Friday, 26 August 2016

दाना माझी की बेबसी को समर्पित

दाना माझी के बेबसी को समर्पित मेरी ये कविता,
इस घटना की दोषी सरकार नहीं हम भी है

हम उस देश के वासी है जहां बच्चा भूखा सोता है,
हम उस देश के वासी है जहां किसान आज भी रोता है

जब मैडल जिति सिंधु,साक्षी, गर्व हमें भी होता है,
जब बेटी कोख में मारी जाती दर्द क्यों नही होता है,

सिर्फ फोटो खिंचवाने की खातिर सीने में तिरंगा होता है,
बाकी दिन ये देशभक्ति का भुत कुम्भकर्णी नींद सोता है,

भाषण से गरीबी मिटटी है अहसास मुझे अब होता है,
जो इसपे भाषण देता है उसका स्विस बैंक में खाता होता है,

इतने स्वेदन्हीन है  हम  की किसी के दर्द की खबर नहीं,
अपने।दुःख बस दुःख लगते है और किसी की फ़िकर नही,

एक भूखे बच्चे की पेंटिंग का लाखो में सौदा होता है,
फिर भी देश की आबादी में हर दुसरा भूखा सोता है,

सरकारी पैसे को खाकर बाबू मोटे होते है,
कुछ बेचारे अपनी पत्नी को काँधे पर ढोते है,

काँधे पे लाश न् देखि न् आँखों में आंसू दिखे,
जिन पर दाना माझि गुजरा सिर्फ सेल्फी के प्यासे दिखे,

पीर पराये की जानना क्या ये हमारा धर्म नहीं,
मानवता की इस हत्या पर हमको आती शर्म नहीं,

साबित करो की इस देश के मानवता अब भी जिंदा है
माफ़ी मागों दाना माझि से , माझि हम शर्मिन्दा है,

#savehumaniti

No comments:

Post a Comment

आपके अमूल्य राय के लिए धन्यवाद,