Monday, 30 May 2016

हर समस्या का अलग समाधान है

एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे जिनकी गणित और ज्ञान की ख्याति की बहुत चर्चा थी,
एक बार उन्हें एक स्कूल पिकनिक की जिममेदारी दी गई, गणितज्ञ ने भी अपनी पूरी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हये बहुत बढ़िया संयोजन किया,

जब छात्रो के खाने की व्यवस्था की बात आई तो उन्होंने हिसाब लगया की कुल संख्या का हिसाब लगाया, ये अनुमान लगाया की एक एक छात्र की औसत खुराक कितनी है ,उस हिसाब से गुना भाग किया और उतने खाने की व्यवस्था की ,और उनके इस प्रयास से खाना  की बहुत ही सूंदर व्यवस्था हुई और सभी को प्रयाप्त खाना मिला,

ऐसा ही गणित उन्होंने छात्रो की रहने की व्यवस्था का भी लगाया और अपना गुना भाग करके लगाया और सभी छात्रो के लिए रहने की पर्याप्त और उपयुक्य् व्यवस्था की,

इन सभी अच्छे संयोजन से  गणितज्ञ की बहुत प्रशंशा हुई, गणितज्ञ को भी अपने ज्ञान और कौशल पर गर्व हुआ,

पिकनिक के दौरान  रस्ते में एक नाला पड़ा, जिसमे पानी भरा था,  अब समस्या थी की हर कोई उसकी गंभीरता के बारे में अनजान था तो उस पानी से भरे नाले को पार कैसे किया जाए,

सभी बच्चों की उम्मीद अब अपने  गणितज्ञ से थी, गणितञ ने फिर से इस बार सभी अपना दायित्व समझते हुए अपना प्रयास शुरू किया, उन्होंने एक पेड़ की शाखा तोड़ी  उस नाले के पास गए उन्होंने उस शाखा को पानी में डुबाया, उसकी गहराई नोट की फिर थोड़ा आगे बढ़ाकर गहराई नोट की, वहा पानी कुछ ज्यादा गहरा था, ऐसे ही 4-5 जगह उन्होंने गहराई नोट की,

फिर वो वापस आये ,सब छात्रो को एक लाइन से खड़ा किया और उनकी ऊंचाई नोट की,

उसके बाद अपना कुछ हिसाब किताब लगाया और बड़े उत्साह से बोले की हम बड़ी आसानी से नाला पार कर सकते है,

सभी छात्र उनके पीछे हो लिए,
लेकिन ये क्या कुछ ही दूर जाकर कुछ छात्र पानी में डूबने लगे,
बड़ी मुश्किल से उन्हें बचाया गया,

जैसे तैसे इसके बाद व्यवस्था कर के सबको अपने घर तक पहुचाया गया,

पिकनिक के बाद स्कूल मैनजमेंट ने उस गणितञ को बुलाया और पूछा की आपने किस हिसाब से छात्रो के जीवन को इतने संकट में डाला, जब आपको गहराई का अंदाज नहीं था,तो छात्रो को नाला पार करवाने की क्या आवश्यकता थी,

गणितज्ञ ने बड़े ही  आश्चर्य से कहा, यही बात तो मेरे समझ से भी बहार है मेरा गणित का अनुमान आज तक कभी फेल नहीं हुआ ,मैंने पिकनिक के लिए खाने ,रहने की व्यवस्था भी अपने गणित के आंकलन के आधार पर की थी वो सभी सही थे, क्या पता आज कैसे हो गया,आज मेरा गणित कैसे फ़ैल हो गया ??

सबने उनके अनुमान का आधार पूछा
गणितज्ञ ने बताया-
मैंने विबिन्न जगहों पर पानी की गहराई नापी कंही 3 फ़ीट  कंही 5 फ़ीट कंही 5 फ़ीट कंही  6 फ़ीट थी
जिसका पानी की गहराई का औसत 4.5 फ़ीट हुआ,

फिर मैने छात्रो की ऊंचाई नापी जो औसत में 5.5 फ़ीट थी,
दोनों में लगभग 1 फ़ीट का अंतर था उस हिसाब से हमें ये नाला पार कर लेना था,

सभी स्कुल मैनेजमेंट के लोगो ने अपना माथा पिट लिया,

मोरल- हर समस्या के लिए एक समाधान नहीं ही सकता, एक ही थ्योरी जिंदगी के हर क्षेत्र में कम नहीं आती,व्यवाहारिक ज्ञान अंनुभव किसी भी किताबी ज्ञान से बड़ा है,
आप की एक बात किसी को अच्छी लग सकती है तो किसी को खराब, एक ही बात आज किसी को पसंद आ सकती ही कल नापसन्द, परिस्थिति के साथ हर इंसान का  स्वाभाव और दिमाग बदलता रहता  है, एक लॉजिक हर इंसान पर ,या हर समय एक इंसान पर काम नहीं करता,

एक दम सही या एक दम गलत सिर्फ गणित में होता है जिंदगी में नहीं,

समाधान ,समस्या और परिस्थितियों को देखकर तय कीजिये अपने लॉजिक को देखकर नहीं,

धन्यवाद,

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