Monday, 30 May 2016

क़ानूनी भ्रस्टाचार

कानूनी भ्रस्टाचार

भ्रस्टाचार कानूनन अपराध है,
इसका मतलब होता है अपने पद,या शक्ति का दुरूपयोग कर किसी व्यक्ति,कंपनी,संस्था या परिवार विशेष के हित में लाभ पहुछाना और उसके एवज में कुछ लाभ लेना,

इससे देश को धन की हानि होती है, निर्माण या जिस कार्यो में भ्रस्टाचार होता है उसकी गुणवता घटती है,साधारण सब्दो में भ्रस्टाचार अपने व्यक्तिगत लाभ क लीेये किसी को नियमो में छुट देना है,

मैं आपके सामने इस इस गैरकानूनी नहीं बल्कि कानुनी रूप से हो रहे भ्रस्टाचार की कुछ दलील रख रहा हु,

सरकार देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए कानून बनाती है, और कानून भी अपनी मर्जी से,आज सरकार के हिसाब से कुछ सबी लगता है तो वो क़ानूनी,और सरकार को कुछ गकत लगता है तो गैरकानूनी, देश में कुछ लोगो की मर्जी के ऊपर जब सुप्रीम कोर्ट का ठप्पा लग जाता है तो उसे कानून कहते है, देश के विकाश के लिए पैसा चाहिए तो टैक्स के रूप में माध्यम और आमवर्ग जो राशि देता है ,इस पैसे न उपयोग सएकार को नियम के हिसाब से देश के विकास कार्यो में लगाना चाइये,मगर सरकार उस पैसे से अपना वोट बैंक खरीदती है,लोक लुभावन बजट बनाती है, मुफ़्त में चीजे देती है सर्फ इसलिए की जो गरीब और अशिक्षित तबका है वो सरकार से खुश रहे,और वोट उन्ही को दे,
क्या ये कानूनी भ्रस्टाचार नहीं है,

जहा सरकार अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए सरकारी पैसे,बल्कि जनता के पैसे का दुरूपयोग कर रही है,अपने अधिकरों का दुप्पयोग कर रही है,

बस इस भ्रस्टाचार को क़ानूनी जामा पहना दिया गया है, जिस पैसे को सरकार देश के विकाश के नाम पर लेती है उसे क्यों फिजूलखर्च करती है,
स्कूल बनाओ सही है, हूस्पिटल खोलो सही है मगर लोगो को खाना,रहना मुफ़्त में  दे कर वो जनता को कामचोर बना रही है,

राजंनिति का एक प्राथमिक  सूत्र है की किसी की भी समस्या पूरी तरह हल मत करो ,क्योकि समाधान हो जाने के बाद लोग तुम्हे भूल जाएंगे,सिर्फ उनकी समस्याओं को मुद्दा बनाओ ताकि वो रोज तुम्हारे पास आये,रोये,गिड़गिड़ाए,उन्हें बस आस्वाशन दो,

जितने पैसा सरकार मुफ़्त की चीजे बाटने में खर्च करती है उतनेपैसा  में एक साल में इतने रोजगार पैदा हो सकता  है की कोई  भूखा न मरे,हर किसी को काम मिल जाएगा
मगर अपने स्वार्थ की खातिर ये कानूनी भ्रस्टाचार जारी है,

मेरा ये लेख पढ़कर कई लोग मुझे गरीब विरोधी कह सकते है,मगर सोच कर देखिये सरकार के पैसे सरकार के पैसे नहीं आपके खून पसीने की कमाई है, अगर देश की किसी भी पार्टी को गरीबो की इतनी ही फ़िक्र है तो अपने पार्टिफण्ड से ये सब कर के दिखाए,

नहीं ऐसा नहीं होगा,हम है न ,सरकारी खजाना भरने के लिए,सरकार को माले-मुफ़्त मिल रहा है और वो दिले-बेरहम हो रही है,

और ये क़ानूनी भ्रस्टाचार बदस्तूर जारी है,

सभी टैक्स भरने वालो को समर्पित..✍🏻
विकाश खेमका

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