Thursday, 9 March 2017

लाइफ मंत्रा: एक दूजे के लिए- एग्जाम में पास होने के लिए सभी सब्जेक्ट में पास होना जरुरी है

एक दूजे के लिए :
एग्जाम में पास होने के लिए हर सब्जेक्ट में पास होना जरुरी है,

मैं स्कूल में एक औसत से कुछ बेहतर श्रेणी का छात्र था, 80 के दशक में 60% मार्क को बहुत अच्छा माना जाता था और मैं इस श्रेणी में आता था, गणित मेरा पसन्दीदा सबजेक्ट था और इस में मेरे मार्क्स 90 से अधिक आते थे,बाकी सब विषयो में सतोषजनक मार्क थे मगर इंग्लिश  मैं बहूत कमजोर था, बहुत मुश्किल में पासिंग मार्क लाता था,स्कुल की वार्षिक परीक्षा में पास होने के लिए क्योकि हर विषय में पास होना जरुरी था,इसलिए मुझे पसंद न होते हुए भी इंग्लिश पढ़ना पढता था,जैसे तैसे पढ़ कर मैं पास होता गया,और लगभग अपने 60% मार्क्स निरंतर बनाये रखे,और कभी फ़ैल भी नहीं हुआ,बस यही बात हमारी वैवाहिक जीवन पर भी लागू होती है,जहा आपस में जो भी डिफरेंसेस है वो इसलिए है कि हम समझते है कि हम अगर सिर्फ गणित में 90 प्लस मार्क्स लाते है तो पास हो जायेंगे,चाहे इंग्लिश में फ़ैल ही हो जाये, ऐसा होता ही नहीं,

अक्सर एक पति को पत्नी से ये शिकायत होती है कि मैं उसके लिए जरूरत का हर चीज पहले से पहले ला के देता हूं,उसको किसी चीज के मना नहीं करता मगर फिर भी वो मुझसे नाराज रहती है,पत्नी की अक्सर ये शिकायत रहती है कि मैं इनका इतना ख्याल रखती हूं छोटी छोटी बातों का ध्यान देती है फिर भी मुझे ध्यान नही देते,मुझे समय नही देते,

हर पति ये भूल जाता है कि गणित के 90 प्लस मार्क उसे पास नहीं करते, उसे पास होने के लिए सभी सब्जेक्ट में पास होना होगा, चाहे उसे पसनद हो न हो, सिर्फ एक महीने की सैलरी वाइफ को दे देने से वो खुश नहीं हो जाती,वो आपकी नौकर नहीं है जो सिर्फ पैसो के लिए आपके लिए दिन भर काम करती है,उसके आपका साथ भी चाहिए, समय भी चहिए, परवाह भी चाहिए,

वही पत्नी ये सोचती है कि अगर मैं अपने पति का ख्याल तो रखती हूं मगर वो मुझसे खुश नहीं तो सिर्फ आपका पति अपनी परवाह  ही नहीं चाहता वो चाहता है कि आप उसके साथ उसके परिवार के लिए भी केअर करे,थोड़ी प्राइवेसी दे, थोड़ा स्पेस दे,वो हमेशा रोमांटिक नहीं हो सकता,  वो आपके जितना केयरिंग नहीं ही सकता, वो आपसे दूर जा कर बिज़नस या सर्विस करता है तो इसलिए की आप को खुशियां दे सके,आपकी जरूरते पूरी कर सके, वो आपकी ख़ुशी के लिए आपसे दूर जाता है,

बातो का सार ये है कि हम अपनी लाइफ में किसी बात को ज्यादा कर के दूसरे की कमी नहीं पूरी कर सकते, खाना स्वादिस्ट तब नहीं बनता जब की आप के पास चीनी है तो नमक की जगह भी चीनी डाल दी जाये,बल्कि एक स्वादिस्ट खाना बनाने के लिए हर चीज को अपने अनुपात में सही मात्रा में डालना पड़ता है, और याद रखिए कि जरुरी नहीं की हर समय खाना आपकी स्वाद या पसंद का बने,अच्छा ना भी बने तो उसे खाना सीखिये,

शादीशुदा लाइफ के एग्जाम में अगर लगातार पास होना है तो सभी सब्जेक्ट में पास होना जरुरी है,ये मत समझिए की किसी चीज की अधिकता किसी की कमी को पूरा कर सकती है,अपने अगले एग्जाम की तैयारी तरीके से करे,भले ही गणित में 5 मार्क काम ले आइये मगर इंग्लिश में कम से कम पासिंग मार्क्स तो लाइए,

कल की ही तो बात है..

अपनी लाडली बेटी को बिदा करते चौखट में खड़े एक बाप की सोच से पढियेगा...

कल की सी बात है,
तुझे तेरी माँ के गर्भ में निहारा करता,
उसके पेट को छूकर तुझे दुलारा करता
कभी कान लगाकर तुझे सुनने की कोशिश करता
कभी तेरी नन्ही टांगों से लात खा कर खुद को आनंदित करता

कल की हो तो बात है,
पहली बार जब तेरी माँ प्रसव में रोई थी
क्या बताऊँ तकलीफ कितनी मुझे भी हुई थी,
तेरी आने की खुसी में कितनी आँखे भिगोई थी,
ये वो पहली ख़ुशी थी जिसमे आँखे दिल खोल कर रोइ थी,

कल की सी बात है,
तुझे देखकर मेरी हर दुख सुख में बदल जाता थे,
तुझे गोदी में खिलाकर जैसे सारा जहा मिल जाता था,
मेरी बाकी उंगलियां भि उस उंगली से जलती थी,
जिस ऊँगली को पकड़ कर मेरी नन्ही परी चलती थी

कल की हो तो बात है,
तेरी तुतली बातो पे कितना प्यार आता था मुझे,
तेरा लव यू पापा कहा के लिपट जाने पे दुलार आता था मुझे,
सारी थकावट एक पल में टूट जाती थी,
जब तू मेरे कलेजे से आ कर लिपट जाती थी,

कल की सी बात है
मुझे आज भी याद है तेरा पहले दिन का वो स्कुल जाना
बार बार टीचर से हाथ छुड़ा में मेरे पास आ जाना
उसी दिन ही पहली बार मेरी आँख भर आयी थी,
उस दिन पहली बार अहसास हुआ की तू पराई थी,

कल सी की तो बात है,
खिलौने,स्कुल और कॉलेज से होते हुए
दिन न जाने कैसे इतनी जल्दी बीत गए सोते हुए,
बेटी को बड़ा होता देखकर माथे की सिलवटे बढ़ने लगी,
अब अब तेरे लिए नए माली की तलाश की चिंताएं बढ़ने लगी

और आज जिस का इंतजार था वो रात भी आ गयी,
मुझसे मेरे जीन्दगी छीनने तेरी बरात नही आ गई,
यही तेरी मानजिल है यही तेरा ठिकाना है,
मैं बाबुल हु मुझे छोड़ कर तो दिन जाना है,
बस घर से जा रही है दिल से मत चले जाना,
कभी फुर्सत मिले तो हाल पूछने को लौट आना,
बस अब हमेशा तेरी खुशियो की दुआ करूंगा,
तू खुश रहेगी तो बस मैं भी खुश रहा करूंगा
तेरी खुशियी की खातिर तुझे मैं खुद से जुदा करूंगा
अपने कलेजे के टुकड़े को आज अपने हाथों से बिदा कारुंगा

Wednesday, 8 March 2017

लाइफ मंत्रा: एक दूजे के लिए- एग्जाम में पास होने के लिए सभी सब्जेक्ट में पास होना जरुरी है

एक दूजे के लिए :
एग्जाम में पास होने के लिए हर सब्जेक्ट में पास होना जरुरी है,

मैं स्कूल में एक औसत से कुछ बेहतर श्रेणी का छात्र था, 80 के दशक में 60% मार्क को बहुत अच्छा माना जाता था और मैं इस श्रेणी में आता था, गणित मेरा पसन्दीदा सबजेक्ट था और इस में मेरे मार्क्स 90 से अधिक आते थे,बाकी सब विषयो में सतोषजनक मार्क थे मगर इंग्लिश  मैं बहूत कमजोर था, बहुत मुश्किल में पासिंग मार्क लाता था,स्कुल की वार्षिक परीक्षा में पास होने के लिए क्योकि हर विषय में पास होना जरुरी था,इसलिए मुझे पसंद न होते हुए भी इंग्लिश पढ़ना पढता था,जैसे तैसे पढ़ कर मैं पास होता गया,और लगभग अपने 60% मार्क्स निरंतर बनाये रखे,और कभी फ़ैल भी नहीं हुआ,बस यही बात हमारी वैवाहिक जीवन पर भी लागू होती है,जहा आपस में जो भी डिफरेंसेस है वो इसलिए है कि हम समझते है कि हम अगर सिर्फ गणित में 90 प्लस मार्क्स लाते है तो पास हो जायेंगे,चाहे इंग्लिश में फ़ैल ही हो जाये, ऐसा होता ही नहीं,

अक्सर एक पति को पत्नी से ये शिकायत होती है कि मैं उसके लिए जरूरत का हर चीज पहले से पहले ला के देता हूं,उसको किसी चीज के मना नहीं करता मगर फिर भी वो मुझसे नाराज रहती है,पत्नी की अक्सर ये शिकायत रहती है कि मैं इनका इतना ख्याल रखती हूं छोटी छोटी बातों का ध्यान देती है फिर भी मुझे ध्यान नही देते,मुझे समय नही देते,

हर पति ये भूल जाता है कि गणित के 90 प्लस मार्क उसे पास नहीं करते, उसे पास होने के लिए सभी सब्जेक्ट में पास होना होगा, चाहे उसे पसनद हो न हो, सिर्फ एक महीने की सैलरी वाइफ को दे देने से वो खुश नहीं हो जाती,वो आपकी नौकर नहीं है जो सिर्फ पैसो के लिए आपके लिए दिन भर काम करती है,उसके आपका साथ भी चाहिए, समय भी चहिए, परवाह भी चाहिए,

वही पत्नी ये सोचती है कि अगर मैं अपने पति का ख्याल तो रखती हूं मगर वो मुझसे खुश नहीं तो सिर्फ आपका पति अपनी परवाह  ही नहीं चाहता वो चाहता है कि आप उसके साथ उसके परिवार के लिए भी केअर करे,थोड़ी प्राइवेसी दे, थोड़ा स्पेस दे,वो हमेशा रोमांटिक नहीं हो सकता,  वो आपके जितना केयरिंग नहीं ही सकता, वो आपसे दूर जा कर बिज़नस या सर्विस करता है तो इसलिए की आप को खुशियां दे सके,आपकी जरूरते पूरी कर सके, वो आपकी ख़ुशी के लिए आपसे दूर जाता है,

बातो का सार ये है कि हम अपनी लाइफ में किसी बात को ज्यादा कर के दूसरे की कमी नहीं पूरी कर सकते, खाना स्वादिस्ट तब नहीं बनता जब की आप के पास चीनी है तो नमक की जगह भी चीनी डाल दी जाये,बल्कि एक स्वादिस्ट खाना बनाने के लिए हर चीज को अपने अनुपात में सही मात्रा में डालना पड़ता है, और याद रखिए कि जरुरी नहीं की हर समय खाना आपकी स्वाद या पसंद का बने,अच्छा ना भी बने तो उसे खाना सीखिये,

शादीशुदा लाइफ के एग्जाम में अगर लगातार पास होना है तो सभी सब्जेक्ट में पास होना जरुरी है,ये मत समझिए की किसी चीज की अधिकता किसी की कमी को पूरा कर सकती है,अपने अगले एग्जाम की तैयारी तरीके से करे,भले ही गणित में 5 मार्क काम ले आइये मगर इंग्लिश में कम से कम पासिंग मार्क्स तो लाइए,

Tuesday, 7 March 2017

अंतराष्टीय महिला दिवस पर महिलाओं को समर्पित मेरी कविता

8 मार्च,
अंतराष्टीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को सम्मान के रूप में समर्पित मेरी ये कविता...

कभी ब्रहांणी कभी रुद्राणी,कभी लक्ष्मी है कभी सीता है,
पति प्रेम को समर्पित होकर भी हैजीवन अग्निपरीक्षा में बीता है

कभी मीरा के रूप में प्रेम की परिभाषा है,
कभी राधा है जो एक अधूरी अभिलाषा  है,

कभी भरी सभा में अपमानित होती बेबस द्रोपती है
कभी पति के साथ राख होने वाली महामाया सति है,

कभी स्वयं श्री विष्णु से छली गई तुलसी है,
कभी  वो अहिल्या बन कर पत्थरो में बसी है,

कभी रंभा, मेनका,उर्वसी सी मन को लुभाती खूबसूरत है,
कभी अपना सर्वस्य लुटाती पन्ना धाय सी त्याग की मूरत है,

जिसका जीवन स्वयं त्याग की निशानी है
कभी राजधर्म निभाती झाँसी की रानी है,

कभी सेवा की प्रतिमा मदर टेरेसा है,
कभी इंदिरा गांधी सी प्रखर नेता है,

कभी वो कल्पना चावला बनकर देश को देती उड़ान है,
कभी सानिया,कभी सायना कभी दीप्ती बनकर देश का बढाती मान है

कभी माँ कभी पत्नी कभी बहन कभी बेटी है,
जो हमेशा हमारी सफलता का आश्वाशन बन कर बैठी है,

हालाकी उसकी कर्तव्य परायणता पर किसी को शक नहीं,
मगर इस पुरुष प्रधान समाज में उसको अपने पिता के दाह संस्कार का भी हक़ नहीं,

वो जो अपने साहस और कौशल से हर मकान को घर बनाती है
कितने घृणित बात है कि वो आज कल कोख में ही मर जाती है

वो सिर्फ एक देह नहीं वो भी पुरे सम्मान की अधिकारी है,
ये उसका कसूर नहीं उसका गर्व है कि वो एक नारी है,

वो त्याग है,तपस्या है, सुंदरता है, अभिमान है,
नारी तेरे हर एक रुप को मेरा शत शत प्रणाम है,

Monday, 6 March 2017

इतना मुश्किल भी नहीं था तुमसे दूर जाना

बस तन्हाई को थोड़ा पास बुलाना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुमसे दूर जाना,

बस बिना मन के कभी मुस्कुराना पड़ा
इतना  मुश्किल भी न लगा तुमसे दूर जाना

बस दिल को रोज थोड़ा संमझाना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुमसे दूर जाना,

बस रोज तेरी तस्वीर को निहारना पड़ा
इतना मुश्किल भी न लगा तुझसे दूर जाना,

बस कभी कभी कुछ आंसू बहाना पड़ा
इतना मुश्किल भी नहीं था तुझसे दूर जाना,

दिलो से तेरी यादो के जाले झाड़ लिए,
तेरी अहसासों के कुछ पन्ने फाड़ दिए,

कभी आँखे बंद करके तूझे देख लिया,
कभी तेरे लिए देखे सपने उजाड़ दिए

कुछ टुटा सा लगा सीने में,उसे जोड़ तोड़ के जीना पड़ा
मगर इतना मुश्किल भी न लगा तुझसे दूर जाना,

ज़िंदा हु मैं,सांसे भी चल रही है ये भरम बनाना पड़ा,
बस इतना ही मुश्किल लगा तुझसे दूर जाना,

फोर्टी प्लस

फोर्टी प्लस

थोड़े से झुके हुए कंधे,आंखो में रीडिंग गिलास,
और दाढ़ी से झांकते कुछ सफ़ेद बाल लिए हुए,

जिम्मरदारयो का बोझ उठाये फिरता रहता है ,
और फिर भी होठो में मुस्कराहट लिए,

बढी हुई तोंद को व्यवस्थित करता  हुआ
अपनी सांसो को लंबी सांसे लेकर काबू करते हुए,

मुहब्बत के पलो की बस याद बाकी है,
आजकल उसकी यादो में आँहे भरते हु

दोस्तों से मिलने का बहाना  खोजता हुआ
दिल में उनसे मिलने की आस लिए हुए,

अपने पुराने क्रश को देखकर मुस्करा भी नहीं सकता
बस उसके बच्चों को देखकर खुश होते हुए,

न जाने कहा गई वो रूमानी जिंदगी ,वो प्यार की चिट्ठियां
बस अपनी पत्नी से जरूरी सामानों की लिस्ट लेते हुए,

बारिश का आना उसे सुहाना नहीं लगता है आजकल
घर से निकलता है रेनकोट के साथ जिम्मेदारियों का बोझ ओढ़े हुए

अपने बच्चों की खुशियो की खातिर बस भागता फिर रहा
अब अपने माँ बाप के लिए दिल में सही संम्मान लिए,

कुछ दवाई की पर्ची,कुछ कस्टमर का हिसाब,कुछ लिस्ट
जेब उसकी तरस गयी है आज मूवी के एक टिकट के लिए,

कुछ थका है, कुछ उदास है, कुछ परेशान सा है लेकिन
फिर भी खुश है " फोर्टी प्लस" अपनों के लिए कुछ खुशियां लिए

लाइफ मंत्रा : अपनी खुशियो के स्टैण्डर्ड खुद तय कीजिये

अपनी खुशियो का स्टैण्डर्ड खुद तय कीजिये,

Who मतलब विश्व स्वास्थ्य संगठन एक अंतराष्ट्रीय संस्ता है को विभिन्न बिमारियि के लिए स्टैंडर्स तय करती है, जैसे की अगर आप के शरीर में ब्लड प्रेसर 80/120 है तो ये नार्मल है,फास्टिंग शुगर अगर 80-110 है तो ये नार्मल है,एक वयस्क का हीमोग्लोबिन अगर 14 है तो नार्मल है, ये स्टैंडर्स की मानव शरीर के लिए नार्मल स्वस्थ रहने की ,ये  स्टैण्डर्ड  विश्व की सभी रजिस्टर्ड  चिकित्सक संनस्थाओ को मान्य होते है, जिसको ध्यान में रखकर डॉक्टर्स हमको बीमार या स्वस्थ घोषित करते है और उस हिसाब से हमारे लिए उपचार तय करते है,

इसी को बेस करके दुनिया में बिमारी के आंकड़े बनाये जीते है और इस के अनुसार भारत में 35% लोग ब्लड प्रेसर की समस्या से पीड़ित है,लगभग 40%शुगर से,लेकिन ज़रा सोचिए कि कल को who अपने इस स्टैंडर्स में कुछ परिवर्तन कर दे और कहे की नॉर्मल ब्लड प्रेसर 85-110 नार्मल है, और फास्टिंग शुगर 90-100 नार्मल है,तो उसके इस बयान के बाद अगर फ़ीर से स्वास्थ्य के आंकड़े जारी किये जाए तो ये चोकाने वाले होंगे,और उस के अनुसार भारत में ब्लड प्रेसर की समस्या 35% से बढ़कर 60% और शुगर की समस्या 40 से बढ़कर 65% तक हो जायेगी, बैठे बिठाये भारत में लगभग 25 करोड़ मरीज बढ़ जाएंगे,अपने आप को बीमार महसुस करने लगेंगे,जब की उनकी शारीरिक स्वास्थ्य में कुछ बदलाव नहीं हुआ,मगर सही स्वास्थ्य मापने के बस मापदंड बदल गए तो हम बीमार हो गए,

बस ऐसा ही कुछ हमारी जिंदगी के साथ भी है, की हम खुश नहीं है,हमें कोई प्यार नहीं करता,हमारा वैवाहिक जीवन सुखद नहीं है, कल तक जब आपकी शादी हुई थी आपका पति/पत्नी इतने अच्छे थे की उनसे जुड़ी हर बात आपको अच्छी लगती थी, हम उनकी हर खूबी ढूंढते थे, वो हमको अच्छे लगते थे, मगर वैसे जैसे वक्त गुजरा हम एक दूसरे को जानने लगे,पहचानने लगे,और धीरे धीरे एक दूसरे में कमियां खोजने लगे वो बाते खोजने लगे     जो हमें परेशान करती है चिड़चिड़ा बनाती है, और इन कमियों में वो खूबियां कंही दफ़न हो गई, हम एक दूसरे से कितना प्यार करते है इस का अंदाज हम अपने मन से पूछ कर नहीं बल्कि आपने आस पास की दुनिया की खुशियो से लगाने लगते है,

अक्सर ये शिकायते आम हो जाती है कि आप मुझे फलाना जितना प्यार नहीं करते,उसने अपनी वाइफ को  एनिवर्सरी में रिंग गिफ्ट की आपने नहीं की,फेसबुक में किसी कपल की फोटो देख के ये शिकायत आम हो गयी है कि आप मुझ को कंही घुमाने नही ले जाते, पति की संमस्या आम है कि तुम मुझ पर इतना भरोसा नहीं करती वो देखो पड़ोसन अपने पति पर कितना भरोसा करती है, हम अपनी खुशियो का स्टैण्डर्ड दुसरो से  तुलना कर के तय करते है,और इस लिए हम दिन ब दिन अपने आप को खुशियो की कमी वाला बीमार सोच लेते है जबकि ऐसा कुछ नहीं है, ख़ुशी सिर्फ एक अहसास है,और सिर्फ उतनी महसूस की जाती है जितना हम महसूस करना चाहते है,प्यार का ख़ुशी का मानक "एक्सटर्नल" नहीं "इंटरनल"होना चाहिए,कुछ नहीं बदला है बस आपकी सोच बदली है,आप भी वही है आपके पति/पत्नी भी वही है, बस आपकी सोच ने आपको बीमार कर दिया है,जब आप को अपने पुराने मानक (स्टैंडर्ड) पर देखेंगे तो आप पायेंगे की दुनिया उतनी ही खूबसूरत है, आप के पति/पत्नी उतने ही प्यारे है,सब ठीक है, सब अच्छा है,

बस अपना स्टैण्डर्ड लोगो के देखकर नहीं खुद के दिल को देखकर तय कीजिये,अपनी खुशियां तय करने का अधिकार किसी और को मत दीजिये,