लाइफ मंत्रा:करत करत अभ्यास के मूढमति होए सुजान
भारत को गाँव का देश कहा जाता है और इसकी लगभग 70% आबादी गाँव में रहती है,भले ही लोग आज शहरी चकाचौन्ध के मृग मरीचिका के पीछे भाग रहे हो मगर हर कोई कंही न कंही ये मानता है कि रहने का मजा तो गाँव या छोटे कस्बो में ही है क्योंकि यहाँ आपको यहाँ पहचान के लिए सबसे बड़ा प्रमाणपत्र आअपका चेहरा है आपके दस्तावेज नहीं, आप यहाँ बिना जेब में पैसे लिए भी कुछ खरीद सकते है,
गाँव/छोटे कस्बो के बारे में एक बात अक्सर सुनने को मिलती है कि छोटे कस्बो में बहुत पैसा है यहाँ लोगों के पास ठोस पैसा है,सिर्फ शहरो की तरह पोल या दिखावा है मैंने भी खुद महसूस किया है आस पास के कई छोटे और दुर्गम गाँव जहां पहुचंने के लिए आपको मशक्कत करनी पड़ती है वहां के लोगो के पास इतना पैसा है कि वो कई बड़े बड़े कथित बिज़नस के धाकड़ो को 10 बार खरीद लेंगे और बेचेंगे भी नहीं,आखिर इतना पैसा उनके पास आया कहा से??क्या कोई कुबेर का खजाना मिला??एक छोटे से गाँव के मुश्किल से मेट्रिक तक शिक्षा प्राप्त आदमी आज धन मशीन है तो उसमें कुछ न कुछ *एक्स फैक्टर* अवश्य होगा,
मैं यहाँ उसी एक्स फैक्टर की चर्चा करना चाहता हु,ये *एक्स फैक्टर है उनकी निरन्तरता*,बहुत पढेलिखे और बहुत जानकार लोगो के साथ ये समस्या होती है कि वो हर चीज में तर्क ढूंढते है उन समस्याओं के समाधान भी ढूंढते है जो समस्याए उनके साथ है ही नहीं,जबकि जीवन में सफलता के लिए जो सबसे जरुरी और आवश्यक बात है वो है *निरंतरता*, एक पुरानी कहावत है कि *100 ग्राम निरंतरता कई टन काबिलियत पर भारी है*
एक छोटी सी किराना दुकान से एक साधारण पढ़ा लिखा व्यक्ति सिमित संसाधनों से करोड़पति बन जाता है और एक बहु आयामी डिग्री धारी जानकार व्यक्ति पढ़लिख कर जिंदगी भर में अपना खुद का एक मकान के लिए भी तरसता है,शास्त्रों में कहा गया है कि ज्ञान कंही से भी मिले ग्रहण कीजिये बहुत सही है बात है लेकिन कई बार मैंने महसूस किया है कि जो ज्ञान आप उपयोग नहीं करते वो ज्ञान आपके लिए एसेट्स नहीं बल्कि लाइबिलिटी बन जाता है, बहुत ज्यादा जानकारी कन्फ्यूज़ करती है, जबकि सिमित ज्ञान वाले लोग अपने सिमित दायरे में निरंतर कार्य करते हुए कई गुना आगे बढ़ जाते है,
कई बार मैंने महसूस किया है कि दुनिया विशेषग्यो को सलाम करती है उनकी इज्जत करती है चाहे वो किसी भी विषय में स्पेशलिस्ट हो,और स्पेशलिस्ट बनने का एक।ही तरिका है निरन्तरता,पानी कोमल होता है लेकिन निरंतर बहकर वो पत्थर को रेत बना देता है, मिटटी से बना घड़ा पत्थरो के पनघट पर अपनी छाप छोड़ देता है,ऐसे ही निरंतर अपने काम में लगा व्यक्ति सफलता के नए आयाम गढ़ता है, अक्सर हम सफलता न मिलता देख अपना काम बदल देते है,लेकिन काम नहीं हमें अपने काम करने का तरिका बदलने की आवश्यकता है,दुनिया में मेरे जैसे लाखो करोडो लोग है जो रोज फ़ेसबुक और व्हात्सप्प पर सैकड़ो अच्छी बातें करते है मगर अपने आप से प्रेरणा नहीं लेते ,वो ज्ञान देते है पर सिर्फ दुसरो को,अपने आप को सही करने का यही तरिका है की अपने काम में लगे रहो, कोई भी अच्छा या बड़ा काम अचानक नहीं होता,उसमे समय लगता है,धैर्य रखिये,अपने प्रयास जारी रखिये,बून्द बून्द से घड़ा भरता है,अपने ज्ञान को अपने शब्दों में नहीं अचार एवम व्यवहार में लाइए,
घनी धुंध ने ये बात मुझे सिखायी है,
बस चलते रहो रास्ता खुद ब खुद नजर आएगा,
रुक जाना नहीं तू कंही हार के...
कांटो पे चल के मिलेंगे साये बाहर के.
ओ राही ओ राही....
ओ राही ओ राही....
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