Sunday, 29 November 2015

जियो जी भर के

सूरज कभी नहीं डूबता,यह तो बस हमारा भ्रम होता है असल में यह तो धरती ही होती है जो सूरज की तरफ से अपना मुंह मोड़ लेती है जिसे हमें रात कहते हैं और सोचते हैं कि सूरज ढल गया ,ठीक इसी तरह जिंदगी में खुशियों की कमी महसूस करना अपने आप को अकेला समझना, किसी चीज को इंजॉय न कर पाना सिर्फ हमारा भ्रम है खुशियां तो ऐसे ही हमारे आसपास बरसती  रहती हैं मगर हमें इकट्ठा करने के लिए अपना दामन ही नहीं फैलाते, क्या आपको याद है की आप अंतिम बात कब खुल कर हंसे थे
अंतिम बार कब मुस्कुराए थे
अपने किसी खास दोस्त बिना वजह कब मिले थे
कब बारिश में भीगने का मजा लिया था
कब किसी बच्चे के साथ शरारत की थी
कब अपने परिवार के साथ बैठकर पकौड़े खाए थे
जिंदगी का मजा बड़ी-बड़ी बातों में नहीं छोटी-छोटी शरारा तो मैं है,
अक्सर यह होता है की हम बड़ी-बड़ी खुशियों के इंतजार में छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करना भूल जाते हैं और फिर कहते हैं कि जिंदगी में खुशियों की कमी है कमी कुछ नहीं है बड़ी खुशियां साल में एक बार साल में दो बार आती है छोटी-छोटी खुशियां रोज जाती है अगर हम इन खुशियों के पलों को संजोले तो यह आपस में मिलकर इक बहुत बड़ी खुशी मिल जाती है असल में कुछ नहीं बदला है धरती वही है हम वही हैं सब वही हैं बस हमारा सोचने का नजरिया बदल गया है दुनिया हमारे लिए कुछ नहीं बदली हैं दुनिया के लिए हम बदल गए हैं
सोच बदलो दुनिया बदलेगी पूरी दुनिया में कार्पेट बिछाने से अच्छा है एक खुद के पांव में चप्पल पहन लीजिए,

जिंदगी को समझने के लिए उलझिये मत,बस उसे जीये,

आप को ये कभी पता नहीं होता की आपके जिंदगी में कितने पल बाकी है मगर आप ये निर्धारित कर सकते है की आपके हर पल में कितनी जिंदगी होगी

जियो जी भर के.....

मेरी और भी विषयो पर मेरे विचार पढ़ने के लिए लोग इन करे http://vikashkhemka.blogspot.com

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