Saturday, 30 September 2017

लाइफ मंत्रा: अपना वोट इतने सस्ते में मत बेचिए

लाइफ मंत्रा : अपने वोट इतने सस्ते मे मत बेचिए

आज मेरे मंच के युवा साथी करंजिया के युवा राकेश अग्रवाल(अनु भाई) ने मुझे व्हाट्सएप्प पर msg कर के वोट और लोकतंत्र पर कुछ लिखने को कहा,सबसे पहले तो मैं अन्नू भाई का धन्यवाद कहना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे इस लायक समझा,मैंने उनके अनुरोध पर मैंने एक कुछ कोशीश की है, ये प्रयास कर रह हु की में अनु भाई और अपने कुछ सीमित प्रसंशक जो मुझे लिखने को प्रेरित करते है उन की अपेक्षाओं पर खरा उतर सकू,

लोकतंत्र मतलब होता है लोगो के द्वारा बनाया गया तंत्र या शासन जिसमे आम लोगो के ये शक्ति दी जाती है कि वो ये तय करे की उनके ऊपर शासन करेगा,उनके हितों के लिए कौन काम करेगा, और इस के लिए चुनाव नाम की एक संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसके बारे में ये भ्रामक प्रचार किया जाता है कि वो निष्पक्ष होते है,जिसके बारे में सरकार प्रचार करती है कि बिना किसी दबाव और प्रलोभन के ये वोट किया जाए,वोट मतलब आपका मत,आपके मनपसंद उम्मीदवार को अपने ऊपर शासन करने का अधिकार देते है,

हम अक्सर देश के गरीब तबके के ऊपर ये दोषरोपन करते है कि वो अपना वोट कुछ क्षणिक प्रलोभन के लिए बेच देते है, लेकिन खुद को भी आईना देख ने की जरूरत है,असल मे किसी भी पद के लिए चुनाव करवाने के पीछे ये धारणा है कि लोग अपने सोच विचार से उस पद के लिए योग्य उम्मीदवार को जो कि उस पद,संस्था,देश,के साथ इंसाफ कर सके,उसके लिए उपयुक्त हो,जिस पद के लिए चुनाव हो रहे हो उसको प्राथमिकता से लेकर उसके विकाश के लिए कार्य करे,चाहे वो चुनाव राजनीतिक हो,सामाजिक हो,या प्रोफेशनल्स का चुनाव हो,इसके लिए वोट देते समय हमें सिर्फ एक ही बात को कंसिडर्ड करना चाहिए कि जिस देश/राज्य/संस्था/समिति के लिए चुनाव ही रहा है उसके लिए सबसे उपयुक्त कौन सा उम्मीदवार है,लेकिन हम क्या देखते है?? सिर्फ़ अपनी सुविधा!!!

इंसान की मानसिकता है कि वो सुविधवाद को सबसे बड़ा धर्म मानती हूं,हम अक्सर अपनी जरूरतों को देखकर अपने नियम तय करते है,हम नियमो को अपने सुविधा के हिसाब से तोड़ते मरोड़ते है,और चुनाव और वोट भी इससे अछूते नही है,गरीब इंसान पैसे के लिए वोट देता है, मध्यम वर्ग अपनी पहचान,और जाति देखकर,अमीर को तो चुनाव पर नही अपने पैसे पर भरोसा है,वोट देने की जरूरत ही नही है सरकार किसी भी हो वो खरीद सकता है,

ऐसे में निष्पक्ष चुनाव और बिना प्रलोभन के वोट सिर्फ किताबी बाते नजर आते है,हम किसी को भी उसकी योग्यता नही बल्कि अपनी सुविधा को देख कर वोट देते है और फिर उससे ये आशा करते है कि हमारा चुना हुआ व्यक्ति अच्छा काम करे और वो काम करे जो हमारे हित मे हो,चाहे वो देश/संस्था/समाज के हित मे हो या न हो,जाने अनजाने हम अपना मताधिकार एक बहुत सस्ती कीमत पर बेच देते है,उसकी कीमत नही समझते,अपने क्षणिक होने वाले फायदे के लिए हम अपने आने वाले कल का नुकसान नही देखते,

जिस दिन हम ये बात समझ जायेगे की वोट देना  सिर्फ एक अधिकार नही बल्कि एक कर्तव्य है,जिम्मेदारी है,उस दिन हम अपने वोट की कीमत समझ जायेंगे,ये बात हमेशा याद रखिये की दुनिया में बुराई इसलिए नही क्योकि दुनिया मे बुरे लोग ज्यादा है बल्कि इस लिए है क्योंकि अच्छे लोग उसका विरोध नही करते,किसी भी देश/संस्था/समाज के चुनाव में अपने स्वार्थ से ऊपर उठ कर अपनी आंखें खोल कर वोट दे,और आप देखनेगे की आपकी एक वोट कैसे आपकी जिंदगी बदल देता है,परिवर्तन की शुरवात खुद से कीजिये,उसका इन्तेजार मत कीजिए, अपनी और अपने वोट की कीमत पहचानिए

No comments:

Post a Comment

आपके अमूल्य राय के लिए धन्यवाद,