बस तन्हाई को थोड़ा पास बुलाना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुमसे दूर जाना,
बस बिना मन के कभी मुस्कुराना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुमसे दूर जाना
बस दिल को रोज थोड़ा संमझाना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुमसे दूर जाना,
बस रोज तेरी तस्वीर को निहारना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुझसे दूर जाना,
बस कभी कभी कुछ आंसू बहाना पड़ा
इतना मुश्किल भी नहीं था तुझसे दूर जाना,
दिलो से तेरी यादो के जाले झाड़ लिए,
तेरी अहसासों के कुछ पन्ने फाड़ दिए,
कभी आँखे बंद करके तूझे देख लिया,
कभी तेरे लिए देखे सपने उजाड़ दिए
कुछ टुटा सा लगा सीने में,उसे जोड़ तोड़ के जीना पड़ा
मगर इतना मुश्किल भी न लगा तुझसे दूर जाना,
ज़िंदा हु मैं,सांसे भी चल रही है ये भरम बनाना पड़ा,
बस इतना ही मुश्किल लगा तुझसे दूर जाना,
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