मैंने महसूस किया है कि दुनिया विशेषग्यो को सलाम करती है उनकी इज्जत करती है चाहे वो किसी भी विषय में स्पेशलिस्ट हो,और स्पेशलिस्ट बनने का एक।ही तरिका है निरन्तरता,पानी कोमल  होता है लेकिन निरंतर बहकर वो पत्थर को रेत बना देता है, मिटटी से बना घड़ा पत्थरो के पनघट पर अपनी छाप छोड़ देता है,ऐसे ही निरंतर अपने काम में लगा व्यक्ति सफलता के नए आयाम गढ़ता है, अक्सर हम सफलता न मिलता देख अपना काम बदल देते है,लेकिन काम नहीं हमें अपने काम करने का तरिका बदलने की आवश्यकता है,दुनिया में मेरे जैसे लाखो करोडो लोग है जो रोज फ़ेसबुक और व्हात्सप्प पर सैकड़ो अच्छी बातें करते है मगर अपने आप से प्रेरणा नहीं लेते ,वो ज्ञान देते है पर सिर्फ दुसरो को,अपने आप को सही करने का यही तरिका है की अपने काम में लगे रहो, कोई भी अच्छा या बड़ा काम अचानक नहीं होता,उसमे समय लगता है,धैर्य रखिये,अपने प्रयास जारी रखिये,बून्द बून्द से घड़ा भरता है,अपने ज्ञान को अपने शब्दों में नहीं अचार एवम व्यवहार में लाइए,

घनी धुंध ने ये बात मुझे सिखायी है,
बस चलते रहो रास्ता खुद ब खुद नजर आएगा,

रुक जाना नहीं तू कंही हार के...
कांटो पे चल के मिलेंगे साये बाहर के.

ओ राही ओ राही....
ओ राही ओ राही....

Friday, 27 April 2018

लाइफ मंत्रा: आकर्षण के नियम(ला ऑफ़ अट्रैक्शन)

लाइफ मंत्रा:आकर्षण के नियम

एक अच्छी और सफल जिंदगी जीने का कोई निर्दिष्ट सूत्र या फॉर्मूला नहीं है मगर फिर भी कुछ बाते है जो एक सफल और सुखी जीवन और सफल होने के लिए हमेशा ही आवश्यक है, ऐसा ही एक मनोवैज्ञानिक नियम है "आकर्षण का नियम" जिसे "लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन" के नाम से जाना जाता है,ये जीवन प्रबंधन का एक छोटा सा सूत्र है जो की अपने भीतर कई गहरी बात छुपाये हुए है, इसके अनुसार " हर वो चीज जिसके बारे में हम सोचते है वो बढ़ती है,हम वैसे बन जाते है और वैसा ही काम करते है जैसा हम सोचते है,"

सुन कर सायद कुछ अटपटा लगा हो लेकिन अधिकतर जगह ये सूत्र सत्य साबित होता है,इसके अनुसार इंसान के शारीरिक ऊर्जा और शक्ति उसकी मानसिक सोच के अनुसार कार्य करती है,और उसी के अनुसार बढ़ती/कमती है,इसलिए हमारा हमेशा सकारत्मक रहना बहुत जरुरी है,इस नियम को साधारण उदाहरण से संमझते  है,अगर हम सोचते है कि कोई काम हम कर सकते है तो हम सही सोचते है,और अगर हम सोचते है कि वही काम हम नहीं कर सकते तो भी हम सही सोचते है, हमारी सकारत्मक सोचने की क्षमता ही हमें सफल होने में सहायक सिद्ध होती है, अगर हम समस्या के बारे में सोचते है तो हमारी समस्याए बढ़ती है अगर समाधान के बारे में सोचते है तो समाधान बढ़ते है,

हमारा व्यक्तिवव हमारी सोच से है,और हम अक्सर उसी तरह रियेक्ट करते है जैसे सोचते है, नकारात्मक विचार से सकारत्मक ऊर्जा नहीं आ सकती, अगर मैं आपको कहु की सफ़ेद हाथी के बारे में मत सोचिये तो सबसे पहले आपके मन में जो तस्वीर आएगी वो सफ़ेद हाथी की ही आएगी,इसलिए हमेशा अपने मन को सकारात्मक रखिये,अगर आप सोचते है कि आप फेल हो जाएंगे तो समझिए की आप हो गए, अगर आप संजहते है कि आप पास हो जाएंगे तो समझिए की आप हो गए,अगर आप सोचते है कि आप पैसे कमाना लेंगे  तो समझिये की आप ने कमा लिए,

जीवन में आपको क्या क्या करना है इस पर अपना ध्यान केंद्रित कीजिये और आपके साथ अपने आप वो सब बातें होने लगेगी जो की आप करना चाहते है, इसका विपरीत भी इतना ही सही है उन बातों पर ध्यान केंद्रित कीजिये जो आप नहीं करना चाहते तो आपके साथ वही बाते होने लगेंगी जो की आप नहीं करना चाहते,

समस्या का हिस्सा बनकर समाधान नहीं किया जा सकता है ,लेकिन समाधान का हिस्सा बनकर समस्या जरूर खत्म की जा सकती है, अन्धेरा अँधेरे से नहीं ख़त्म होता...

हमारी सोच हम जितना सोचते है उससे ज्यादा कंही शक्तिशाली है,उसका उपयोग कीजिये,अच्छी बातें सोचिये,सकारत्मक सोहिये, सफलता के लिए सोचिये,खुश रहने के तरीके सोचिये,मुस्कुराने के बारे में सोचिये

आपके भविष्य का प्रतिबिंब आपकी आज की सोच  है, आप निर्धारित कीजिये की आपको कैसा भविष्य चाहिए,