अपनी खुशियो का स्टैण्डर्ड खुद तय कीजिये,
Who मतलब विश्व स्वास्थ्य संगठन एक अंतराष्ट्रीय संस्ता है को विभिन्न बिमारियि के लिए स्टैंडर्स तय करती है, जैसे की अगर आप के शरीर में ब्लड प्रेसर 80/120 है तो ये नार्मल है,फास्टिंग शुगर अगर 80-110 है तो ये नार्मल है,एक वयस्क का हीमोग्लोबिन अगर 14 है तो नार्मल है, ये स्टैंडर्स की मानव शरीर के लिए नार्मल स्वस्थ रहने की ,ये स्टैण्डर्ड विश्व की सभी रजिस्टर्ड चिकित्सक संनस्थाओ को मान्य होते है, जिसको ध्यान में रखकर डॉक्टर्स हमको बीमार या स्वस्थ घोषित करते है और उस हिसाब से हमारे लिए उपचार तय करते है,
इसी को बेस करके दुनिया में बिमारी के आंकड़े बनाये जीते है और इस के अनुसार भारत में 35% लोग ब्लड प्रेसर की समस्या से पीड़ित है,लगभग 40%शुगर से,लेकिन ज़रा सोचिए कि कल को who अपने इस स्टैंडर्स में कुछ परिवर्तन कर दे और कहे की नॉर्मल ब्लड प्रेसर 85-110 नार्मल है, और फास्टिंग शुगर 90-100 नार्मल है,तो उसके इस बयान के बाद अगर फ़ीर से स्वास्थ्य के आंकड़े जारी किये जाए तो ये चोकाने वाले होंगे,और उस के अनुसार भारत में ब्लड प्रेसर की समस्या 35% से बढ़कर 60% और शुगर की समस्या 40 से बढ़कर 65% तक हो जायेगी, बैठे बिठाये भारत में लगभग 25 करोड़ मरीज बढ़ जाएंगे,अपने आप को बीमार महसुस करने लगेंगे,जब की उनकी शारीरिक स्वास्थ्य में कुछ बदलाव नहीं हुआ,मगर सही स्वास्थ्य मापने के बस मापदंड बदल गए तो हम बीमार हो गए,
बस ऐसा ही कुछ हमारी जिंदगी के साथ भी है, की हम खुश नहीं है,हमें कोई प्यार नहीं करता,हमारा वैवाहिक जीवन सुखद नहीं है, कल तक जब आपकी शादी हुई थी आपका पति/पत्नी इतने अच्छे थे की उनसे जुड़ी हर बात आपको अच्छी लगती थी, हम उनकी हर खूबी ढूंढते थे, वो हमको अच्छे लगते थे, मगर वैसे जैसे वक्त गुजरा हम एक दूसरे को जानने लगे,पहचानने लगे,और धीरे धीरे एक दूसरे में कमियां खोजने लगे वो बाते खोजने लगे जो हमें परेशान करती है चिड़चिड़ा बनाती है, और इन कमियों में वो खूबियां कंही दफ़न हो गई, हम एक दूसरे से कितना प्यार करते है इस का अंदाज हम अपने मन से पूछ कर नहीं बल्कि आपने आस पास की दुनिया की खुशियो से लगाने लगते है,
अक्सर ये शिकायते आम हो जाती है कि आप मुझे फलाना जितना प्यार नहीं करते,उसने अपनी वाइफ को एनिवर्सरी में रिंग गिफ्ट की आपने नहीं की,फेसबुक में किसी कपल की फोटो देख के ये शिकायत आम हो गयी है कि आप मुझ को कंही घुमाने नही ले जाते, पति की संमस्या आम है कि तुम मुझ पर इतना भरोसा नहीं करती वो देखो पड़ोसन अपने पति पर कितना भरोसा करती है, हम अपनी खुशियो का स्टैण्डर्ड दुसरो से तुलना कर के तय करते है,और इस लिए हम दिन ब दिन अपने आप को खुशियो की कमी वाला बीमार सोच लेते है जबकि ऐसा कुछ नहीं है, ख़ुशी सिर्फ एक अहसास है,और सिर्फ उतनी महसूस की जाती है जितना हम महसूस करना चाहते है,प्यार का ख़ुशी का मानक "एक्सटर्नल" नहीं "इंटरनल"होना चाहिए,कुछ नहीं बदला है बस आपकी सोच बदली है,आप भी वही है आपके पति/पत्नी भी वही है, बस आपकी सोच ने आपको बीमार कर दिया है,जब आप को अपने पुराने मानक (स्टैंडर्ड) पर देखेंगे तो आप पायेंगे की दुनिया उतनी ही खूबसूरत है, आप के पति/पत्नी उतने ही प्यारे है,सब ठीक है, सब अच्छा है,
बस अपना स्टैण्डर्ड लोगो के देखकर नहीं खुद के दिल को देखकर तय कीजिये,अपनी खुशियां तय करने का अधिकार किसी और को मत दीजिये,
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