Thursday, 11 May 2017

लाइफ मंत्रा: कंप्लीट योर थॉट्स,लेकिन सकारात्मक तरीको से

लाइफ मंत्रा: कंप्लीट योर थॉट्स,भगर सकारात्मक तरीको से,

तुम बिन फ़िल्म का एक संवाद है "ये इमोशन भी कितने स्टुपिड होते है न,कोई लॉजिक ही नही समझते, और ये सच भी है, लेकिन यही स्टुपिड सी चीज हमे आदमी से इंसान बनाती है, दुनिया मे हम खुश रहने के लिए चाहे दुनिया की सारी चीजें मिल जाये मगर जब तक एक छोटी सी  इच्छा या चाहत बाकी रह जाती है आप खुश नही रहते, ये हमारी भावनाये है, चाहे किसी से प्यार हो या गुस्सा, घृणा हो, ईर्ष्या हो, आकर्षण हो ,लगाव हो, सहानभूति हो, चिंता हो, तनाव हो,कुछ भी ये सब हमारी भावनाएं है जिनकी इच्छा पूर्ति के लिए हम काम करते है और जब उसकी इच्छा पूर्ति के लिए काम करते है और वो पूरी हो जाती है तो उस समय जितनी खुशी मिलती है वो खुसी किसी भौतिक सुख में नही है,

जब आप किसी का साथ चाहते है और वो मिल जाता है, आप अपने बच्चे से एक किस चाहते है और वो दे देता है,आप अपनी पत्नी को गले लगाना चाहते है और वो गले लगाती है, आप अपने दोस्त से अपनी प्रसंसा चाहते है और वो आपकी तारीफ करता है,आप किसी से गुस्सा होते है और उसे डांट देते है, आप किसी से झगड़ा चाहते है और उसे पीट देते है तो जो खुशी या शांति आपको मिकलती है उसका कोई जवाब नही है तब आप अपने आप को रिलैक्स महसुस करते है, कहने का मतलब यही है कि हम अपनी भावनाओं को जब पूरा कर लेते है  तो हम रिलेक्स हो जाते है,

लेकिन हर समय हम अपनी इच्छाये पूरी नही कर
सकते,हम को जब अच्छा लगता है तो हम अपने बच्चे को प्यार तो कर सकते है लेकिन जब गुस्सा आये उसे पिट नही सकते क्योकी उसे पीटने के बाद हमे खुद को खराब लेगेगा,वंही बच्चा भी आप से दूर होगा, आप को आफिस में तनाव है आपके बॉस से आप परेशान है मन मे रोज ऐसे खयाल आता है कि उसके कान के नीचे 2 लगाये मगर ऐसा करते है तो आपकी नौकरी को खतरा है, आप पत्नी की चिड़चिड़ा से परेशान है ऐसा लगता है उसकी बातों के बदले  उसको दुगुना जलीकटी सुना दे मगर ये करते है तो आपके वैवाहिक जीवन मे रोज तकरार बढ़ जाएगी ,तो रोज के ऐसी छोटी बड़ी भावनाएं जो पूरी नही हो पाती वो हमे परेशान करती है और लगातार ये पूरी न होने वाली भावनाएं हमे तनाव और डिप्रेसन कि और ले जाती है,और ये सच है कि लगातार तनाव और दबाव में हमारी कार्यक्षमता कम्  होने लगती है,जब तक हम अपना एमोसन पूरा न कर ले तब  तक हमें चैन नही आता,

अब इसका क्या इलाज है, की हम अपनी नेगेटिव भावना पूरी करना चाहता है मगर कर नही सकते, नही करते है तो ये खत्म नही होती ,बढ़ती जाती है, करते है तो रिश्तों के खोने का डर है, नुकसान की आशंका है,तो इसका भी इलाज है,की आप अपनी नकारात्मक भावनाएं निर्जीव चीजो के साथ पूरी कीजिये, और यकीन मानिए आप को बहुत रिलेक्स लेगेगा,जब किसी को गाली देने का मन करे तो दीजिये मगर अकेले में दीवारों को, जब गुस्से में किसी को पीटने का मन करे तो तकिए और गद्दे् को जी भर के मारिये,उसको याद करके जिसको आप पीटना चाहते है,जब अपने बॉस से या किसी कम्पिटिटेर से परेशान हो तो उसकी चेहरे को याद करके अपना गुस्सा उसकी तस्वीर को पिट कर निकालिए, इसके अलावा आज कल के इंटरनेट गेम है जिनमे आप वर्चुअल तोड़फोड़ करके अपना गुस्सा निकाल सकते है, अकसर गुस्से में हम को ऐसा लगता है कि गुस्से में आस पास की  चीजे तोड़ फोड़ दे, और कुछ ऐसा करने के बहुत रिलेक्स भी लगता है,क्योकि गुस्सा वो चीज है जबतक वो आपके भीतर रंहे आपको परेशान करता है, उझसे छुटकारा पाने का तरीका है की उसको पूरा किया जाए,टब जा कर हम अपना ध्यान पूरी तरह दूसरी और लगा सकते है,
ऐसा ही एक कांसेप्ट आप फेसबुक में देखा कि इंदौर में एक कैफे में ये कोन्सेप्ट आया है कि जहा आप तोड़ फोड़ कर सकते है,

कहने का मतलब ये है कि अपनी भावनाओं को पूरा कीजिये, आपको कोई बात परेशान करती है उसे आप किसी से शेयर नही कर सकते तो उसे लिखिए भले ही बाद में वो कागज फाड़ दीजिये,देखिये कितना रिलेक्स लगता है,किसी भी नेगेटिव बात को खत्म करने का तरीका यही है कि उसे पूरा किया जाए,और जहा नकरात्मकरा खत्म होती है वंही सकारात्मकता सुरु होती है,बस मन में जो भी भावना है पूरी कीजिये, सकारात्मक भावनाएं पूरी होने पर खुशी देती है, नकारात्मक भावनाएं पूरी होने पर सुकून देते है, बस अपनी स्मार्ट तरीके से पूरी कीजिये,

इंदौर के कैफे की वीडियो भी शेयर किया है,साथ में,

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