hhjमेरे कांटाबांजी की हालात...
जहा भी जाओ बस "जमीन" के किस्से,
कोई खरीद के तो कोई बेच के रो रहा है
" खोटे सिक्के, जो चले नहीँ
कभी बाजार में,
वो भी कमियाँ खोज रहे हैं,
आज मेरे किरदार में "......!!
किसी अपने के हाथ में ही आइना लगा होता है,
वरना धोखा तो वो भी देता है जो सगा होता है,
तुम लोग मेरी जिंदगी में बहुत मायने रखते हो,
जो हर वक्त मेरे सामने आईने रखते हो,
जमाना आज कल मुझसे कुछ जलने सा लगा है,
लगता है अपना भी सिक्का कुछ चलने सा लगा है,
बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में, जब से हुआ है, कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता..
चलने के लिए पैर ही काफी नहीं हुज़ूर
छालों से मोहब्बत हो, ये हुनर भी सीखिये
एक मैं हूँ कि समझा नहीँ खुद को आज तक..!!
और दुनियाँ हैं कि न जाने मुझे क्या-क्या समझ लेती हैं..!!
अक्सर सूखे हुए होंठों से ही होती हैं मीठी बातें...
प्यास बुझ जाये तो अल्फ़ाज़ और इंसान दोनों बदल जाया करते हैं..
करेगा ज़माना भी हमारी कदर एक दिन , बस ये वफादारी की आदत छूट जाने दो
दरख़्त ऐ नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी,
छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी...
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं.. अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती. !!!!
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर, तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये !!
ढूंढोगे अगर तो ही मिलते है रास्ते ,
मंजिल की फितरत है,खुद चलकर नहीं आती,
इतना मुश्किल भी नहीं सबको साथ ले के चलना,
बस थोडा सा खुद का अहम् छोड़ना पड़ता है,
कुछ ऊँची बहुत हो गई है मेरे आस पास की इमारते,
कोई मुझको नजर नहीं आता,किसी को मैं नजर् नही आता..
आओ दरमियाँ जो फासले है कुछ ऐसे मिटा ले,
एक कदम मैं बढ़ा लू,एक कदम तू बढ़ा ले,
कुछ कदर जमाने में इसलिए भी मेरी कम है,
क्योकि आज कल "हुनर" अमीरी से तोले जाते है,
बेवजह है, तभी तो मोहब्बत है
वजह होती, तो साज़िश होती..
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे.,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे.!
जरा सा बीमार क्या पड़ा बूढ़ा बाप,
बेटे वकील को बुला लाये,डॉक्टर से पहले,
मैं सूरज का साथ पाकर भी अदब न भुला,
वो जुगनू का साथ पाकर भी मगरूर हो गए,
बड़े लोगो से मिलो तो जरा सा फासला रखना,
दरिया समंदर में मिल जाए तो फिर दरिया नहीं रहता,
नए अमीरो के घर जरा संभल कर जाना,कमबख्त हर चीज की कीमत बताने लगते है,
वो शक्श जो तुम से झुक कर मिला होगा,
कद में यककीनं वो तुमसे बड़ा होगा,
कभी देखा तो नहीं मगर यक़ीनन बहुत हसीं होगी,
जो भीं उससे मिला उसी का हो गया,
मेरी औकात से बढ़कर मुझे कुछ न देना मालिक,
जरूरत से ज्यादा रोशनी इंसान को अंधा कर देती है,
अगर देखना चाहते हो मेरी उड़ान को,
तो थोड़ा और ऊंचा करो आसमान को,
ये धरा साथ दे तो क्या बात है,
तू जरा साथ दे तो क्या बात है,
चलने को तो एक पाँव से भी चलते है लोग,
अगर दुसरा साथ दे तो क्या बात है,
जिंदगी की कुछ जख्मो ने ये बात मुझे सिखाई है,
की हर नया जख्म एक पुराने जखम की दवाई है,
तरक्की की फासले कुछ हम भी काट लेते,
अगर हम भी किसी के तलवे चाट लेते,
मेरा झुकना ,और तेरा खुदा हो जाना
दोस्त अच्छा नहीं ,इतना बड़ा हो जाना
खुल गया राज तो कोई कदर न होगी ,
बेशक अमीर न हो बस "भरम" बनाये रखना !!!
परिंदों को मिलेगी उनकी मंजिल ये वो नहीं उनके पर बोलते है,
जमाने में वो लोग अक्सर खामोश रहते है जिनके हुनर बोलते है,
लहजे पे बदजुबानी और चहरेे में नकाब लिए फिरटे है,
जिनके खुद के बही खाते है बिगड़े वो हमारा हिसाब लिए फिरते है
रुकावटे तो ज़िंदा इंसानो के लिए है,
अर्थी के लिए तो हर कोई रास्ता छोड़ देताहै,
रोज रोज गिरकर भी खड़ा हु मैं,
ए मुश्किलें देखो,तुमसे कितना बड़ा हु मैं,
आसमान की छोड़,मेरी मान जमीं की गहराई बढ़ा,
अभी गिरे ही क्या है और गिरेंगे लोग....
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