Tuesday, 1 December 2015

जो मिला उसके लिए शुक्रिया कीजिये

आज हर कोई अपनी जिंदगी से दुखी है, अपने आप को बदनसीब समझता है ये सोचकर की जो जिंदगी उसके पास है वो शायद इससे और बेहतर जिंदगी का हकदार है,मगर क्या सच है इसका एक आकलन करते है,

अगर आप मेरा ये आर्टिकल अपने मोबाइल में पढ़ रहे है  तो

आप दुनिया के उन 1%लोगो से  भाग्यशाली है जो देख नहीं सकते,या अपनी मानसिक कमजोरी की वजह से पढ़ नहीं सकते, क्योकि दुनिया में 1%लोग अपनी अंधे या दृष्टिरोग से ग्रस्त है,

आप दुनिया के उन 22%लोगो से ज्यादा काबिल है जो अनपढ़ है,क्योकि दुनिया में औसत लिटरेसी रेट 78%है,

आप दुनिया के उन 55%लोगो से भाग्यशाली है जो टेक्नीकल अनपढ़ है मतलब कंप्यूटर या मोबाइल के बारे में तकनिकी जानकारी नहीं रखने के कारण इसका लाभ नहीं ले पाते,

आप दुनिया के 80%लोगो से ज्यादा भाग्यशाली है क्योंकी 80% लोगो के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है,

अगर आप स्मार्ट फ़ोन use कर रहे है तो इसका मतलब आप की आयकम से कम प्रति महीने 5 अंको में है जो की भारत में 90%परिवारो को उपलब्ध नहीं है,

भगवान् से शिकायते आपकी बहुत कुछ हो सकती है,मगर क्या आपने इस लिए भगवान् को इस के लिए धन्यवाद दिया है जो आपके पास है,

जब आप जूते न होने के लिए भगवान् को कोसते है तो इस बात का कभी शुक्रिया भी कर लिया कीजिये की कम से कम आपके पास पांव तो है,

जो है उसका मजा लीजिये
जो नहीं है उसके लिए प्रयास कीजिये
शिकायते करना बंद कीजिये
शुक्रिया करना चालु कीजिये

जिंदगी  खूबसूरत लगने लगेगी,

शिकायते तुझसे कभी ख़त्म न होगी इ खुदा,
मगर शुक्रिया तूने वो भी दिया वो बहुतो के नसीब में नहीं,

और भी विषयो पर मेरे विचार पढ़ने के लिए लोग इन करे http://vikashkhemka.blogspot.com

धन्यवाद

जो मिला उसके लिए शुक्रिया कीजिये

आज हर कोई अपनी जिंदगी से दुखी है, अपने आप को बदनसीब समझता है ये सोचकर की जो जिंदगी उसके पास है वो शायद इससे और बेहतर जिंदगी का हकदार है,मगर क्या सच है इसका एक आकलन करते है,

अगर आप मेरा ये आर्टिकल अपने मोबाइल में पढ़ रहे है  तो

आप दुनिया के उन 1%लोगो से  भाग्यशाली है जो देख नहीं सकते,या अपनी मानसिक कमजोरी की वजह से पढ़ नहीं सकते, क्योकि दुनिया में 1%लोग अपनी अंधे या दृष्टिरोग से ग्रस्त है,

आप दुनिया के उन 22%लोगो से ज्यादा काबिल है जो अनपढ़ है,क्योकि दुनिया में औसत लिटरेसी रेट 78%है,

आप दुनिया के उन 55%लोगो से भाग्यशाली है जो टेक्नीकल अनपढ़ है मतलब कंप्यूटर या मोबाइल के बारे में तकनिकी जानकारी नहीं रखने के कारण इसका लाभ नहीं ले पाते,

आप दुनिया के 80%लोगो से ज्यादा भाग्यशाली है क्योंकी 80% लोगो के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है,

अगर आप स्मार्ट फ़ोन use कर रहे है तो इसका मतलब आप की आयकम से कम प्रति महीने 5 अंको में है जो की भारत में 90%परिवारो को उपलब्ध नहीं है,

भगवान् से शिकायते आपकी बहुत कुछ हो सकती है,मगर क्या आपने इस लिए भगवान् को इस के लिए धन्यवाद दिया है जो आपके पास है,

जब आप जूते न होने के लिए भगवान् को कोसते है तो इस बात का कभी शुक्रिया भी कर लिया कीजिये की कम से कम आपके पास पांव तो है,

जो है उसका मजा लीजिये
जो नहीं है उसके लिए प्रयास कीजिये
शिकायते करना बंद कीजिये
शुक्रिया करना चालु कीजिये

जिंदगी  खूबसूरत लगने लगेगी,

शिकायते तुझसे कभी ख़त्म न होगी इ खुदा,
मगर शुक्रिया तूने वो भी दिया वो बहुतो के नसीब में नहीं,

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धन्यवाद

माँ बहुत झूठ बोलती है

एक कविता पढ़ी ,इसे किसने लिखा मैं नहीं जानता मगर बहुत अच्छी लगी तो अपने ब्लॉग पर शेयर कर रहा हु

.............माँ झूठ बोलती है...................

.सुबह जल्दी उठाने सात बजे को आठ कहती
नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है ,

मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती
छोटी परेशानियों का बड़ा बवंडर करती है  ..........माँ बड़ा झूठ बोलती है
💚
थाल भर खिलाकर तेरी भूख मर गयी कहती है 
जो मैं न रहू घर पे तो मेरे पसंद की
कोई चीज़ रसोई में उनसे नही पकती है ,
मेरे मोटापे को भी कमजोरी की सूज़न बोलती है .........माँ बड़ा झूठ बोलती है
💚
दो ही रोटी रखी है रास्ते के लिए बोल कर
एक मेरे नाम दस लोगो का खाना भरती है,
कुछ नही-कुछ नही, बोल नजर बचा बैग में
छिपी शीशी अचार की बाद में निकलती है .....माँ बड़ा झूठ बोलती है
💚
टोका टाकी से जो मैं झुंझला जाऊ कभी तो ,
समझदार हो अब न कुछ बोलूंगी मैं,
ऐसा अक्सर बोलकर वो रूठती है
अगले ही पल फिर चिंता में हिदायती होती है ....माँ बड़ा झूठ बोलती है 
💚
तीन घंटे मैं थियटर में ना बैठ पाउंगी ,
सारी फिल्मे तो टी वी पे आ जाती है ,
बाहर का तेल मसाला तबियत खराब करता है
बहानो से अपने पर होने वाले खर्च टालती है ....माँ बड़ा झूठ बोलती है 
💚
मेरी उपलब्द्धियो को बढ़ा चढ़ा कर बताती
सारी खामियों को सब से छिपा लेती है
उनके व्रत ,नारियल,धागे ,फेरे मेरे नाम
तारीफ़ ज़माने में कर बहुत शर्मिंदा करती है .... माँ बड़ा झूठ बोलती है
💚
भूल भी जाऊ दुनिया भर के कामो में उलझ
उनकी दुनिया मैं वो मुझे कब भूलती है, ?
मुझ सा सुंदर उन्हें दुनिया में ना कोई दिखे
मेरी चिंता में अपने सुख भी नही भोगती है .........माँ बड़ा झूठ बोलती है
💚
मन सागर मेरा हो जाए खाली ऐसी वो गागर
जब पूछो अपनी तबियत हरी बोलती है ,
उनके ‘जाये” है, हम भी रग रग जानते है
दुनियादारी में नासमझ वो भला कहाँ समझती है  .........माँ बड़ा झूठ बोलती है ....
💚
उनकी फैलाए सामानों से जो एक उठा लू
खुश होती जैसे उन पे उपकार समझती है ,
मेरी छोटी सी नाकामयाबी पे गहरी उदासी
सोच सोच अपनी तबियत का नुक्सान सहती है ....माँ बड़ा झूठ बोलती है ...
💚

( story of all mothers ....)

Monday, 30 November 2015

आपकी हस्तलिपि और मानसिकता में सम्बन्ध

साधरतः सब लोगो की हस्तलिपि अलग अलग होती हैऔर हस्तलिपि का मुख्य आधार आपकी मानसिक अवस्था होती है ,इसी को ध्यान में रखते हुए कुछ तथ्य है जो आपके हस्ताक्षर या हस्तलिपि से आपकी सोच को प्रदर्शित करते है

ऐसे ही कुंछ तथ्य

आपकी हस्तलिपि और मानसिकता में सम्बन्ध,

1.जिसकी हस्तलिपि में कोण ज्यादा बनते है बहुत शातिर दिमाग वाले होते है,वो लोगो को बहुत अच्छी से उपयोग कर लेते है ,उनमे स्वार्थ की भावना कुछ ज्यादा होती है,वो कुछ भी काम बहुत सोच विचार कर करते है,उनके कार्यकलाप लोगो को चुभये है,

2.जिनकी हस्तलिपि गोल और  वृताकार होती है वो बहुत सह्रदय होते है,वो दुसरो के लिए बहुत सोचते है,वो दयालु प्रवृति के होते है,

3.जो लोग इंग्लिश के लैटर i को बड़ा और फैंसी तरीके से लिखते है वो बहुत ही स्वाभिमानी और सेल्फ ईगो वाले पर्सन होते है और साधारण i लिखने वाले इसके विपरीत बहुत साधारण और ego free इंसान होते है,

4.जो लोग हस्ताक्षर में अपना पूरा नाम लिखते है उनका जीवन खुली किताब की तरह होता है वो बहरी और अंदरुनी रूप से एक ही होते है जबकि जो लोग आधे और अष्पस्त हस्ताक्षर करते है उनके जीवन को वो सार्वजनिक करने से बचते है,वो वैसे नहीं होते जैसे वो होने का दिखावा करते है,

5.ख़राब हस्तलिपि वाले लोग अक्सर तेज दिमाग के होते है क्योकि वो जितना तेज सोच सकते है उतना लिख नहीं पाते,

6.जो अपना नाम बहुत सजा कर लिखते है वो अक्सर दुनिया से अलग दिखना चाहते है,वो भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहते,

7.जो बहुत दबाकर या गडा कर लिकते है वो थोड़े गुस्से वाले होते है,

8.अपने परिवार के सदस्य या दोस्तों के नाम।अगर आपको लिखने को।कहा जाए तो आप सबसे पहले उसका नाम लिखेंगे जिसको आप सबसे ज्यादा चाहते है,

9.जिसके हस्तलिपि में जितने ज्यादा loop (जैसे g या y में राउंड बनता है) बनते है वो अपने जिंदगी में दुसरो को उतनी ज्यादा जगह देते है,

10.जो हर समय हर जागाह एक सा हस्ताक्षर करते है वो बहुत ही दृढ निश्चय और जिद्दी होते है,

11.जो लिखते समय मार्जिन ,कमा, फुलस्टॉप, स्पेलिंग या अन्य कोई चिन्हों का पूरा इस्तेमाल करते है वो परफेक्शनिस्ट होते है वो हर काम को पुरे तरीके से करना चाहते है,

12.किसी भी पेन को आप को चला कर देखना है तो साधारणतः आप दो ही चीजे करेंगे या तो राउंड बनाएंगे या अपना नाम लिख कर देखेंगे,

13.जिनकी हस्तलिपि में शब्द जुड़ कर रहते है वो खुद को अकेला समझते है कंही न कंही उनमे लोगो से बिछड़ने का दर रहता है इसलिए वो शब्दों को जुड़ा कर लिखते है,

14.जिनके शब्दों की बिच बहुत गैप होता है वो अक्सर लापरवाह होते है जिंदगी को बहुत कैसुआल्ली लेते है,किसी के बोलने करने को दिल तक नहीं लेते,कोई भी बात इनको ज्यादा देर तक प्रभावित नहीं कर के रखती,

15.कुछ भी लिखते समय जिनका चेहरे का हाव भाव बदल जाता है वो किसी भी काम को करते समय उसमे डूब जाते है और क्षणिक तौर पर सब भूल जाते है ,ये पानी की तरह होते है सब जगह एडजस्ट कर सकते है,औए उनमे घुल मिल।सकते है,

उपरोक्त बाते साधारण मनोविज्ञान से प्रेरित है,ये पूर्णतः सत्य नहीं है,विशेष परिस्थितियों में ये सारी बातें कुछ भिन्न हो सकती है, साधारणतः आप अपने हस्ताक्षत से अपनी मानसिकता खुद पहचान सकते है और इसके सत्यापन की जाच कर सकते है,

धन्यवाद
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Sunday, 29 November 2015

जियो जी भर के

सूरज कभी नहीं डूबता,यह तो बस हमारा भ्रम होता है असल में यह तो धरती ही होती है जो सूरज की तरफ से अपना मुंह मोड़ लेती है जिसे हमें रात कहते हैं और सोचते हैं कि सूरज ढल गया ,ठीक इसी तरह जिंदगी में खुशियों की कमी महसूस करना अपने आप को अकेला समझना, किसी चीज को इंजॉय न कर पाना सिर्फ हमारा भ्रम है खुशियां तो ऐसे ही हमारे आसपास बरसती  रहती हैं मगर हमें इकट्ठा करने के लिए अपना दामन ही नहीं फैलाते, क्या आपको याद है की आप अंतिम बात कब खुल कर हंसे थे
अंतिम बार कब मुस्कुराए थे
अपने किसी खास दोस्त बिना वजह कब मिले थे
कब बारिश में भीगने का मजा लिया था
कब किसी बच्चे के साथ शरारत की थी
कब अपने परिवार के साथ बैठकर पकौड़े खाए थे
जिंदगी का मजा बड़ी-बड़ी बातों में नहीं छोटी-छोटी शरारा तो मैं है,
अक्सर यह होता है की हम बड़ी-बड़ी खुशियों के इंतजार में छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करना भूल जाते हैं और फिर कहते हैं कि जिंदगी में खुशियों की कमी है कमी कुछ नहीं है बड़ी खुशियां साल में एक बार साल में दो बार आती है छोटी-छोटी खुशियां रोज जाती है अगर हम इन खुशियों के पलों को संजोले तो यह आपस में मिलकर इक बहुत बड़ी खुशी मिल जाती है असल में कुछ नहीं बदला है धरती वही है हम वही हैं सब वही हैं बस हमारा सोचने का नजरिया बदल गया है दुनिया हमारे लिए कुछ नहीं बदली हैं दुनिया के लिए हम बदल गए हैं
सोच बदलो दुनिया बदलेगी पूरी दुनिया में कार्पेट बिछाने से अच्छा है एक खुद के पांव में चप्पल पहन लीजिए,

जिंदगी को समझने के लिए उलझिये मत,बस उसे जीये,

आप को ये कभी पता नहीं होता की आपके जिंदगी में कितने पल बाकी है मगर आप ये निर्धारित कर सकते है की आपके हर पल में कितनी जिंदगी होगी

जियो जी भर के.....

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Saturday, 28 November 2015

चैलेंज जरुरी है

आज ट्रेन में यात्रा के दौरान एक सहयात्री से मोबाइल के विषय में कुछ जानकारी मिली और उसके सौजन्य से पता चला की कैंडी क्रश को क्रेक करके डाउनलोड कर के उसके किसी भी लेवल को खेला जा सकता है,अनलिमिटेड लाइफ आ सकती है,हर गेम में अनलिमिटेड मूव आ सकते है, ये सुनकर बहुत खुसी हुई की चलो अब मैं आराम से कैंडी क्रश खेल सकूँगा ,मैंने प
प्रयास किया और खेला भी मगर मुझे अब खेलने में मजा नहीं आ रहा था,हर गेम आसानी से पार हो रहा था,कोई थ्रिल कोई चेलेंज नहीं लग रहा था ,कुल मिला कर 1-2 बार खेलने के बाद वो गेम मैंने बंद कर दिया,

तब एक बात महसूस हुई की जिंदगी तब तक ही अच्छी है जब तक इसमें अनिश्चितताएं है,चल्लेंज है,प्रयास है,अगर सब कुछ pre-decided होता है जो जिंदगी बहुत बोरिंग बन जाती है,बिना मकसद के बन जाती है, हम जिन अनिश्चितताओ से डरते है असल में वही हमारे जीवन को सूंदर और जिनेलायक बनाते है,दो सामान टीमों के बिच मैच हो तो देखने का आनद है क्योकि उसमे कुछ decided नहीं है,one sided match मजा नहीं देते,
इसलिए जिदन्दगी में चुनौती का होना और ऐसी चुनौती का होना जिसकी पूरी होने की निश्चितता न हो,

"हर ख्वाब अगर पूरा ही भी जाए तो क्या मजा,
कुछ कमिया भी जरुरी है जीने के लिए"

सुप्रभात
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Friday, 6 November 2015

मैं पैसा हु

मैं पैसा हु,
एक निर्जीव चीज,
आप मेरी तरफ देखो तो मैं आपकी तरफ देखता भी नहीं, फिर भी आपके पास हु तो सब आपको द्वखते है

आप मुझसे बात करो तो मैं बात भी नहीं करता, मगर मैं आपके पास हु तो सब आपके साथ बात करते है

मैं आपके पास हु तो आपका हु,आपके पास नहीं हु तो आपका नहीं हु,मगर मैं आपके पास हु तो सब आपके है

मैं कुछ भी नहीं मगर मैं निर्धारित करता हु की लोग आपको कितनी इजजत देते है,

मैं भगवान् नहीं,मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते,

मैं बोलता नहीं मगर सबकी बोलती बंद करवा सकता हु

मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं  ले जा सकते मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हु,

मुझ में बहुत ताकत है मगर फिर भी बहुत सीमितताये  भी है,
कभी आप सोच कर देखिये क्या आप सचइ मुझसे प्यार करते है...नहीं कोई मुझसे प्यार नहीं करता वो सर्फ मुझे इस लिए पसनद करता है क्योकि मैं एक साधन हु उनकी खुशियो के लिए ,

मै सिर्फ जरुरत के समय पैसा हु फिर बस एक कागज़ का टुकड़ा हु,

सिर्फ मुझे पाकर कोई खुश रहता तो बिल गेट्स दुनिया का सबसे खुस इंसान होता,

मैं नमक की तरह हु तो जरुरी है मगर ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है,

मैं सारे फसाद की जड़ हु,मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल है,

इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिसमे पास मैं बेसुमार था..
मगर फिर भी वो मरे..और रोने वाला कोई नहीं था..

मुझे पसनद करो सिर्फ इस हद तक की लोग आपको नापसन्द न करने लगे...

मैं पैसा हु...

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Thursday, 5 November 2015

सीखा हर किसी से जा सकता है-केन्डी क्रश से भी

आप में से ज्यादातर लोग कैंडी क्रश  खेलते होंगे..कुछ प्रारंभिक स्टैज में होने ..कुछ 30 कोई ,50 कोई 100 या कुछ तो सारे स्टैज खत्म कर के नए स्टेज के इन्तेजार में है,

इस गेम को आगे बढ़ने के लिए आपको एक स्टेज पार करना होता है,हर स्टेज को पार करने के लिए दिमाग लगाना पड़ता है,समय देना पड़ता है,और एक निश्चित अंतराल के बाद आप को आगे बढ़ने के लिए अपने फ़ेसबुक मित्रो की सहायता लेनी पड़ती है,इसके अलावा कोई बार अपनी खेलने की पारी के लिए भी आप को अपने फेसबुक दोस्त से लाइफ मंगानी पड़ती है, जैसे जैसे हम एक लेवल पार करते है वैसे वैसे आगे चुनौतियां और कड़ी होती जाती है,

आज कुछ लोग कैंडी क्रैश में सफलता के शिखर पर है क्योकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी,एक गेम में कोई बार असफल होने के बाद भी प्रयास निरंतर जारी रखा,निरंतर अपना समय देते रहे,कई गेम तो 100-150 बार भी खेले उसके बाद पार किया,आज के कैंडी क्रश के मामले में वो सबसे सफलतम लोगो में गिने जाते है,

अब ज़रा कैंडीक्रश की जगह जिंदगी को रख कर सोचे,जिंदगी भी बहुत कुछ इसी तरह निरंतर एक पहेली है  गेम है,जिसमे सफल वही होता है जो निरंतर अपना समय किसी भी कार्य के लिए देता है,हार नहीं मानता,असफलता से विचलित नहीं होता,आगे बढ़ने के साथ साथ चुनौतियां भारी होती है लेकिन हौसला बनाये रखता है,साथ ही समय समय पर अपनों का सहयोग लेते और देते रहता है,और सबसे खास बात निरंतर प्रयास करता है,निरंतरता में बहुत शक्ति है

इसलिए हार मत मानिए
लगे रहिये,
जीत हो या हार कुछ भी स्थायी नहीं,
आज नहीं तो कल निकलेगा,
हर मुश्किल का हल निकलेगा

"सीखा हर चीज से जा सकता है"

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Wednesday, 30 September 2015

सामजिक संस्था के नियम

किसी भी सामाजिक संस्था के कुछ ख़ास बाते जो आपको बहुत काम काम आएगी

1.आप कुछ नहीं करंगे तो आप को कोई कुछ नहीं कहेगा

2.आप अगर सक्रीय है तो हमेशा आप पर उंगलिया उठेगी

3.अगर आप ये नहीं सोचेंगे की श्रेय किसको मिलेगा तो आप बहुत कुछ कर सकते है

4.आपके जितना विरोध सह सकेंगे आपका उतना ज्यादा  सम्मान होगा

5.आप जितना ज्यादा काम करेंगे  उतना ज्यादा और काम करना पड़ेगा

6.जिम्मेदारी उसी की तरफ खींची आती ही जो उन्हें उठाना चाहता है

7.आप अपने स्वच्छा से जो भी प्रोजेक्ट करेंगे उसकी सफलता का श्रेय संस्था को मिलेगा और असफलता की जवाबदेही आपकी होगी

8.जो आपका सबसे अच्छा  हितैसी है वो आपके मुह पर आपकी आलोचना करेगा

9.आप को प्रशंशा जब मिलेगी जब आप उसकी अपेक्षा करना बंद कर देंगे

10.आप लोकप्रिय तब होंगे जब अपने साथियो के कार्य को सराहेंगे और उनका उत्साह बढ़ाएंगे

11.आप कब सही थे कोई याद नहीं रखेगा,आप कब गलत थे कोई नहीं भूलेगा

12.आप जितना नियम मान कर चलेंगे आप पर उतना ज्यादा नियम मानने का दबाव बनाया जाएगा

13.सिर्फ धन देकर आप किसी संस्था में बहुत ज्यादा सम्मान नहीं पा सकते उसके लिए समय और समर्पण भी आवश्यक है

14. किसी बात का विरोध भी क़िया जाए और किसी को ख़राब भी न लगे ये संभव नहीं है..

15.अगर आप समझते है की आप के द्वारा किया गया काम और बेहतर हो सकता था तो आप दोषी है अपना शतप्रतिशत योगदान न देने के..

सबसे ख़ास बात सामाजिक कार्यो का उद्देश्य मन की संतुष्टि होता है
और इस के लिए बहुत कुछ सहना होता है और आत्मसंतुष्टि से बढ़कर कुछ नहीं है..

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Wednesday, 26 August 2015

अग्रवाल समाज में महिलाओ की सहभागिता

अग्र समाज हमेशा से ही समाजवाद का आदर्श उदाहरण रहा है..इसमें परस्पर सहयोग और मिलन की भावना जो है वो बहुत ही कम समाजो में देखने को मिली है..समानता का जो अधिकार इस समाज में  है वो शायद किसी और समाज में हो सकता है..

इस समाजवाद के राह पर चलते हुए हमें सदियो से अपनी संस्कृति पर गर्व करते आये है..

मगर बदलते परिवेश के साथ ये महसूस किया गया है की  इसमें कुछ बदलाव की जरूरत है..
अग्रसमाज आज भी पुरुष प्रधान ही रहा है..
इसका ज्वलन्त उदाहरण किसी भी अग्रवाल सभा को ही ले ले जहा महिलाओ की भागीदारी शून्य है..

क्या आपको नहीं लगता कि महिलाये भी अग्रवाल समाज का ही हिस्सा है तो उन्हें समानता के अधिकार के चलते अग्रवाल सभा में प्रतिनिधित्व दिया जाना चहिये,

ठीक है इसमें कुछ व्यवहारिक असुविधाएं (जैसे देर रात्रि की संभा में सहभागिता,दौरे,इत्यादि) हो सकती है , मगर क्या हमें खुद से आगे बढ़कर एक उदाहरण प्रस्तुत करने के जरुरत नहीं है की अग्रवाल समाज में महिलाओ को समानता का अधिकार है,

हो सकता है इस विषय पर एक राय न बन पाये विरोध भी हो,मगर किसी भो समाज की उननति में महिलाओ की सहभागिता बहुत जरुरी है..और ये सकारात्मक प्रारम्भ हम खुद कर के एक ऐतिहासिक कदम उठा सकते है...

आज जहा देश में महिला आरक्षण और उनके सामान अधिकारो की बात होती है अपने समाज में जो की समाजवाद का उत्कृष्ट नमूना है उसमे ये पहल अवश्य करनि चाहिए,
आज महिला शसक्तीकरण के युग में इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है....

आज जब हमारे समाज की महिलाये और युवतियां ca ,डॉ,इंजिनीरिंग ,ias,बनकर समाज के हर क्षेत्र में कार्यरत है तो हम उन्हें अपने ही समाज में सक्रीय होने के अधिकार से क्यों  रोक रहे है??

शास्त्रो में भी कहा गया है की "जहा महिलाओ का सम्मान होता है वहा देवता निवास करते है"

हम अग्रवंश के वंसज अपने इष्ट देवी श्री लक्षमी जी को मानते है जो की महिला स्वरुप में हमेशा हमारे पास  विराजमान रहे ऐसे कामना की जाती है फिर महिला समाज को अपनी सभाओ में सहभागिता देने में ये भेदभाव क्यों???

ये बात सही है की जहा तक मेरी जानकारी है कभी भी किसी महिला संगठन ने ये बात नहीं उठाई है ,मगर क्या इससे हमारा दायित्व उनके प्रति ख़त्म हो जाता है,अगर उन्होंने आज तक अपना हक़ माँगा नहीं है तो क्या ये हमारी नैतिक जिम्मेदारी नहीं की हम खुद उनको उनका हक़ दे,

अब ये आपके ऊपर है की आप पुरुषप्रधान समाज का अहकारमयी वातावरण चाहते है या समानता का अधिकार वाला ममतामयी वातावरण....

सोच आपकी
फैसला आपका,

Tuesday, 18 August 2015

दृश्यम

कल "दृश्यम " फ़िल्म देखि,
फ़िल्म का  कॉन्सेप्ट है इनसान का मनोविज्ञान है की  देखि हुई  मेमोरी सबसे मजबूत होती है और ये सब मेमोरी पर भारी होती है,
हम बाकी इंद्रिया जैसे कान,नाक, स्पर्श,इत्यादि की याददास्त सीमित होती है, इन सब के मुकाबले देखि हुई चीजे बहुत लंबे समय तक याद  तरही है, उदाहरण के तौर पर हमें पढ़ी हुई चीजे बहुत दिनों तक याद रहती है क्योकि इस में हमें उस चीज को देख कर पढते है, टीवी का ऐड रेडियो के ऐड से 10 गुना महंगा होता है क्योकि देखि हुई यादो को अनदेखा करना बहुत मुश्किल होता है,

कहने का मतलब ये है की हम या हमारा स्वाभाव ,हमारी आदते बहुत कुछ इस पर निर्भर करती है की हम रोज क्या देखते है,

यही सोच अपने बच्चों पर लागु कर के देखिये,
आज हर किसी को ये शिकायत है की उनका बच्चा लापरवाह है,गैर जिम्मेदार है,आलासि है, स्वार्थी है,झूठ बोलता है या कुछ न कुंछ थोड़ी हो या ज्यादा शिकायत सब से है,

हम तो रोज अपने बच्चों को अच्छी  शिक्षा देते है  की अच्छे इंसान बनो,अच्छे काम करो, झूठ मत बोलो, तो फिर वो ये सब कहा से सिख रहे है,

बाल मन एक कोरा पन्ना होता है ये वही सीखता है जो वो देखता  है,अपने बच्चों के सामने हम खुद झूठ बोलकर हम उन को हम खुद झूठ बोलना सिखाते है,
उनके समाने अपने कर्तव्यों से भागकर हम खुद उन्हें गैर जिम्मेदार बनाते है,उनके सामने दुसरो की बुराई कर के उनको बुराई करना सिखाते है,

अनजाने में ही हमारी कथनी और करनी में इतना फर्क है की बच्चा वो ही सीखता है जो वो देखता है वो नहीं जो हम कहते है,

कोशिश कीजिये की ये विरोधभास बच्चों के सामने न हो,बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए  उन्हें एक अच्छी सिख देने के बजाय एक अच्छा उदाहरण बन कर देखिये,

शायद अपने बच्चों से आपकी शिकायते कुछ कम हो जाये...

मेरी और भी विषयो पर मेरे विचार पढ़ने के लिए लोग इन करे http://vikashkhemka.blogspot.com
धनयवाद,
विकाश खेमका,
उपाध्यक्ष
मारवाड़ी युवा मंच,कांटाबांजी