लाइफ मंत्रा: अपने आप को जितनी जल्दी हो सके पोर्ट कीजिये,
मैं एक बहुत ही एक्टिव मोबाईल यूजर हु और मैं लगभग पिछले 15 सालों से बीएसएनएल का सिम यूज़ कर रहा था,आज से लगभग 15 साल पहले जब नगर में नया नया मोबाईल आया था तो उस समय सिर्फ बीएसएनएल ही उपलब्ध था इसलिए मैंने भी बीएसएनएल का सिम लिया, लेकिन गुजरते वर्षो के साथ इसकी सर्विस खराब होती गई है,कभी भी घंटो इसका नेटवर्क नही रहना, कभी भी नेट चले जाना, कॉल ड्राप इत्यादि समस्याए आम हो गई थी,जिससे मुझे परेशानी थी,मैंने इसके लिए कई बार शिकायत की मगर इसमें सुधार नही हुआ, फिर भी मैंने इसको नही बदला क्योकि आखिर में 15 वर्षो से उपयोग कर रहा था,मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा आने के बाद भी मैं कई वर्षों तक बीएसएनएल सिम के साथ ही रहा, जबकि इसकी वजह से मुझे अक्सर परेशानी होती थी, मेरे मन मे पोर्टेबिलिटी का विचार आता था मगर कौन एक्सचेंज करने जाए,जैसा चलता है चंलने दो, ये सोच के कारण में इसे इग्नोर करता रहा, फिर भी असुविधा हुई तो एक एयरटेल का सिम और ले लिया,अब कुछ राहत मिली,मगर मैं बेवजह बीएसएनएल का सिम रखे हुए था,लेकिन फिर मैंने देखा कि नगर में जिओ की सेवा प्रारंभ हुई जिसका नेटवर्क भी अच्छा है और किफायती भी है तो आखिरकार मैने अपने बीएसएनल नंबर को जिओ में पोर्ट कर लिया,पिछले 7 दिनों से में जिओ का उपयोग कर रहा हु जो कि काफी संतोषजनक है
जैसा मेरे सिम के साथ हुआ वैसा ही अमूनन हमारी जिंदगी में भी होता है,हम् अपनी जिंदगी में अक्सर कई बातों को,कई लोगो को, कई संबंधो को अकारण सहते है,ये जानते हुए भी की वो हमको तकलीफ दे रहे है,वो हमारे लिये परेशानी का कारण बन रहे है,मगर सिर्फ औपचारिकता वश या सिर्फ आलस के कारण या कभी कभी नई सोच के अभाव में हम उनको सहते रहते है,जबकि हमारी कई कोशिश के बाद भी उनमें सुधार नही होता,मगर हम अपनी जिंदगी में उनको बंदलने उनको रिप्लेस करने से डरते है, इस बात से डरते है कि कंही ये रिप्लेसमेंट भारी न पड़े, एक बेहतर संभावना होने के बाद भी हम डरते है क्योकि हम् पुरानी चीजो के आदी हो गए होते है,कुछ खो देने का डर हमे रोकता है तकलीफ देता है,मगर एक बार अगर हम इस डर से बाहर निकल कर अपने आप को कुछ बेहतर के लिए पोर्ट करते है तो शुरुवाती असुविधायो के बाद जिंदगी आसान हो जाती है, सकारात्मक परिवर्तन हर समय पहले मुश्किल होता है मगर इसके साथ जिंदगी बहुत आसान होती है,
काफी कुछ हमारा स्वभाव उस कैदी की तरह है जो उम्र का एक लंबा अरसा अंधेरी काल कोठरी में काटने के बाद जब बहार रोशनी में आता है तो उसे रोशनी तकलीफ देह लगती है,अगर वो उस तकलीफ से डर कर वापस कालकोठरी में चला गया तो जिंदगी का असली मजा कभी नही ले पायेगा, वही अगर थोड़ी देर के लिए अगर वो अपने आप को रोशनी में रहकर उसका अभ्यस्त कर ले तो बाकी की जिंदगी उसे अंधेरे से मुक्ति मिल जाएगी,
ऐसे ही कई चीजें जिंदगी में हमे बांधे हुए है जो हम सिर्फ परिवर्तन के डर से नही छोड़ना चाहते मगर परिवर्तन संसार का नियम है उसे ग्रहण करना ही होगा, अगर आप अपने हिसाब से नही बदले तो प्रकृति और समय द्वारा बदल दिए जाओगे जो कि उस समय आपको पसनद नही आएगा,इसलिए एक बेहतर कल के लिए उन सभी बातों को,चीजो को लोगो को पोर्ट कीजिये जो आपको तकलीफ दे रहे है,और हा एक बात अवश्य याद रखे की पोर्ट तभी करे जब आप पुरानी बातों को अपग्रेड करने में या उनमे सुधार करने की कोई गुंजाइश न हो, क्योकि बिना किसी ठोस कारण के कुछ पोर्ट करना आपको भटकाव के अलावा कुछ नही देगा,
जिंदगी आपकी है ये आप पर निर्भर है कि आप कैसे जिंदगी चाहते है,लोगो की बातों से डर कर अपने आप को अपग्रेड करने से मत रोकिए,एक बार आपका पोर्टिंग का अनुभव अच्छा नही भी रहा तो कोई बात नही,ये मौका कोई आखरी तो नही था, और कोई मौका आखरी नही होता,जब एक दरवाजा बंद होता है तो कई और विकल्प खुल जाते है,
अपने ईश्वर पर और उसकी सर्बश्रेष्ठ रचना पर जो कि आप है हमेशा भरोसा रखें,
अति उत्तम
ReplyDeleteअति उत्तम
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