Monday, 15 May 2017

लाइफ मंत्रा: असलियत का होना दिखावे से ज्यादा जरूरी है,

एक गाँव में एक अर्थविद रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी। एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद उसने कहा "महाशय, आप बहुत बडे अर्थ ज्ञानी है, पर आपका लडका इतना मूर्ख क्यों है? उसे भी कुछ सिखायें। उसे तो सोने चांदी में मूल्यवान क्या है यह भी नही पता॥"
यह कहकर वह जोर से हंस पडा।

अर्थविद को बुरा लगा, वह घर गया व लडके से पूछा "सोना व चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है?""सोना", बिना एकपल भी गंवाए उसके लडके ने कहा।"तुम्हारा उत्तर तो ठीक है, फिर राजा ने ऐसा क्यूं  कहा? सभी के बीच मेरी खिल्ली भी उठाई।"

लडके समझ मे आ गया, वह बोला "राजा गाँव के पास एक खुला दरबार लगाते हैं, जिसमें सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल होते हैं। यह दरबार मेरे स्कूल जाने के मार्ग मे हि पडता है।  मुझे देखते हि बुलवा लेते हैं, अपने एक हाथ मे सोने का व दूसरे मे चांदी का सिक्का रखकर, जो अधिक मूल्यवान है वह ले लेने को कहते हैं ऒर मैं चांदी का सिक्का ले लेता हूं।सभी ठहाका लगाकर हंसते हैं व मजा लेते हैं।ऐसा तकरीबन हर दूसरे दिन होता है।"

"फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नही उठाते, चार लोगों के बीच अपनी फजिहत कराते हो व साथ मे मेरी भी।"लडका हंसा व हाथ पकडकर अर्थविद को अंदर ले गया ऒर कपाट से एक पेटी निकालकर दिखाई जो चांदी के सिक्कों से भरी हुई थी।

यह देख अर्थविद हतप्रभ रह गया।
लडका बोला "जिस दिन मैंने सोने का सिक्का उठा लिया उस दिन से यह खेल बंद हो जाएगा। वो मुझे मूर्ख समझकर मजा लेते हैं तो लेने दें, यदि मैं बुद्धिमानी दिखाउंगा तो कुछ नही मिलेगा।"

मोरल- मूर्ख होना अलग बात है व समझा जाना अलग। स्वर्णिम मॊके का फायदा उठाने से बेहतर है हर मॊके को स्वर्ण मे तब्दील करना। लोगो का आकलन करने से पहले उनके बारे में जान ले, सिर्फ किताब का कवर देखकर उसके बारे में अंदाजा न लगाएं,जैसे समुद्र सबके लिए समान होता है, कुछ लोग पानी के अंदर टहलकर आ जाते हैं, कुछ मछलियाँ ढूंढ पकड लाते हैं व कुछ मोती चुन कर आते हैं।हर परिस्थिति में होशियारी आअपके लिए लाभदायक नही होती,कभी कभी लोगो के नजर में मूर्ख बनकर भी आप फायदा उठा सकते है,होशियार दिखना नही होशियार होना ज्यादा जरूरी है,असलियत का होना दिखावे से ज्यादा जरूरी है,

Thursday, 11 May 2017

लाइफ मंत्रा: कंप्लीट योर थॉट्स,लेकिन सकारात्मक तरीको से

लाइफ मंत्रा: कंप्लीट योर थॉट्स,भगर सकारात्मक तरीको से,

तुम बिन फ़िल्म का एक संवाद है "ये इमोशन भी कितने स्टुपिड होते है न,कोई लॉजिक ही नही समझते, और ये सच भी है, लेकिन यही स्टुपिड सी चीज हमे आदमी से इंसान बनाती है, दुनिया मे हम खुश रहने के लिए चाहे दुनिया की सारी चीजें मिल जाये मगर जब तक एक छोटी सी  इच्छा या चाहत बाकी रह जाती है आप खुश नही रहते, ये हमारी भावनाये है, चाहे किसी से प्यार हो या गुस्सा, घृणा हो, ईर्ष्या हो, आकर्षण हो ,लगाव हो, सहानभूति हो, चिंता हो, तनाव हो,कुछ भी ये सब हमारी भावनाएं है जिनकी इच्छा पूर्ति के लिए हम काम करते है और जब उसकी इच्छा पूर्ति के लिए काम करते है और वो पूरी हो जाती है तो उस समय जितनी खुशी मिलती है वो खुसी किसी भौतिक सुख में नही है,

जब आप किसी का साथ चाहते है और वो मिल जाता है, आप अपने बच्चे से एक किस चाहते है और वो दे देता है,आप अपनी पत्नी को गले लगाना चाहते है और वो गले लगाती है, आप अपने दोस्त से अपनी प्रसंसा चाहते है और वो आपकी तारीफ करता है,आप किसी से गुस्सा होते है और उसे डांट देते है, आप किसी से झगड़ा चाहते है और उसे पीट देते है तो जो खुशी या शांति आपको मिकलती है उसका कोई जवाब नही है तब आप अपने आप को रिलैक्स महसुस करते है, कहने का मतलब यही है कि हम अपनी भावनाओं को जब पूरा कर लेते है  तो हम रिलेक्स हो जाते है,

लेकिन हर समय हम अपनी इच्छाये पूरी नही कर
सकते,हम को जब अच्छा लगता है तो हम अपने बच्चे को प्यार तो कर सकते है लेकिन जब गुस्सा आये उसे पिट नही सकते क्योकी उसे पीटने के बाद हमे खुद को खराब लेगेगा,वंही बच्चा भी आप से दूर होगा, आप को आफिस में तनाव है आपके बॉस से आप परेशान है मन मे रोज ऐसे खयाल आता है कि उसके कान के नीचे 2 लगाये मगर ऐसा करते है तो आपकी नौकरी को खतरा है, आप पत्नी की चिड़चिड़ा से परेशान है ऐसा लगता है उसकी बातों के बदले  उसको दुगुना जलीकटी सुना दे मगर ये करते है तो आपके वैवाहिक जीवन मे रोज तकरार बढ़ जाएगी ,तो रोज के ऐसी छोटी बड़ी भावनाएं जो पूरी नही हो पाती वो हमे परेशान करती है और लगातार ये पूरी न होने वाली भावनाएं हमे तनाव और डिप्रेसन कि और ले जाती है,और ये सच है कि लगातार तनाव और दबाव में हमारी कार्यक्षमता कम्  होने लगती है,जब तक हम अपना एमोसन पूरा न कर ले तब  तक हमें चैन नही आता,

अब इसका क्या इलाज है, की हम अपनी नेगेटिव भावना पूरी करना चाहता है मगर कर नही सकते, नही करते है तो ये खत्म नही होती ,बढ़ती जाती है, करते है तो रिश्तों के खोने का डर है, नुकसान की आशंका है,तो इसका भी इलाज है,की आप अपनी नकारात्मक भावनाएं निर्जीव चीजो के साथ पूरी कीजिये, और यकीन मानिए आप को बहुत रिलेक्स लेगेगा,जब किसी को गाली देने का मन करे तो दीजिये मगर अकेले में दीवारों को, जब गुस्से में किसी को पीटने का मन करे तो तकिए और गद्दे् को जी भर के मारिये,उसको याद करके जिसको आप पीटना चाहते है,जब अपने बॉस से या किसी कम्पिटिटेर से परेशान हो तो उसकी चेहरे को याद करके अपना गुस्सा उसकी तस्वीर को पिट कर निकालिए, इसके अलावा आज कल के इंटरनेट गेम है जिनमे आप वर्चुअल तोड़फोड़ करके अपना गुस्सा निकाल सकते है, अकसर गुस्से में हम को ऐसा लगता है कि गुस्से में आस पास की  चीजे तोड़ फोड़ दे, और कुछ ऐसा करने के बहुत रिलेक्स भी लगता है,क्योकि गुस्सा वो चीज है जबतक वो आपके भीतर रंहे आपको परेशान करता है, उझसे छुटकारा पाने का तरीका है की उसको पूरा किया जाए,टब जा कर हम अपना ध्यान पूरी तरह दूसरी और लगा सकते है,
ऐसा ही एक कांसेप्ट आप फेसबुक में देखा कि इंदौर में एक कैफे में ये कोन्सेप्ट आया है कि जहा आप तोड़ फोड़ कर सकते है,

कहने का मतलब ये है कि अपनी भावनाओं को पूरा कीजिये, आपको कोई बात परेशान करती है उसे आप किसी से शेयर नही कर सकते तो उसे लिखिए भले ही बाद में वो कागज फाड़ दीजिये,देखिये कितना रिलेक्स लगता है,किसी भी नेगेटिव बात को खत्म करने का तरीका यही है कि उसे पूरा किया जाए,और जहा नकरात्मकरा खत्म होती है वंही सकारात्मकता सुरु होती है,बस मन में जो भी भावना है पूरी कीजिये, सकारात्मक भावनाएं पूरी होने पर खुशी देती है, नकारात्मक भावनाएं पूरी होने पर सुकून देते है, बस अपनी स्मार्ट तरीके से पूरी कीजिये,

इंदौर के कैफे की वीडियो भी शेयर किया है,साथ में,

Tuesday, 9 May 2017

लाइफ मंत्रा: कोई भी शारीरिक नही मानसिक रूप से विकलांग होता है

लाइफ मंत्रा: कोई भी शारीरिक नही बस दिमागी रूप से विकलांग है,

कल एक प्रेणादायक  वीडियो देखा जिसने बहुत कुछ सॉचने पर मजबूर किया,ये कोई किस्सा नही हकीकत है, ये हकीकत है उत्तर प्रदेश की रहने वाली अरुणिमा सिन्हा का आपके लिए ये शायद कुछ अंजाना सा नाम हो,लेकिन अगर आप जिंदगी में कभी कंही हौसला खो देते है तो इनका जीवन आपको वापस प्रेरणा से भर देगा, यू पी के एक छोटे से गाँव की लड़की जिसके साथ ट्रैन चैन खिंचने की कोशिश के चलते एक हादसा हुआ,वो ट्रैन से गिर गई,और सारी रात ऐसे ही दो पटरियों के बीच 12 घंटे तक पड़ी रही,सुबह किसी तरह उसे दिल्ली के किसी हॉस्पिटल में ले जाया गया वहा इलाज के बाद उसे पता चला कि इस हादसे में उसकी कमर और पाव की कई हड्डियां टूट गयी है,और एक पाव तो नही रहा, जगह जगह गहरे जख्म है,उसकी ऐसे हालात देखकर आस पास के डॉक्टर भी उस पर तरस खाकर कहने लगे कि आखिर के कैसे और क्यो बच गई,इस विकलांग जिंदगी से अच्छा तो वो मर ही जाती,लेकिन उस लड़की को जब ये सब मालूम हुआ तो उसके शब्द थे" भगवान ने अगर मुझे बचाया है तो कुछ अच्छा और बड़ा करने के लिए ही बनाया होगा" और उसी पल उसने अपने लिये एक लक्ष्य चुना की ऐसे माउंट एवरेस्ट चढ़ना है,

और मामूली रिकवरी के बाद अपने जख्मी शरीर और अपाहिज पैरों के साथ वो पर्वतारोही बछेंद्रीय पाल के पास गई और उनको अपनी इच्छा बताई, उसकी बातें सुनकर बछेंद्रीय पाल ने लगभग रोते हुए उसे गले से लगाया और कहा बेटी अगर इस हालात में भी तू एवरेस्ट चढ़ने का सोच सकती है तो समझ ले तूने एवरेस्ट चढ़ लिया, बस दुनिया को उसकी तारीख पता चलनी बाकी है, और उसके बाद को हुआ वो इत्तिहास था,अरुणिमा सिन्हा से न सिर्फ एवरेस्ट फतह को बल्की दुनिया के कई ऊंचे पहाड़ भी फतह की,उसके इस हौसले के लिए सरकार द्वारा उन्हें "पद्मश्री" के पूरस्कार से भी सम्मनित किया गया,

अरुणिमा की कहानी ये सिखाती है कि हम शरीर से नही दिमाग से विकलांग होते है, और विकलांग  जब होते है जब अपने दिमाग में अपनी हार को ग्रहण कर लेते है अपने बिलीव सिस्टम में ये बात डाल लेते है कि हम नही लार सकते, इसे सुधारने की जरूरत है, हम क्या है, हमारे पास क्या साधन है,और हम किस परिस्थिति में है ये कोई खास मायने नही रखता,मायने ये रखता है कि हम किसी भी परिस्थिति में अपनी सोच कैसे रखते है, ये सोच का फर्क ही लोगो की सफलता म् फर्क करता है, जहा थोड़ी सी विकलांगता लोगो के हौसले को तोड़ देती है उसी परिस्थितियों में अरुणिमा ने रिकॉर्ड तोड़ दिया,

मानसिक शक्ति शाररिक शक्ति से कई ज्यादा ताकतवर है,कोई भी काम को पूरा करने से पहले हमे उसको मन म् पूरा  करना पड़ता है उसके बाद ही हम् उसे पूरा करते है,हम सिर्फ उतने ही ताकतवर या कमजोर है जितना हम खुद को संमझते है,ये अंतर्मन ही सबसे बड़ी ताकत और प्रेरणा है,जब हम ये ठान लेते है कि हमे जीतना है तो फिर हमे कोई नही रोक सकता,

अक्सर हम अपने गरीब, कम पढेलिखे,कमजोर, साधनसम्पन्न न होने,और छोटे होने का बहाना बनाते है और अपने अपनी किसी भी असफलता के लिए ऐसे ही किसी बाहाने को कसूरवार ठहराते है जबकि हमारे सामने रोज ऐसे सैकड़ो उदाहरण गुजरते है जो इन सब साधनो के मामले में हमसे कही पीछे थे मगर आज सफलता की बुलंदियों पर खड़े है इसलिए नही की उनकी किस्मत अच्छी थी मगर इसलिए क्योकि उनकी मेहनत, हौसला और बिलीफ सिस्टम बहुत अच्छा था,उन्हें खुद पर भरोसा था, वो भी गिरे ,असफल हुए मगर उन्होंने अपना हौसला नही छोड़ा,एक असफलता ने उन्हें परेशान नही किया,बस गलतियों की सीख दी,और उसको सुधार कर आज वो सफल है,

सफल होने के साधन नही हौसला चाहिए,आप मि शारीरिक अक्षमता या गरीबी आप की राह में रुकावट नही,रुकावट है आपकी सोच, उसे सुधारिये और जिस दिन आपको ये विश्वासः हो गया कि आप कारः सकते है उस दिन संही मे आप कर सकते है,बस जब कभी आपका हौसला टूटने लगे तो आंखे बंद कर के अरुणिमा या उसके जैसे ही किसी संघर्ष पूर्ण व्यक्तित्व का जीवन याद करे ये आपको प्रेरित करेगा कि जब वो कर  सकते है तो मैं क्यों नही,

रूक जाना नही कभी तू हार के,
कांटो पे चलके मिलेंगे साये बाहर के,
ओ राही ....ओ राही...

Monday, 8 May 2017

लाइफ मंत्रा: कभी कभी बहरे बन जाइए

लाइफ मंत्रा: कभी कभी बहरे भी बन जाईये,

कई छोटे छोटे मेंढकों की है जो एक साथ एक जगह पर झूंड बना कर रहते थे,एक बार उन्होंने एक "प्रतियोगिता" का आयोजन करने की ठानी.लक्ष्य रखा गया एक ऊंचा सा बिजली का टावर* और तय किया गया कि जो भी उस पर सबसे पहले चढ जायेगा वही विजेता घोषित होगा.

प्रतियोगिता के लिये बहुत से मेंढक एकत्रित हुए साथ ही देखने वालों की भी भीड लगी हुई थी.प्रतियोगिता शुरू हुई,देखने वालों में से किसी को भी विश्वास नहीं था कि कोई भी मेंढक उस ऊंचे टावर पर चढ पायेगा ?भीड चिल्ला रही थी.. बहुत मुश्किल है... शायद ही कोई ऊपर तक पहुंच पाये,कुछ कह रहे थे सफ़लता का प्रतिशत शून्य है क्योंकि टावर बहुत ऊंचा है,इस टॉवर तक कोई नही पहुंच पायेगा ?बहुत से मेंढकों ने थक कर प्रतियोगिता छोड दी, कुछ बचे हुए अभी भी टावर पर चढ रहे थे.भीड की बातें सुन कर एक को छोड कर सभी मेंढकों ने हार मान कर प्रतियोगिता बीच में ही छोड दी.

एक अकेला मेंढक तेजी से टावर पर चढता जा रहा था,उसके प्रयास में कोई कमी नहीं आ रही थी और अन्त में वह टावर पर चढने में सफ़ल रहा,सब मेंढक यह जानना चाह रहे थे कि यह कैसे संभव हुआ. एक प्रतियोगी मेंढक ने विजेता मेंढक से प्रश्न किया कि आखिर तुम्हारी जीत का क्या राज है ?

तब सब को पता चला कि विजेता मेंढक "बहरा" था वह सुन नहीं पाता था

इस कहानी का सार यह है कि दूसरे व्यक्तियों की नकारात्मक सोच पर कभी ध्यान न दें क्योंकि वह आपके सुनहरे स्वप्नों को साकार करने में बाधा से अधिक कुछ नहीं. अपनी शक्ति को पहचाने और उन्हें अपने प्रयत्नों पर हावी न होने दें. सदा सकारात्मक सोच ले कर लक्ष्य की और बढें. स्वंय पर विश्वास रखें आप सब से ऊपर पहुंचने में सफ़ल होंगे,असंभव की परिभाषा सिर्फ यही है कि वो चीज आज तक नही हुई है ये नही की कभी नही हो सकती,जब आप अपने कार्य मे खो कर लोगो की नकारात्मक बातो की और ध्यान देना छोड़ देते है तो वो सब हासिल कर सकते है जिसे लोग असभव कहते है,

लोगो की बातों को अपने कार्यशैली पर हावी न होने दे,लोग अपना काम कर रहे है आप अपना काम करते रहिए,

Sunday, 7 May 2017

लाइफ मंत्रा: अपने आप को जितनी जल्दी हो सके पोर्ट कीजिये

लाइफ मंत्रा: अपने आप को जितनी जल्दी हो सके पोर्ट कीजिये,

मैं एक बहुत ही एक्टिव मोबाईल यूजर हु और मैं लगभग पिछले 15 सालों से बीएसएनएल का सिम यूज़ कर रहा था,आज से लगभग 15 साल पहले जब नगर में नया नया मोबाईल आया था तो उस समय सिर्फ बीएसएनएल ही उपलब्ध था इसलिए मैंने भी बीएसएनएल का सिम लिया, लेकिन गुजरते वर्षो के साथ इसकी सर्विस खराब होती गई है,कभी भी घंटो इसका नेटवर्क नही रहना, कभी भी नेट चले जाना, कॉल ड्राप इत्यादि समस्याए आम हो गई थी,जिससे मुझे परेशानी थी,मैंने इसके लिए कई बार शिकायत की मगर इसमें सुधार नही हुआ, फिर भी मैंने इसको नही बदला क्योकि आखिर में 15 वर्षो से उपयोग कर रहा था,मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा आने के बाद भी मैं कई वर्षों तक बीएसएनएल सिम के साथ ही रहा, जबकि इसकी वजह से मुझे अक्सर परेशानी होती थी, मेरे मन मे पोर्टेबिलिटी का विचार आता था मगर कौन एक्सचेंज करने जाए,जैसा चलता है चंलने दो, ये सोच के कारण में इसे इग्नोर करता रहा, फिर भी असुविधा हुई तो एक एयरटेल का सिम और ले लिया,अब कुछ राहत मिली,मगर मैं बेवजह बीएसएनएल का सिम रखे हुए था,लेकिन फिर मैंने देखा कि नगर में जिओ की सेवा प्रारंभ हुई जिसका नेटवर्क भी अच्छा है और किफायती भी है तो आखिरकार मैने अपने बीएसएनल नंबर को जिओ में पोर्ट कर  लिया,पिछले 7 दिनों से में जिओ का उपयोग कर रहा हु जो कि काफी संतोषजनक है

जैसा मेरे सिम के साथ हुआ वैसा ही अमूनन हमारी जिंदगी में भी होता है,हम् अपनी जिंदगी में अक्सर कई बातों को,कई लोगो को, कई संबंधो को अकारण सहते है,ये जानते हुए भी की वो हमको तकलीफ दे रहे है,वो हमारे लिये परेशानी का कारण बन रहे है,मगर सिर्फ औपचारिकता वश या सिर्फ आलस के कारण या कभी कभी नई सोच के अभाव में हम उनको सहते रहते है,जबकि हमारी कई कोशिश के बाद भी उनमें सुधार नही होता,मगर हम अपनी जिंदगी में उनको बंदलने उनको रिप्लेस करने से डरते है, इस बात से डरते है कि कंही ये रिप्लेसमेंट भारी न पड़े, एक बेहतर संभावना होने के बाद भी हम डरते है क्योकि हम् पुरानी चीजो के आदी हो गए होते है,कुछ खो देने का डर हमे रोकता है तकलीफ देता है,मगर एक बार अगर हम इस डर से बाहर निकल कर अपने आप को कुछ बेहतर के लिए पोर्ट करते है तो शुरुवाती असुविधायो के बाद जिंदगी आसान हो जाती है, सकारात्मक परिवर्तन हर समय पहले मुश्किल होता है मगर इसके साथ जिंदगी बहुत आसान होती है,

काफी कुछ हमारा स्वभाव उस कैदी की तरह है जो उम्र का एक लंबा अरसा अंधेरी काल कोठरी में काटने के बाद जब बहार रोशनी में आता है तो उसे रोशनी तकलीफ देह लगती है,अगर वो उस तकलीफ से डर कर वापस कालकोठरी में चला गया तो जिंदगी का असली मजा कभी नही ले पायेगा, वही अगर थोड़ी देर के लिए अगर वो अपने आप को रोशनी में रहकर उसका अभ्यस्त कर ले तो बाकी की जिंदगी उसे अंधेरे से मुक्ति मिल जाएगी,

ऐसे ही कई चीजें जिंदगी में हमे बांधे हुए है जो हम सिर्फ परिवर्तन  के डर से नही छोड़ना चाहते मगर परिवर्तन संसार का नियम है उसे ग्रहण करना ही होगा, अगर आप अपने हिसाब से नही बदले तो प्रकृति और समय द्वारा बदल दिए जाओगे जो कि उस समय आपको पसनद नही आएगा,इसलिए एक बेहतर कल के लिए उन सभी बातों को,चीजो को लोगो को पोर्ट कीजिये जो आपको तकलीफ दे रहे है,और हा एक बात अवश्य याद रखे की पोर्ट तभी करे जब आप पुरानी बातों को अपग्रेड करने में या उनमे सुधार करने की कोई गुंजाइश न हो, क्योकि बिना किसी ठोस कारण के कुछ पोर्ट करना आपको भटकाव के अलावा कुछ नही देगा,

जिंदगी आपकी है ये आप पर निर्भर है कि आप कैसे जिंदगी चाहते है,लोगो की बातों से डर कर अपने आप को अपग्रेड करने से मत रोकिए,एक बार आपका पोर्टिंग का अनुभव अच्छा नही भी रहा तो कोई बात नही,ये मौका कोई आखरी तो नही था, और कोई मौका आखरी नही होता,जब एक दरवाजा बंद होता है तो कई और विकल्प खुल जाते है,

अपने ईश्वर पर और उसकी सर्बश्रेष्ठ रचना पर जो कि आप है  हमेशा भरोसा रखें,

Saturday, 6 May 2017

लाइफ मंत्रा: गुस्से को अपनी कमजोरी नही ताकत बनाइये

लाइफ मंत्रा: अपने गुस्से को अपनी ताकत बनाइये,

बचपन से हम सुनते आए है कि गुस्सा सेहत और जीवन के लिए हानिकारक है,कोशिश कीजिये कि गुस्से से दूर रहा जाए,हमेशा शांत चित्त रहा जाए,और काफी हद तक सही भी है, मगर एक सोचँने का दूसरा दृष्टिकोण भी है, की गुस्सा बहुत जरूरी है सफलता के लिए,बस आवश्यक ये है कि आप अपने गुस्से को उपयोग कैसे करते है,

इसे समझने से पहले हम ये समझते है कि गुस्सा क्या होता है,साधरणतः गुस्सा उन बातो के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है जो हमे पसंद नही,और ये प्रतिक्रिया भिन्न भिन्न तरह की होती है, कभी हम चिल्ला कर, कभी जोर से बोलकर, कभी कड़वे शब्द बोलकर, कभी मारपीट कर,कभी गाली देकर तो कभी सिर्फ चुप रहकर हम इस प्रतिक्रिया देते है,गुस्से में हमारी ताकत कई गुना बढ़ जाती है क्योकि इस स्थिति में दिमाग का अपने ऊपर कंट्रोल हम खो देते है,या कहे तो गुस्सा आपको क्षणिक पागलपन की और ले जाता है,और जैसे कि आप जानते है या महसूस भी करते होंगे कि एक पागल के पास असीमित शारीरिक ताकत होती है, आपने देखा होगा कि कभी कोई पागल बिफर जाए तो 10 आदमी मिलकर भी उसका मुकाबला करने में मुश्किल में पड़ जाते है,क्योकि जब कोई सोचना बंद कर देता है तो अपनी सारी शक्ति को अपनी शारीरिक शक्ति पर केंद्रित कर देता है,कहने का मतलब ये है कि गुस्सा क्षणिक पागलपन है जब हम इतने शक्तिशाली हो जाते है कि अपनी शक्ति को कन्ट्रोल नही कर सकते,अक्सर हम सुनते है कि उस आदमी से पंगा मत लो वो बहुत गुस्से वाला है,मतलब गुस्सा लोहा के मन मे एक डर उत्पनन करता है, गुस्सा बुरा नही है बस आपको अपने गुस्से को एक संही दिशा देनी है, और आप देखगे की आप में एक आलामुलचुल परिवर्तन आ गया हैै,जैसा कि पहले बताया कि गुस्सा एक प्रतिक्रिया है अपना विरोध प्रदेर्शन करने की,  मगर अक्सर हम गुस्से में गुस्से की वजह को खत्म करने की जगह जिससे से गुस्सा है उसे खत्मं करने पर अमांदा हो जाते है, बस यही वो फर्क है जो समझना है,

इस बात को कुछ उदाहरण से समझते है,अमेरिका में एक महिला का बच्चा बेकाबू रफ्तार से आती हुई एक ट्रक के निचे आ गया,और मंर गया अधिकतर लोग गुस्से में उस ट्रक को जला देंगे और ऐसा होता है मगर उस मा ने अपने गुस्से को नियंत्रित किया और एक संस्था बनाइ "madd " mother aginst druncken driver' जिसने विश्व भर में शराब पी कर और अनियंत्रित गति से  गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनाए, ताजा उदाहरण हरियाणा के व्यक्ति का है जिसे एक शराबी ड्राइवर ने टक्कर मारी जिससे जो अपाहिज हो गया उसे भी गुस्सा आया उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और ये कानून बना की हाईवे म् 500 मीटर की दूरी के शरॉब दुकान नही बनेगी, एक आदमी को सिनेमा में राष्ट्रगान के दौरान पिट दिया गया उसने ये कानून बनवाया की सिनेमाहाल में राष्ट्रगान बाध्य किया जाये,कलिदास की पत्नी ने उनकी मूर्खता की हंसी उड़ाई तो गुस्सा उन्हें भी आया और वो एक बेवकूफ से कवि कालिदास बने,उदाहरण करोड़ो है, मगर सबमे से एक बात सामने निकल कर आई कि सफलता और समंमान उनको मिला जिन्होंने गुस्से की मूल वजह को ही  ख़त्म करने की सोची,

अगर सकारात्मक ढंग से सोचा जाए तो गुस्सा ही आत्मप्रेरित होने का सबसे बड़ा कारण है, एक पुरानी कहावत है"दिल मे लगती है तभी बनती है" जो बाते हमे हर्ट करती है वही मजबूत बनाती है,जैसे हमारी ताकत ही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है वैसे ही हमारी कमजोरी ही साबसे बड़ी ताकत होती है, गुस्से में हमारी हर शारीरिक मानसिक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है,जब आप इसे सही दिशा नही दिखा पाते तो खुद टूट जाते है और सब संही राह दिखाते है तो रिकार्ड टूट जाते है,

गुस्सा पानी,आग,बिजली और पैसे की तरह है,जब तक आप इसके मालिक बनें रहंगे तब तक ये आपके लिए बहुत फायदेमंद है और जब ये आपके मालिक बन जाते है आपका विनाश निश्चित है,बस ध्यान रखिये गुस्से को अहंकार नही हथियार बनाइये,

Monday, 1 May 2017

लाइफ मंत्रा : सिर्फ शिक्षित नहीं संस्कारी एवम ब्यवहारिक भी बनिए,

सिर्फ शिक्षित नहीं,संस्कारी बनिए,व्यवहारिक, काबिल बनिए

एक पिता और पुत्र जंगल में विजिट के लिए गए और रात होने पर वो टेंट लगा कर सो गए,
रात को 3 बजे पिता ने बच्चे को जगाया और पूछा आसमान में तुम्हे क्या दिख रहा है??
लड़के ने जवाब दिया - ढेर सारे तारे
पिता ने पूछा - इस बारे में तुम्हे कुछ कहना है??
पुत्र- हां पिताजी ,इस दुनिया के बाहर भी एक दुनिया है, ये तारे सब एक अलग,यूनिवर्स है, जो पाया से छोटे दीखते है मगर पृथ्वी से बड़े है, ये बहुत दूर है इसलिए टिमटिमाते हुए दिखाई देते है मगर असल में ऐसा नहीं है,
पिता- और कुछ नहीं दीखता??
पुत्र- नही तो??
पिता- कमीने !! तुझे दिखता नहीं की किसी ने हमारा टेंट चुरा लिया??

मोरल- बहुत ज्यादा किताबी शिक्षा आपके व्यवहारिक सोच को सिमित बना देती है,

बस यही आज कल का एजुकेशन सिस्टम है,हम पढ़ते है ज्ञान पाने के लिए नहीं,पास होने के लिए, डिग्री के लिए,नौकरी के लिए,काबिल नहीं सफल बनने के लिए,संस्कारी नहीं शिक्षित होने के लिए,और जब हम पढाई के असली उदीशय को भूल कर पढ़ते है तो सिर्फ एक कंप्यूटर बनाने का प्रय्यास करते है सिसे इंसान ने बनाया है,
और फिर किसी दिन वही कंप्यूटर हमें रिप्लेस कर देता है क्तयोकी हम।उसके ज्ञान के सामने सिमित है,
पास होने के कई तरीके है, रट्टा मार के, नक़ल मार के, या चीजो को समझ कर, तीसरा तरिका साबसे बढ़िया है,और हां सिर्फ 90%प्लस मार्क सफलता नहीं है, सफलता का पैमाना मार्क्स नहीं आप की काबिलियत है,एक मेट्रिक फ़ैल पेट्रोल पम्प का अटेंडर धीरू भाई अंबानी बन जाता है,एक 12 से ड्राप किया गया छात्र बिल गेट्स,

अपने आप पर अपने सपनो पर भरोसा रखें,पढाई का मकसद चीजो को समझाना है,सिर्फ इंग्लिश स्पीकिंग आप के बुद्धिमत्ता का पैमाना नहीं है,एप्पल के स्पेलिंग आप को याद रहे और आप अच्छी हैण्ड राइटिंग में उसे लिख पाये इससे महत्वपूर्ण है कि आप ये जाने की एप्पल का मतलब सेव होता है, ये एक फल है, जिसको खाना चाहिए,आपको ये पता होना चाहिए की ये दीखता कैसा है,
ब्यवहारिक ज्ञान किसी भी किताबी ज्ञान से  ज्यादा महत्वपूर्ण है,उस पर फोकस कीजिये,