लाइफ मंत्रा: अपने गुस्से को अपनी ताकत बनाइये,
बचपन से हम सुनते आए है कि गुस्सा सेहत और जीवन के लिए हानिकारक है,कोशिश कीजिये कि गुस्से से दूर रहा जाए,हमेशा शांत चित्त रहा जाए,और काफी हद तक सही भी है, मगर एक सोचँने का दूसरा दृष्टिकोण भी है, की गुस्सा बहुत जरूरी है सफलता के लिए,बस आवश्यक ये है कि आप अपने गुस्से को उपयोग कैसे करते है,
इसे समझने से पहले हम ये समझते है कि गुस्सा क्या होता है,साधरणतः गुस्सा उन बातो के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है जो हमे पसंद नही,और ये प्रतिक्रिया भिन्न भिन्न तरह की होती है, कभी हम चिल्ला कर, कभी जोर से बोलकर, कभी कड़वे शब्द बोलकर, कभी मारपीट कर,कभी गाली देकर तो कभी सिर्फ चुप रहकर हम इस प्रतिक्रिया देते है,गुस्से में हमारी ताकत कई गुना बढ़ जाती है क्योकि इस स्थिति में दिमाग का अपने ऊपर कंट्रोल हम खो देते है,या कहे तो गुस्सा आपको क्षणिक पागलपन की और ले जाता है,और जैसे कि आप जानते है या महसूस भी करते होंगे कि एक पागल के पास असीमित शारीरिक ताकत होती है, आपने देखा होगा कि कभी कोई पागल बिफर जाए तो 10 आदमी मिलकर भी उसका मुकाबला करने में मुश्किल में पड़ जाते है,क्योकि जब कोई सोचना बंद कर देता है तो अपनी सारी शक्ति को अपनी शारीरिक शक्ति पर केंद्रित कर देता है,कहने का मतलब ये है कि गुस्सा क्षणिक पागलपन है जब हम इतने शक्तिशाली हो जाते है कि अपनी शक्ति को कन्ट्रोल नही कर सकते,अक्सर हम सुनते है कि उस आदमी से पंगा मत लो वो बहुत गुस्से वाला है,मतलब गुस्सा लोहा के मन मे एक डर उत्पनन करता है, गुस्सा बुरा नही है बस आपको अपने गुस्से को एक संही दिशा देनी है, और आप देखगे की आप में एक आलामुलचुल परिवर्तन आ गया हैै,जैसा कि पहले बताया कि गुस्सा एक प्रतिक्रिया है अपना विरोध प्रदेर्शन करने की, मगर अक्सर हम गुस्से में गुस्से की वजह को खत्म करने की जगह जिससे से गुस्सा है उसे खत्मं करने पर अमांदा हो जाते है, बस यही वो फर्क है जो समझना है,
इस बात को कुछ उदाहरण से समझते है,अमेरिका में एक महिला का बच्चा बेकाबू रफ्तार से आती हुई एक ट्रक के निचे आ गया,और मंर गया अधिकतर लोग गुस्से में उस ट्रक को जला देंगे और ऐसा होता है मगर उस मा ने अपने गुस्से को नियंत्रित किया और एक संस्था बनाइ "madd " mother aginst druncken driver' जिसने विश्व भर में शराब पी कर और अनियंत्रित गति से गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनाए, ताजा उदाहरण हरियाणा के व्यक्ति का है जिसे एक शराबी ड्राइवर ने टक्कर मारी जिससे जो अपाहिज हो गया उसे भी गुस्सा आया उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और ये कानून बना की हाईवे म् 500 मीटर की दूरी के शरॉब दुकान नही बनेगी, एक आदमी को सिनेमा में राष्ट्रगान के दौरान पिट दिया गया उसने ये कानून बनवाया की सिनेमाहाल में राष्ट्रगान बाध्य किया जाये,कलिदास की पत्नी ने उनकी मूर्खता की हंसी उड़ाई तो गुस्सा उन्हें भी आया और वो एक बेवकूफ से कवि कालिदास बने,उदाहरण करोड़ो है, मगर सबमे से एक बात सामने निकल कर आई कि सफलता और समंमान उनको मिला जिन्होंने गुस्से की मूल वजह को ही ख़त्म करने की सोची,
अगर सकारात्मक ढंग से सोचा जाए तो गुस्सा ही आत्मप्रेरित होने का सबसे बड़ा कारण है, एक पुरानी कहावत है"दिल मे लगती है तभी बनती है" जो बाते हमे हर्ट करती है वही मजबूत बनाती है,जैसे हमारी ताकत ही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है वैसे ही हमारी कमजोरी ही साबसे बड़ी ताकत होती है, गुस्से में हमारी हर शारीरिक मानसिक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है,जब आप इसे सही दिशा नही दिखा पाते तो खुद टूट जाते है और सब संही राह दिखाते है तो रिकार्ड टूट जाते है,
गुस्सा पानी,आग,बिजली और पैसे की तरह है,जब तक आप इसके मालिक बनें रहंगे तब तक ये आपके लिए बहुत फायदेमंद है और जब ये आपके मालिक बन जाते है आपका विनाश निश्चित है,बस ध्यान रखिये गुस्से को अहंकार नही हथियार बनाइये,
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